Uttarkashi में चट्टानों का गुरूर हुआ चूर, मौत को मात देकर सिलक्यारा सुरंग से 17वें दिन बाहर निकले 41 मजदूर, मिली जिंदगी 'दोबारा' तो नम हो गईं आंखें

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग से जब बाहर मजदूर निकले तो उनके चेहरे पर दोबारा जिंदगी मिलने की खुशी साफ दिखी. 17वें दिन खुली हवा में सांस लेने के अहसास को शब्दों में वे बयां नहीं कर पा रहे थे. इस दौरान कुछ भावुक भी हो गए. 

सिलक्यारा सुरंग से बाहर निकले मजदूर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:59 AM IST
  • देशवासियों की दुआ रंग लगाई, सकुशल बाहर निकले मजदूर
  • अमेरिकी मशीन से नहीं चला काम तो स्वदेशी तकनीक ने दिखाया जलवा

उत्तराखंड के उत्तरकाशी से मंगलवार को बड़ी मंगलकारी खबर आई है. पिछले 17 दिनों से सिलक्यारा सुरंग में मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे 41 मजदूर सही सलामत बाहर निकल आए. इस तरह से रेस्क्यू मिशन पूरा हो गया. फिलहाल सभी को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 

दोबारा जिंदगी मिलने की खुशी चेहरे पर साफ दिखी  
सिलक्यारा सुरंग से जब बाहर मजदूर निकले तो उनके चेहरे पर दोबारा जिंदगी मिलने की खुशी साफ दिखी. 17वें दिन खुली हवा में सांस लेने के अहसास को शब्दों में वे बयां नहीं कर पा रहे थे. इस दौरान कुछ भावुक भी हो गए. पिछले कुछ दिनों से उत्तरकाशी में कैंप कर रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों का माला और शॉल पहनाकर स्वागत किया. जाबांजों को सकुशल देख लोगों ने तालियां बजाईं. सिर्फ मजदूरों के परिवारवाले नहीं बल्कि पूरा देश उनकी सलामती के लिए दुआ कर रहा था. मजदूरों के परिजन बड़ी मुश्किल से एक-एक दिन काट रहे थे. उन्हें राहत मिली है. 

800 मिमी पाइप के जरिए मजदूरों को निकाला गया बाहर
अधिकारियों ने बताया कि श्रमिकों को एक-एक करके 800 मिमी के उन पाइपों के जरिए बाहर निकाला गया जिन्हें मलबे में ड्रिल करके अंदर डालकर एक रास्ता बनाया गया था. रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया कि शाम 7 बजकर 5 मिनट पर पहला ब्रेक थ्रू मिला था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाहर निकाले गए श्रमिकों से बात की. उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी थे.

शाम 7:47 बजे निकला पहला मजदूर
इन मजदूरों को निकालने की खुशखबरी देश को मंगलवार को दिन में ही मिल गई, कि किसी भी पल मजदूर बाहर आ सकते हैं. लेकिन ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा होने में देर शाम हो गई. और शाम 7.47 बजे पहला मजदूर निकाला. रात 7.55 बजे 5 मजदूर निकाले गए. रात 8.05 बजे 9 मजदूर निकाले गए. रात 8.17 बजे 22 मजदूर निकाले. रात 8.27 बजे 33 मजदूर निकाले. रात 8.36 बजे सभी 41 मजदूर निकाले गए. सुरंग से मजदूरों के बाहर निकलने की पहली तस्वीर रात 8.01 बजे सामने आई. मजदूरों को सुरंग से बाहर लाने का वीडियो भी रात 8.05 बजे सामने आया. 

अभी मजदूरों को घर जाने के लिए करना होगा इंतजार 
अभी मजदूरों को अपने घर जाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा. एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने बताया था कि बाहर आने के बाद अगले 48 से 72 घंटे तक मजदूरों को डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. सरकारी बयान के मुताबिक, डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट की टीम को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है. 

एम्स ऋषिकेश भी अलर्ट मोड पर है. अगर किसी मजदूर को कोई दिक्कत होती है या फिर चिन्यालीसौड़ में इलाज की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है, तो फिर एयरलिफ्ट कर दूसरे अस्पताल भी ले जाया जा सकता है. इसके लिए वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर को रखा गया है. हालांकि, एम्स ऋषिकेश के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नरिंदर कुमार ने बताया कि मजदूरों को यहां तभी लाया जाएगा, जब उत्तरकाशी जिला अस्पताल में इलाज की जरूरतें पूरी नहीं होंगी.

उत्तरकाशी टनल में रैट माइनर्स ने कैसे काम किया
रैट माइनर्स 800MM के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की. ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे. ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे. पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता था.

