साल 1997 में एक मूवी आई थी बॉर्डर. जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध पर बनी थी. इस फिल्म में अभिनेता सुनील शेट्टी ने जिस वीर योद्धा का किरदार निभाया है, उस जांबाज सिपाही का आज 81 साल की उम्र में निधन हो गया. 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के असली हीरो भैरो सिंह 14 दिसंबर से जोधपुर के एम्स अस्पताल में भर्ती थे. नायक (रिटायर्ड) भैरो सिंह देश की मिट्टी से बेपनाह प्यार करते थे. युद्ध में भैरो सिंह लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे. उस दौरान उन्होंने एमएमजी गन से लगातार 7 घंटे तक फायरिंग की थी और पाकिस्तानी फौज से लोहा लेते रहे. इस दौरान पाकिस्तान के 25 से ज्यादा जवान मारे गए थे.
कौन थे भैरो सिंह-
भैरो सिंह जोधपुर के शेरगढ़ तहसील के सोलंकियातला गांव के रहने वाले थे. साल 1963 में भैरो सिंह बीएसएफ में शामिल हुए थे. उन्होंने साल 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था. साल 1987 में भैरो सिंह रिटायर हो गए. साल 1972 में सिंह को वीरता और साहस के लिए सेना का मेडल से सम्मानित किया गया था.
पिछले साल शाह ने की थी मुलाकात-
पिछले साल 2021 में दिसंबर में बीएसएफ का 57वां स्थापना दिवस के मौके पर जैसलमेर में भैरो सिंह से गृह मंत्री अमित शाह ने मुलाकात की थी. इस साल 16 दिसंबर को भारत-पाकिस्तान युद्ध के 51 साल हुए थे. उस मौके पर पीएम मोदी ने भैरो सिंह से बातचीत की थी और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी.
ऑपरेशन चंगेजी के सामने थे भैरो सिंह-
बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी से हार रहे पाकिस्तान ने राजस्थान में नई साजिश रची. जिसे पाकिस्तान ने ऑपरेशन चंगेजी नाम दिया. इसके तहत पाकिस्तानी सेना का लोंगेवाला पोस्ट से भारत में इंट्री करने और जैसलमेर होते हुए दिल्ली तक पहुंचने की साजिश थी. पाकिस्तान ने लोंगेवाला की तरफ 45 टैंक के साथ 3000 जवानों को रवाना किया था. लेकिन पाकिस्तान की साजिश के सामने भैरो सिंह और भारतीय जवान खड़े थे.
पंजाब बटालियन के गाइड की मिली थी भूमिका-
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. उस दौरान भैरो सिंह से असाधारण पराक्रम दिखाया था. दरअसल लोंगेवाला पोस्ट पर पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन की एक कंपनी तैनात थी. जिसकी अगुवाई मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी कर रहे थे. इस पोस्ट पर 4 सिपाहियों वाला बीएसएफ का एक ऊंट दस्ता भी तैनात था. जिसमें नायक भैरो सिंह भी थे. भैरो सिंह को गाइड की भूमिका मिली थी. उन्होंने पंजाब बटालियन को पेट्रोलिंग के दौरान पूरा इलाका दिखाया.
लोंगेवाला पोस्ट पर जवानों के पास क्या थे हथियार-
लोंगेवाला पोस्ट पर भारत के 120 जवान तैनात थे. लेकिन उनके पास कोई खास हथियार नहीं था. लेकिन हौसला बुलंद था. जवानों के पास हथियार के नाम पर सिर्फ दो मीडियम मशीन गन, 81 मिमी के दो मोर्टार, 4 रॉकेट लॉन्चर्स, 2 आरसीएल गन थी. इसके अलावा तोप लगी एक जीप थी.
भैरो सिंह की 7 घंटे तक फायरिंग-
4 दिसंबर 1971 को इसी पोस्ट पर पाकिस्तान ने हमला किया था. भैरो सिंह और उनकी टुकड़ी ने मोर्चा संभाला लिया था. जब पाकिस्तानी हमले की जानकारी हेडक्वॉर्टर को दी गई तो सुबह तक इंतजार करने को कहा गया. लेकिन देर रात ही पाकिस्तान ने आर्टिलरी से गोले दागने शुरू कर दिए. इस बीच नायक भैरो सिंह ने एमएमजी उठा ली और फायरिंग करने लगे. भैरो सिंह ने तब तक फायरिंग की, जब तक सुबह नहीं हो गई. भैरो सिंह ने 7 घंटे तक पाकिस्तानियों पर गोलियां बरसाई. भैरो सिंह की फायरिंग में 25 से ज्यादा पाकिस्तान जवान मारे गए.
जैसे ही सूरज की पहली किरण दिखाई दी. एयरफोर्स ने हंटर और मारुत लड़ाकू विमान से पाकिस्तानियों पर टूट पड़े. इस तरह से भैरो सिंह जैसे जांबाज योद्धाओं की वजह से भारत लोंगेवाला पोस्ट को बचाने में कामयाब रहा.
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