अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. भारत ही नहीं, हिंदी बोलने और लिखने वाले लोग फिजी से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक मिल जाएंगे. हालांकि, हिंदी बोलने वालों का सबसे बड़ा जमावड़ा भारत में मौजूद है और इस आबादी का अधिकांश हिस्सा उत्तर भारत से है.
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों को सलाह दी कि हिंदी को अंग्रेजी भाषा के विकल्प के रूप में बोला जाना चाहिए. पर उनके इस बयान पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हलचल मच गई. खासकर कि दक्षिण के राज्यों में, जहां हमेशा से ही हिंदी को नकारा जाता रहा है.
इसके बावजूद, पिछले 50 सालों में हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. जबकि अन्य ज्यादातर भाषाओं के बोलने वालों की संख्या कम हुई है.
लगभग 53 करोड़ लोगों की मातृभाषा है हिंदी
भारत की लगभग 43.63% आबादी की पहली भाषा हिंदी है. देश के 125 करोड़ लोगों में से लगभग 53 करोड़ लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं. और लगभग 13.9 करोड़ (11% से अधिक) लोगों की यह दूसरी भाषा है. इस तरह से देश में 55% आबादी की मातृभाषा या दूसरी भाषा हिंदी है.
पिछली जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, 1971 से 2011 के बीच हिंदी भाषी लोगों में 161% की वृद्धि आई, जबकि उस अवधि में अन्य भाषाओं को जानने वालों की संख्या में गिरावट आई थी.
12 राज्यों के 90% लोग बोलते हैं हिंदी
पिछली जनगणना के राज्यवार भाषाई आंकड़ों के मुताबिक कि कुल हिंदी भाषी आबादी का 90% से अधिक 12 राज्यों में है. इस सूची में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर हैं. राजस्थान (89%), छत्तीसगढ़ (83%), बिहार (77.52%) और झारखंड (61.94%) अगले चार राज्य हैं जहां हिंदी बोलने वालों की संख्या काफी अधिक है.
हालांकि, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश राज्यों और तटीय क्षेत्रों में हिंदी का प्रभाव न्यूनतम है. पंजाब (9.35%) और जम्मू और कश्मीर (20.8%) में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या कम है.
अधिकांश भारतीय आबादी का मानना था कि मध्य भारत में हिंदी एक प्रमुख भाषा है. पर देश के केवल 12 राज्यों ने हिंदी को अपनी मुख्य भाषा के रूप में चुना है. इतना ही नहीं, पश्चिमी भारत में गुजरात और मध्य भारत में महाराष्ट्र में भी बहुत कम लोग हिंदी को अपनी पहली भाषा के रूप में बोलते हैं. और यह संख्या सबसे कम दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत में है.
हिंदीभाषी लोगों में बढ़ोतरी की वजह
बताया जाता है कि जनगणना में हिंदी के तहत 65 मातृ भाषाएं सूचीबद्ध है. इनमें भोजपुरी भी शामिल है, जो 5 करोड़ लोगों की मातृभाषा है. हालांकि हिंदी से अन्य भाषाओं को हटा दिया जाए, तो भी आंकड़ा 38 करोड़ रहेगा. इसके अलावा, लोगों के पलायन, हिंदी सिनेमा और मुख्यधारा की राजनीति का भी इसमें अहम योगदान है.
बात दूसरी भाषाओं का करें तो बांग्ला दूसरी मातृभाषा है. 1971 में 8.17% लोग बांग्ला भाषी थे पर अब इसकी संख्या 8.03% बची है. पंजाबी इस दौरान 2.57% से बढ़कर 2.74% हो गई. वहीं तीसरे नंबर पर मराठी है.
दक्षिण भारतीय भाषाओं के बारे में चर्चा करें तो तेलुगु 6.7% आबादी की भाषा है और तमिल को 5.7% लोग बोलते हैं. कन्नड़ 3.6% लोगों की भाषा है.