World Stroke Day: जानिए क्या होता है स्ट्रोक, इसके कारण, लक्षण और बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

हर साल 29 अक्टूबर को दुनियाभर में World Stroke Day मनाया जाता है. यह दिन स्ट्रोक, इसके कारण और इसके बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है. इस दिन का उद्देश्य दुनिया में स्ट्रोक के मामलों को कम से कम करने में योगदान देना है.

Brain Stroke (Representational Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST
  • 29 अक्टूबर को होता है World Stroke Day
  • तीन प्रकार के होते हैं स्ट्रोक

स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे ब्रेन अटैक कहा जाता है. दुनियाभर में हर साल जिन बीमारियों से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है, उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक प्रमुख हैं. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनियाभर में करीब 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं. इनमें से लगभग 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है, और करीब 50 लाख लोगों को स्ट्रोक के कारण हमेशा के लिए पैरालिसिस हो जाता है. 

स्ट्रोक एक ऐसी समस्या है जिससे सभी को सतर्क रहना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे खराब लाइफ़स्टाइल और गलत खान-पान. पहले 40 साल से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक कम ही देखा जाता था, लेकिन अब इस उम्र के लोगों में भी स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर स्ट्रोक के लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए और इसका इलाज जल्दी कराया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और स्ट्रोक से होने वाली समस्याओं को भी कम किया जा सकता है. तो आइए जानते है कि ये स्ट्रोक क्या है, क्या है इसके लक्षण, किन कारणों से हो सकता है और इसके ट्रीटमेंट के उपाय.

क्या होता है स्ट्रोक?
स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो तब होती है जब दिमाग में खून का फ्लो अचानक रुक जाता है. इसके कारण दिमाग की सेल्स को जितना ऑक्सीजन और पोषक तत्व चाहिए उतना मिल नहीं पाता, जिससे वे जल्दी-जल्दी मरने लगती हैं. स्ट्रोक का असर शरीर के अलग-अलग अंगों पर पड़ता है, जिससे बोलने, चलने, सोचने या किसी अंग को हिलाने में परेशानी हो सकती है. समय पर इलाज न मिलने पर स्ट्रोक जानलेवा भी साबित हो सकता है. 

स्ट्रोक कितने प्रकार के होते है?
स्ट्रोक मुख्य रुप से तीन प्रकार के होते हैं-
1.इस्कीमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke)  
यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है जो करीब 80% मामलों में होता है. इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग की ब्लड वेसल में खून का थक्का (Clot) जम जाता है या किसी प्रकार की रुकावट आ जाती है, जिससे दिमाग के एक हिस्से में खून का फ्लो बंद हो जाता है. इसे दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  • थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक- जब दिमाग की किसी मुख्य ब्लड वेसल में खून का थक्का जम जाता है.
  • एम्बोलिक स्ट्रोक- जब शरीर के किसी अन्य हिस्से में खून का थक्का बनकर दिमाग की ब्लड वेसल में फंस जाता है.

2. हेमरेजिक स्ट्रोक (Hemorrhagic Stroke)  
यह तब होता है जब दिमाग की कोई बल्ड वेसल फट जाती है और दिमाग में खून फैलने लगता है. इससे दिमाग पर दबाव बढ़ जाता है और दिमाग की सेल्स को नुकसान पहुंचता है. हेमरेजिक स्ट्रोक के भी दो प्रकार होते हैं:

  • इंट्रासेरेब्रल हेमरेज- जब दिमाग के अंदर बल्ड वेसल फटती है.
  • सबएराक्नॉइड हेमरेज- जब दिमाग के बाहरी हिस्से में खून बहता है, खासकर दिमाग और सिर के बीच.

3. टीआईए या अस्थायी इस्कीमिक अटैक (Transient Ischemic Attack - TIA)  
इसे मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है. इसमें दिमाग में खून का फ्लो थोड़े समय के लिए रुकता है, जिससे स्ट्रोक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यह स्थायी नुकसान (Permanent damage) नहीं करता. टीआईए को भविष्य में होने वाले बड़े स्ट्रोक की चेतावनी का संकेत माना जाता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. हर प्रकार का स्ट्रोक खतरनाक है और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तुरंत इलाज करानी चाहिए.

