किसी का वजन थोड़ा कम या ज्यादा हो सकता है. इसका पसंद या नापसंद किए जाने से क्या लेना देना. लेकिन मसला ये है किे मोटापे को बस शारीरिक सुंदरता से जोड़ के देखा जाता है. इस चक्कर में कभी आदमी निराश हो जाता है तो कभी क्रांति करने लगता है. कुल मिलाकर मोटापे को लेकर जो चिन्ता होती है उसका कनेक्शन पर्सनैल्टी से होता है. जबकि जरूरी है कि इसे बीमारी के तौर पर देखा जाए.
Some may be slightly less or more in weight. What does it have to do with liking or disliking it? But the issue is that obesity is seen only by linking it with physical beauty. Sometimes a man gets disappointed in this affair and sometimes he starts a revolution.