हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day) मनाया जाता है. World Animal Day की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ये दिन दुनिया भर में जानवरों की स्थिति को बेहतर बनाने और उसमें सुधार करने के लिए शुरू किया गया है. यह राष्ट्रीयता, धर्म, आस्था या राजनीतिक विचारधारा के बावजूद हर देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. कई ऐसे जानवर हैं जो विलुप्त हो गए हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं. एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत में कम से कम तीन से चार वन्यजीव प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं.
1. नॉर्दर्न वाइट राइनोसॉरस: आखिरी दो जीवित उत्तरी वाइट राइनोसॉरस दोनों मादा हैं क्योंकि अंतिम नर की 2018 के मार्च में मृत्यु हो गई थी. दो मादाएं हैं तो जाहिर सी बात है कि ये दोनों जन्म देने में असमर्थ हैं. ये इस प्रजाति का अंत है. हालांकि, वैज्ञानिक लैब में उत्तरी सफेद गैंडे को पैदा करने के लिए कुछ अन्य उपाय भी अपना रहे हैं. इस प्रजाति का विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण शिकार है. जिसने इन सभी को खत्म कर दिया.
2. पैसेंजर पीजन: जब पहले यूरोपीय लोग अमेरिका में बसने लगे थे तब पैसेंजर पीजन (यात्री कबूतर) पैसेंजर कबूतरों की संख्या लाखों में थी और संभवत अरबों में. इनके विलुप्त होने का कारण है कि मनुष्यों ने इन कबूतरों का जमकर शिकार किया. अखिरी कबूतर 1914 में सिनसिनाटी चिड़ियाघर में कैद में मरा था.
3. चाइनीज पैडलफिश: चीनी पैडलफिश दुनिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की मछलियों में से एक है. यह एशिया में यांग्त्ज़ी नदी में सबसे अधिक पाई जाती थीं. इसे दिसंबर, 2019 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. इसके विलुप्त के पीछे ज्यादा मछली पकड़ने और इनके रहने की जगह को नष्ट करना शामिल है. ये प्रजाति 2005 से 2010 के बीच लुप्त हो गई थी और फिर आखिर में 2019 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया.
4. पिंटा आइलैंड टॉर्टोइज: 1835 में जब डार्विन ने गैलापागोस का दौरा किया था, तब पिंटा द्वीप कछुए आसपास थे. लेकिन 2015 में ये लुप्त हो गए. इनके विलुप्त होने का कारण वे बकरियां जिन्हें मनुष्यों ने पिंटा द्वीप में छोड़ा था, उन्होंने इनके घरों को नष्ट कर दिया. इसके अलावा चूहो ने युवा कछुओं का शिकार किया, साथ ही इंसानों ने भी इनके मांस के लिए कछुओं को मारा.
5. डोडो: डोडो मॉरीशस के एक उड़ान रहित पक्षी थे. आखिरी बार डोडो को 1660 के दशक में देखा गया था. कहा जाता है कि डोडो 150 साल से भी पहले विलुप्त हो गया था. विलुप्त होने के कारण में नाविकों ने डोडो का खूब शिकार किया. इसके अलावा, चूहों (और अन्य जानवरों) ने भी उनके अंडे खाए और उनके विल्पुत होने का कारण बने.
6. डच तितली: एल्कॉन ब्लू की एक उप-प्रजाति मुख्य रूप से नीदरलैंड के घास के मैदानों में पाई जाती थी. आखिरी डच एल्कॉन ब्लू को 1979 में जंगली में देखा गया था. खेती और घरों के ज्यादा निर्माण से एल्कॉन ब्लू के घरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और इसके कारण इनका मुख्य खाद्य स्रोत खो गया. और देखते देखते ये विलुप्त हो गई
7. टेकोपा पपफिश: टेकोपा पपफिश मोजावे रेगिस्तान के गर्म झरनों में मिलती थी. यह लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम 1973 के प्रावधानों के तहत विलुप्त घोषित किया गया पहला जानवर है. इनकी गिरावट तब हुई जब डेवलपर्स द्वारा इसके प्राकृतिक आवास पर कब्जा कर लिया गया था. इनके विलुप्त होने का कारण है कि इनके प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया गया था.
8. गोल्डन टॉड: गोल्डन टॉड पिछले 40 वर्षों में गायब होने वाली एकमात्र है. छोटा टॉड आखिरी बार 1989 में देखा गया था. साल 1994 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया. ऐसा माना जाता है कि चिट्रिडिओ माइकोसिस, एक घातक त्वचा रोग, ने इस टॉड आबादी को नष्ट कर दिया था. इसके विलुप्त होने के कारण में प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और चिट्रिड त्वचा संक्रमण शामिल हैं.
9. यांग्त्जी रिवर डॉल्फिन: यांग्त्जी रिवर डॉल्फिन को "बाईजी" के रूप में भी जाना जाता है. इसे आखिरी बार 2002 में देखा गया था. व्हेल और डॉल्फिन संरक्षण समूह (WDC) के अनुसार, बाईजी पहली डॉल्फिन प्रजाति है जो मनुष्यों के कारण विलुप्त हो गई है.
10. स्मूथ हैंडफिश: स्मूथ हैंडफिश को 2020 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. हालांकि, इसके विलुप्त होने का कारण अभी भी पता नहीं चल पाया है.