आज संसद पर हमले की 20वीं बरसी है. आज के दिन ही आतंकियों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को निशाना बनाया था. लेकिन हमारे बहादुर जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था और आतंकियों को मार गिराया था. आतंकियों से लड़ाई में हमारे 9 जवान शहीद हुए. इस हमले में सीकर के बेटे जगदीश प्रसाद यादव ने भी शहादत दी थी.
ऐसे शहीद हुए जेपी यादव-
जेपी यादव 13 दिसंबर को संसद के गेट नंबर 11 पर उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की प्रस्थान व्यवस्था में तैनात थे. उसी दौरान आतंकी एंबेसडर कार से संसद में दाखिल हुए. उपराष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों की कार को रोकने की कोशिश की. लेकिन कार नहीं रूकी. काफिले में तैनात दिल्ली पुलिस के एएसआई जीतनराम की आवाज सुनकर जगदीश यादव कार की तरफ भागे. फौरन सुरक्षाकर्मी एक्टिव हुए. संद के सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया. इतने में आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. फायरिंग में जगदीश यादव को गोली लगी और वो शहीद हो गए.
कौन थे जेपी यादव-
शहीद जेपी यादव राजस्थान के सीकर के नीम का थाना के रहने वाले थे. शहीद जेपी यादव का एक बेटा और एक बेटी है.
कैसे हुआ था संसद पर हमला-
13 दिसंबर को संसद में ताबूत घोटाले को लेकर हंगामा चल रहा था. इसको लेकर दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया. उसी वक्त संसद के बाहर गेट पर कुछ हलचल हो रही थी. संसद में तैनात सुरक्षाकर्मियों को मैसेज मिला कि उपराष्ट्रपति कृष्णकांत संसद से निकलने वाले हैं. उनके काफिले की गाड़ियां गेट नंबर 11 के सामने खड़ी कर दी गईं. इसी दौरान एक सफेद रंग की एंबेसडर कार गेट नंबर 11 की तरफ बढ़ रही थी. कार की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. अचानक कार ने उपराष्ट्रपति के काफिले की कार को टक्कर मार दी. इसके बाद कार ड्राइवर कार को गेट नंबर 9 की तरफ ले जाने लगा. इसको देखकर सुरक्षाकर्मी जेपी यादव ने सभी गेट बंद करने का मैसेज भेजा. इतने में कार किनारे लगे पत्थरों से टकराकर रूक गई. कार से सवार 5 लोग उतरे और वायर्स बिछाना शुरू कर दिया. इसके बाद एएसआई जीतराम ने एक आतंकी पर फायरिंग की. इसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग होने लगी. उधर गेट बंद कराने के बाद जेपी यादव भी फायरिंग करने लगे. इस दौरान जेपी यादव आतंकियों की गोली का शिकार हो गए. सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकियों को मार गिराया.
संसद भवन में मौजूद थे बड़े नेता-
हमले के वक्त संसद में 100 से ज्यासा सांसद मौजूद थे. गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम बडे़ नेताओं को संसद में बनी सीक्रेट जगह पर ले जाया गया. हमले सांसद हमले के वक्त बाहर टहल रहे थे, उनको भी सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
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