क्या हैं स्ट्रोक के लक्षण?
स्ट्रोक के लक्षण अचानक से दिखाई दे सकते हैं. इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • चेहरे का एक तरफ झुकना- चेहरा एक ओर लटक सकता है या सुन्न हो सकता है.
  • हाथ या पैर में कमजोरी- ज्यादातर शरीर के एक हिस्से में हाथ या पैर सुन्न या कमजोर हो सकते हैं.
  • बोलने में दिक्कत- बोलने में दिक्कत हो सकती है या बोली अस्पष्ट हो सकती है.
  • देखने में समस्या- एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है या दिखना बंद हो सकता है.
  • चक्कर या फिर संतुलन में कमी- अचानक चक्कर आ सकते हैं या आप अपना संतुलन खो सकते हैं.

स्ट्रोक होने के कारण 
1. उच्च रक्तचाप (High Blood pressure)-  लगातार उच्च रक्तचाप दिमाग की बल्ड वेसल्स को कमजोर कर सकता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है.

2. स्मोकिंग और शराब- अधिक स्मोकिंग और शराब का सेवन को बल्ड वेसल को नुकसान पहुंचाता है और खून के थक्के (Blood Clotting) बनने का खतरा बढ़ा देता है.

3. डायबिटीज- डायबिटीज से बल्ड वेसल्स में नुकसान हो सकता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है.

4. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना- शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से बल्ड वेसल्स में कोलेस्ट्रॉल बैरियर का काम करने लगता है जिसके कारण दिमाग में खून का फ्लो रुक जाता है.

5. गलत खान-पान और अस्वस्थ जीवनशैली (Unhealthy lifestyle)- शरीर में ज्यादा फैट होना, ज्यादा नमक और चीनी का सेवन और फिजिकल एक्टिविटी की कमी स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकते हैं.

6. ज्यादा तनाव- लगातार तनाव लेने से बल्ड प्रेशर बढ़ सकता है जो स्ट्रोक का एक कारण बन सकता है.

7.  मोटापा- मोटापा के कारण दिल और बल्ड वेसल पर दबाव बढ़ता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ता है.

8.  परिवार में स्ट्रोक का इतिहास- अगर परिवार में किसी को स्ट्रोक हुआ है, तो उसके अन्य सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ सकता है.

स्ट्रोक से बचने के कुछ आसान उपाय:
1. रोज व्यायाम करें- रोज़ाना आधा घंटा वॉक, योग और हल्का व्यायाम करें. इससे आप अपने आप को स्वस्थ रख सकते है और स्ट्रोक से भी बच सकते है.

2. अच्छा और स्वस्थ खाने के अपने डाइट में शामिल करें- फलों, सब्जियों, और साबुत अनाज (Whole Grain) को आहार में शामिल करें, जिस आहार में फेट, नमक और चीनी ज्यादा रहे वो खाने से बचें.

3. स्मोकिंग और शराब से बचें- स्मोकिंग और शराब से अपने आप को दूर रखे क्योंकि ये स्ट्रोक का खतरा और ज्यादा बढ़ा देते हैं

4. रक्तचाप (Blood pressure) और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें- इनका समय-समय पर जांच कराएं और ज़रूरत परे तो डॉक्टरों की सलाह भी लें.

5. डायबिटीज का ध्यान रखें: शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें नहीं तो आपको डायबिटीज हो सकता है जो स्ट्रोक को बढ़ावा दे सकता है.

6. तनाव कम करें: ध्यान (मेडिटेशन) और गहरी सांस लेने की तकनीकों से तनाव कम करें.

7. वजन नियंत्रित रखें: सही वजन बनाए रखने से हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंग दिमाग ओर दिल दोनों स्वस्थ रहते हैं, जिससे स्ट्रोक आने के खतरा बहुत कम हो जाता हैं.

8. हेल्थ चेकअप करवाएं: समय-समय पर चेकअप करवा कर किसी भी जोखिम को समय पर पहचानें. जरूरत आने पर डॉक्टर के पास जाने से घबराया न करें. ये उपाय आपके स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

(यह रिपोर्ट निशांत सिंह ने लिखी है. निशांत GNTTV.Com के साथ बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.)

 

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