श्रेयस बीरवाडकर... हर वक्त चेहरे पर प्यारी सी एक मुस्कान रखने वाला, सबकी मदद करने वाला और अपनी मां से ढेर सारा प्यार करने वाला बच्चा. इतना ही नहीं श्रेयस देश का सबसे छोटा 10 साल का व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्लेयर (Youngest Wheelchair Basketball Player) भी है, जोकि पिछले 6 महीने से मुंबई के लिए बास्केटबॉल खेल रहा है.
10 साल का श्रेयस आज देश भर के बच्चों के लिए मिसाल बन रहा है. श्रेयस बचपन से ही दिव्यांग है लेकिन, कुछ कर दिखाने का जुनून बचपन से ही उसके अंदर है. कोरोना के दौरान जब सब लोग घरों में कैद थे और उब जाने का राग गा रहे थे तब श्रेयस की मां उसके लिए कुछ ऐसा ढूंढ रही थीं, जिससे उसको भविष्य में कभी किसी के आगे मजबूर न होना पड़े.
बच्चों के लिए अपने सपनों को भूल जाती है मां
एक मां अपने बच्चे के लिए अपने सपनों को भी भूल जाती है. श्रेयस की मां भी कैसे पीछे रह जाती. बच्चे को आगे बढ़ाने के लिए खुद एक कदम पीछे चली गईं. अपनी जॉब छोड़कर पूरी तरह से अपने बच्चे की देखभाल में रहती हैं. इनदिनों दोनों मां-बेटे का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इसमें श्रेयस की मां वैभवी बीरवाडकर उसे डांट रही हैं, क्योंकि वह खेलने पर ध्यान नहीं दे रहा है.
श्रेयस की बड़ी बहन रक्षंदा ने GNT Digital को बताया कि उनका भाई बचपन से ही लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहा है. हालांकि, पहले वह ज्यादा बाहर नहीं निकलता था तो ज्यादा लोगों को नहीं जानता था लेकिन, जब से बास्केटबॉल खेलना शुरू किया है, काफी खुश रहता है.
शुरुआत में थोड़ी परेशानियां भी हुईं – रक्षंदा
रक्षंदा ने बताया कि "पहले श्रेयस व्हीलचेयर का इस्तेमाल नहीं करता था इसलिए शुरुआत में जब खेलना शुरू किया तो काफी परेशानियां भी हुईं. इसके साथ ही वह सबसे छोटा प्लेयर है तो उसके लिए व्हीलचेयर अलग से बनवाई गई क्योंकि भारत में ज्यादातर छोटे बच्चे, जोकि दिव्यांग हैं... वह कम ही खेलते हैं".
चाइनीज बेहद चाव से खाता है श्रेयस
श्रेयस को चाइनीज खाना बहुत ज्यादा पसंद हैं. उनकी बहन बताती हैं कि वह खाना-पीना खूब लुत्फ उठाकर खाते हैं, हालांकि, खेलते हैं इसलिए डाइट का भी ध्यान रखना होता है. व्हीलचेयर बास्केटबॉल खेलने के लिए बाजुओं में जान होनी चाहिए. इसलिए श्रेयस की डाइट का काफी ख्याल भी रखा जाता है.
पढ़ाई में भी श्रेयस बहुत अच्छे हैं. टीचर से कभी शिकायते नहीं आती हैं. अभी तक तो कोरोना की वजह से सब ऑनलाइन था तो श्रेयस काफी समय खेल को दे पाते थे लेकिन, अब वह केवल शनिवार और रविवार को प्रेक्टिस करते हैं, जिससे वह पढ़ाई और खेल दोनों को बैलेंस कर सकें. फिलहाल वह छठी क्लास में पढ़ते हैं. बास्केटबॉल खेलने के बाद से स्कूल में भी वह खूब एक्टिव रहने लगे हैं.
अपनी व्हीलचेयर खुद हैंडल करते हैं श्रेयस
रक्षंदा बताती हैं कि शुरुआती दिनों में उन्हें व्हीलचेयर चलाने में दिक्कत आती थी लेकिन, अब धीरे-धीरे वह खुद अपनी व्हीलचेयर को हैंडल करते हैं. अब वह नई-नई चीजे भी सीख रहे हैं. इंस्टाग्राम में उन्होंने हाल ही में एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें वह ढलान से नीचे उतर रहे हैं. जब से उन्होंने बाहर निकलना शुरू किया है, उन्होंने बहुत कुछ नया सीखा है और खेल से जुड़े कई लोगों से मुलाकात की है.
रक्षंदा ने बताया कि "भारत में ज्यादा बच्चे व्हीलचेयर बास्केटबॉल नहीं खेलते हैं, इसलिए अलग से बच्चों की एक पूरी टीम नहीं बनाई जा सकती है. यही कारण है कि श्रेयस हर उम्र के लोगों के साथ खेलता है और वह अपनी टीम में सबसे छोटा है. उनका सपना है कि वह आगे जाकर पैरालम्पिक में भी खेलें.
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