22 मई 1984 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है. यह हर एक भारतीय के लिए गर्व का दिन था. क्योंकि इस दिन बछेन्द्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर पहुंची थी. इसे फतह करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं. उनकी इस सफलता ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत की बेटियां कुछ भी कर सकती हैं.
आज इस स्वर्णिम दिन पर हम आपको बता रहे हैं बछेंद्री पाल के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
- बहुत की कम लोग यह जानते होंगे कि बछेंद्री केवल 12 साल की थीं जब उन्होंने पहली बार अपने स्कूल के दोस्तों के साथ पर्वतारोहण की कोशिश की. उन्होंने अपने स्कूल पिकनिक के दौरान 13,123 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने का प्रयास किया. उन्होंने गंगोत्री पर्वत पर 21,900 फीट और रुद्रगरिया पर्वत पर 19,091 फीट की चढ़ाई में भी भाग लिया था.
- वह अपने गांव में ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला थीं. उनके परिवार वाले उनके पर्वतारोहण को शौक के खिलाफ थे और चाहते थे कि वह टीचर बनें.
- माउंट एवरेस्ट मिशन में चुने जाने से पहले, पाल नेशनल एडवेंचर फाउंडेशन (NAF) में पर्वतारोहण प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत थीं. उन्हें 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए भारत के चौथे मिशन एवरेस्ट '84 के लिए चुना गया था. इस अभियान में 6 महिलाएं और 11 पुरुष थे.
- अपने मिशन के दौरान उनकी टीम का कैंप एक हिमस्खलन में दब गया था. उनके ग्रुप में आधे से ज्यादा लोगों ने थकान और चोट लगने के कारण मिशन को बीच में छोड़ दिया. पर मिशन को जारी रखने वाली वह अपने समूह की एकमात्र महिला थीं.
- वह 23 मई, 1984 को दोपहर 1:07 बजे चोटी पर पहुंचीं और सबसे ऊंची चोटी पर तिंरगा फहराकर देश का नाम रोशन किया.
- साल 1990 में, उन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही के रूप में उनकी उपलब्धि के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था.
- उन्हें 1991 में माउंट कामेट तक 25,445 फीट और माउंट अबी-गामिन 24,130 फीट तक महिलाओं के प्री-एवरेस्ट मिशन का नेतृत्व करने का भी श्रेय दिया जाता है. 1992 में माउंट मामोस्तंग कांगड़ी तक 24,686 फीट तक महिलाओं का दूसरा एवरेस्ट अभियान और टाटा के माउंट शिवलिंग अभियान का भी नेतृत्व उन्होंने किया.
- उन्हें 1994 में पद्म श्री और राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार और 1986 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2013 में बाढ़ के दौरान, बछेंद्री पाल ने पर्वतारोहियों के एक समूह के साथ राहत और बचाव अभियान चलाया. वर्तमान में वह Fit@50 मिशन पर काम कर रही हैं, जिसके तहत 50 साल की उम्र से ज्यादा की महिलाओं को पर्वतरोहण मिशन पर ले जाया जा रहा है.