पश्चिम बंगाल के बाकुरा जिले के सिंधु प्रखंड की अमला डे 107 साल की एक बुजुर्ग महिला हैं. लेकिन उनको देख कर कोई भी उनकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा पाता है. उम्र के इस पड़ाव में डे अपने बड़े बेटे के साथ रहती हैं और बदन दर्द से जूझती हुई अपना गुजारा खुद कर रही हैं. अमला डे पालक के पत्ते तोड़ कर बेचती हैं. अमला डे की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी. अमला डे अपनी शादी के दिनों को याद करने की कोशिश करते हुए कहती हैं कि 'मुझे ठीक से याद नहीं अपनी शादी के बारे में. ऐसा इसलिए नहीं कि उतनी छोटी उम्र में मेरी शादी हुई , बल्कि मेरी उम्र अब 100 के पार हो गई है, और इस उम्र में कुछ भी याद रख पाना मुश्किल होता है.
अमला डे की याददाशत कमजोर होने की वजह से अमला परिवार के सभी सदस्य को भूल चुकी हैं, अमला डे को सिर्फ अपने बड़े बेटे के बारे में याद है. अमला अपने बड़े बेटे के साथ ही रहती हैं. अमला कहती हैं कि “मैं लोगों को पहचान नहीं पाती हूं , जब मैं घर से बाहर निकलती हूं तो लोग मुझे पुकारते भी हैं, मुझसे बात करते हैं, लेकिन मैं किसी को नहीं पहचान पाती. मुझे सिर्फ अपने बड़े बेटे के बारे में याद है.
अमला के पति की मृत्यु कई साल पहले हो गई थी, वो एक शराबी था और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ से जूझ रहा था. इलाज ना होने की वजह से उसने आत्महत्या कर ली. अमला के बड़े बेटे तपन डे कहते हैं कि “मेरी माँ की उम्र लगभग 107 साल है, उसे कुछ छोटी मोटी बीमारियां हैं जिसकी वजह से वो बहुत सारे काम नहीं कर पाती हैं, लेकिन फिर भी वह खेत से पालक के पत्ते तोड़कर उन्हें बेचती हैं
अमला डे का कहना है कि वह खुश हैं और उनके आसपास के लोग उनके साथ अच्छा बरताव करते हैं. वह हर दिन खुशी-खुशी अपना काम करती है और अपने जीवन से संतुष्ट है.