भारत ने शुरुआत से ही गंगा-जमुनी तहजीब का प्रमाण दिया है. जहां एक और हरियाणा के नूह में हिन्दू-मुस्लिम हिंसा से माहौल बिगड़ा हुआ है तो वहीं एक और देश में कई लोग भाईचारे को बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे कई मौके आए हैं जब हमारे देश ने दुनिया को अनेकता में एकता का संदेश दिया है.
ये तस्वीर कांवड़ यात्रा की है. इसमें पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके से कावड़िए गुजर रहे हैं जिनके स्वागत के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग खड़े हुए हैं. इतना ही नहीं बल्कि कावड़ियों का स्वागत फूलों से किया जा रहा है. जैसे-जैसे कावड़िए अपने कदम बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे मुस्लिम समुदाय के लोग फूलों की बारिश कर रहे हैं. य खूबसूरत नजारा उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके में जुमे की नमाज के बाद बाग वाली मस्जिद मौजपुर रोड का है.
पूरे देश में बसंत पंचमी पर जहां मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. वहीं, राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में बसंत पंचमी खेली जाती है. दरगाह में पिछले 800 साल से इसी तरह से यहां बसंत पंचमी मनाई जाती है.
यूपी के आजमगढ़ जिले में कोड़िया गांव के गुलाब यादव रमजान के पाक महीने में रोजदारों की सेवा करते हैं. साल 1975 में गांव में उनके पिता चिरकिट यादव ने 48 साल पहले ये परंपरा शुरू की थी. जिसका पालन गुलाब यादव तभी से कर रहे हैं.
मथुरा के पास के रहने वाले जाफर अली का परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से दशहरा के मौके पास रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. यह देश में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की एक मिसाल है. जाफर अली कहते हैं कि वे हिंदू-मुस्लिम एकता दिखाने के लिए ऐसा करते हैं.
70 साल से ज्यादा उम्र के रहमान अपने पूर्वजों की तरह मंदिर का ख्याल रखते हैं. वे हर सुबह बुरहा गोसायर थान मंदिर में झाड़ू लगाते हैं और भगवान शिव के लिए मोमबत्तियां जलाते हैं. उनका परिवार पिछले 500 साल से इस पवित्र स्थान का संरक्षक रहा है.