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Head constable Amit lathiya: बचपन में करते थे चाय की दुकान पर काम, हेड कांस्टेबल अमित आज फ्री में करवा रहे हैं बच्चों की तैयारी, 200 को कर चुके हैं अडॉप्ट

अनामिका गौड़
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2023,
  • Updated 8:33 PM IST
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अमित लाठिया हरियाणा के लाठ के रहने वाले हैं. कॉलेज के समय अमित एथलीट हुआ करते थे और खेल जगत में ही अपना करियर बनाना चाहते थे. लेकिन परिवार की आर्थिक हालत सही न होने की वजह से अमित को पढ़ाई के साथ-साथ चाय की दुकान पर काम करना पड़ा. अमित ने मेहनत की और और दिल्ली पुलिस में भर्ती हो गए. अमित ने पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से खुद के सपने तो छोड़ दिए लेकिन जिस दिन अमित से दिल्ली पुलिस ज्वाइन की तो ठान लिया कि उनकी तरह और बच्चे को पैसों की वजह से अपने सपने नहीं छोड़ने पड़ेंगे. 

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अमित ने 2014 में पहली बार अपने चचेरे भाई को पढ़ाना शुरू किया और वो भी दिल्ली पुलिस में भर्ती हो गया.  धीरे-धीरे अमित से और भी बच्चे जुड़ते गए. अमित ने आस-पास के गांव के उन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जिनके मां बाप दुनिया में नहीं है. या फिर वह बच्चे जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है.
 

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अमित दिन में अपनी ड्यूटी कर शाम को इन बच्चों को पढ़ाते थे. कभी ड्यूटी रात की लग जाए तो सुबह आ कर बच्चों की तैयारी करवाते थे. अमित ने धीरे धीरे बच्चों को गोद लेना शुरू कर दिया. यानी अगर कोई बच्चा गरीब है और दूर रहता है तो  वो अमित के यहां आ कर रह सकता है. अमित ने बच्चों के रहने के लिए सोनीपत में ही किराए के कमरे ले लिए. जहां बच्चों के रहने-खाने-पीने, पढ़ने-खेलने तक के इंतजाम किए गए हैं. 

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अमित लाठिया ने अभी तक 200 बच्चों को अडॉप्ट किया है. इन बच्चों का पूरा खर्चा अमित खुद अपनी सैलरी से उठाते हैं. अमित ने जिन 200 बच्चों को अडॉप्ट किया उन बच्चों में से 125 बच्चों ने कोई ना कोई सरकारी एग्जाम निकाला है. इतना ही नहीं कुछ बच्चों ने यूपीएससी भी निकाला है. कुछ ने रेलवे के एग्जाम पास किए, कुछ बच्चे दिल्ली पुलिस में ऑफिसर तक बन गए. आर्मी और एयरफोर्स में भी अमित के पढ़ाए हुए बच्चे भर्ती हो गए हैं. वे सभी अभी अच्छी सरकारी नौकरी पर हैं और अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं. अमित का कहना है कि उनके यहां बच्चों के सफल होने का कारण इन बच्चों की लगन है. ये बच्चे गरीबी देख कर आए हुए बच्चे हैं अब ये पढ़ाई इनके लिए सब कुछ है.

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अमित लाठिया बच्चों को खेलों के प्रति भी जागरूक करते हैं और उनकी ट्रेनिंग लेकर आते हैं सोनीपत में एक ही खेल मैदान था जोकि उसी कारणवश शाम को जल्दी बंद हो जाता था जो बच्चे सुबह स्कूल या कॉलेज जाते हैं उसके बाद कहीं नौकरी करते हैं और शाम को अपनी प्रैक्टिस करना चाहते हैं उन बच्चों के लिए पूरे एरिया में कोई भी मैदान नहीं था अमित ने थाना की इन बच्चों को इनका एक ऐसा मैदान मिलना चाहिए जो इनके लिए 24 घंटे खुला रहे कोई भी किसी भी समय आंखें इस मैदान में अपनी प्रैक्टिस कर सकें
 

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सोनीपत सेक्टर 23 में एक ऐसी जगह थी जो सरकार की थी लेकिन वहां पर लोग कूड़ा फेंकते थे. अमित ने कोरोना काल में उस जगह को साफ करना शुरू किया. कूड़ा बेहद ज्यादा था तो अमित के साथ जो बच्चे थे उन्होंने अमित को देखकर हाथ बढ़ाना शुरू किया. उन्हें 2 साल लगे उस मैदान से कूड़ा साफ कर उसे एक खेल का मैदान बनाने में. कूड़े से भरे हुए मैदान को साफ कर उसे खेल का मैदान बनाने के लिए अमित ने दोस्तों से दस लाख का कर्जा उधार लिया और इन पैसों से ग्राउंड की मरम्मत की रेसिंग ट्रैक बनाया, बॉलीबॉल कोर्ट बनाया और अखाड़ा बनाया. 
 

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अमित लाठिया अपने महीने की सैलरी का 100% पैसा इन बच्चों को पढ़ाने, खिलाने और आगे बढ़ाने में लगा देते हैं. ऐसे में अमित लाठिया के परिवार ने उनका बहुत साथ दिया है. उनकी बीवी भी इन बच्चों को पढ़ाने आती है और अमित की मां और भाभी भी इन बच्चों के लिए खाना बनाकर भेजती हैं. अमित ने जब शादी की तो शर्त यही रखी की ये बच्चे हमेशा उनके परिवार का हिस्सा रहेंगे. अभी अमित रोहिणी में पोस्टेड हैं और रोज ड्यूटी करने के बाद  सोनीपत जाते हैं. वहां जाकर वे बच्चों को सरकारी एग्जाम की तैयारी करवाते हैं. अभी अमित के पास पच्चीस बच्चे रह रहें है और 50 से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते हैं.