सुरंग में फंसे श्रमिकों को एक-एक लाख की आर्थिक सहायता देगी सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों सभी श्रमिकों को सरकार एक-एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देगी. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा अस्पताल में इलाज और घर जाने तक की पूरी व्यवस्था की जाएगी. उन्हें एक महीने का सवेतन अवकाश भी दिया जाएगा, जिससे वह अपने परिवार वालों से मिल सकें.

जल्द बनेगा भगवान बौखनाग का भव्य मंदिर 
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बाबा बौखनाग और देवभूमि के देवी-देवताओं की कृपा से ऑपरेशन सफल हुआ है. बौखनाग देवता का सिलक्यारा में भव्य मंदिर बनाया जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं. 

इन राज्यों के रहने वाले हैं मजदूर
सुरंग में फंसे मजदूर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड और ओडिशा के रहने वाले हैं. गब्बर सिह नेगी (उत्तराखंड), सबाह अहमद (बिहार), सोनु शाह (बिहार), मनिर तालुकदार (पश्चिम बंगाल), सेविक पखेरा (पश्चिम बंगाल), अखिलेष कुमार (यूपी), जयदेव परमानिक (पश्चिम बंगाल), वीरेन्द्र किसकू (बिहार), सपन मंडल (ओडिशा), सुशील कुमार (बिहार), विश्वजीत कुमार (झारखंड), सुबोध कुमार (झारखंड), भगवान बत्रा (ओडिशा), अंकित (यूपी), राम मिलन (यूपी), सत्यदेव (यूपी), संतोष (यूपी), जय प्रकाश (यूपी), राम सुन्दर (उत्तराखंड), मंजीत (यूपी), अनिल बेदिया (झारखंड), श्राजेद्र बेदिया (झारखंड), सुकराम (झारखंड), टिकू सरदार (झारखंड), गुनोधर (झारखंड), रनजीत (झारखंड), रविन्द्र (झारखंड), समीर (झारखंड), विशेषर नायक (ओडिशा), राजू नायक (ओडिशा), महादेव (झारखंड), मुदतू मुर्म (झारखंड), धीरेन (ओडिशा), चमरा उरॉव (झारखंड), विजय होरो (झारखंड), गणपति (झारखंड), संजय (असम), राम प्रसाद (असम), विशाल (हिमाचल प्रदेश), पुष्कर (उत्तराखंड), दीपक कुमार (बिहार).

दिवाली के दिन हुआ था हादसा
देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्माखाल-यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्कयारा टनल का निर्माण चल रहा है. लगभग 853.79 करोड़ रुपए की लागत से बन रही कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर लंबी इस टनल के बन जाने से होने से धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम होगी आने-जाने में एक घंटे का समय बचेगा. प्रोजेक्ट 2018 में पास हुआ था और 2022 तक इस सुरंग को बनाने की डेडलाइन थी, लेकिन कोरोना काल के कारण सुरंग नहीं बन पाई और अब जब इसे बनाने का काम शुरू किया गया तो हादसा हो गया. 12 नवंबर 2023 दिवाली वाले दिन की सुबह करीब साढ़े 5 बजे अचानक लैंडस्लाइड हुआ और निर्माणाधीन सुरंग पर मलबा गिर गया और आंशिक रूप से धंस जाने के बाद से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए थे. 

मजदूरों के टनल में फंसने के बाद क्या-क्या हुआ?
12 नवंबर- टनल का हिस्सा धंसा.
13 नवंबर- ऑक्सीजन पाइप से मजदूरों से संपर्क.
14 नवंबर-बरमा मशीन से वर्टिकल ड्रिलिंग.
15 नवंबर-दिल्ली से ऑगर ड्रिलिंग मशीन आई.
16 नवंबर-ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू.
17 नवंबर- 24 मीटर के बाद ड्रिलिंग रूकी.
18 नवंबर-होरिजोंटल ड्रिलिंग का फैसला.
19 नवंबर- नितिन गडकरी टनल पर पहुंचे.
20 नवंबर- विदेश से टनल एक्सपर्ट पहुंचे.
21 नवंबर- मजदूरों से पहली बार बातचीत.
22 नवंबर-करीब 45 मीटर होरिजेंटल ड्रिलिंग.
23 नवंबर- 48 मीटर तक ड्रिलिंग पूरी.
24 नवंबर-ऑगर मशीन की ड्रिल टूटी.
25 नवंबर- हैदराबाद से प्लाज्मा मशीन आई.
26 नवंबर- वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू.
27 नवंबर- होरिजोंटल ड्रिलिंग भी शुरू.
28 नवंबर- मजदूरों के लिए शुभ घड़ी आ गई.

 

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