63 साल की महिला ने रिक्शा चालक के नाम की एक करोड़ की संपत्ति, परिजनों ने किया विरोध

ओडिशा में कटक की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने मानवता की मिसाल पेश की. मह‍िला ने इस कहावत को साबित कर दिया, जो कहती थी कि संपति नहीं मानवता ही सबसे बड़ा धन होता है. इस वृद्ध महिला ने महानता और बड़प्पन का परिचय देते हुए निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे एक रिक्शा चालक के नाम तीन मंजिला घर और पूरी संपति करने का फैसला किया है.

Old Women with Rickshawpuller and his wife
मोहम्मद सूफ़ियान
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST
  • रिक्शा चालक ने बुजुर्ग मह‍िला की निस्वार्थ भाव से की सेवा
  • परिजनों ने किया मह‍िला के इस फैसले का विरोध

ओडिशा में कटक की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने मानवता की मिसाल पेश की है. मह‍िला ने इस कहावत को साबित कर दिया, जो कहती थी कि संपति नहीं मानवता ही सबसे बड़ा धन होता है. यह घटना समाज के लिए प्रेरणादायक बन गई है. कटक की रहने वाली इस वृद्ध महिला ने महानता और बड़प्पन का परिचय देते हुए निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे एक रिक्शा चालक के नाम तीन मंजिला घर और पूरी संपति करने का फैसला किया है. हालांकि, महिला के परिजनों को उनके इस फैसले से नाराजगी है, जिसके लिए उन्होंने उन्हें खरी-खोटी भी सुनाई. मगर बुजुर्ग महिला अपने फैसले पर अटल रहीं. बताया जा रहा है कि वर्तमान समय में घर के साथ जेवरात और अन्य घरेलू समानों की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है.

बेटी के जाने के बाद अकेले रह गईं मिनाती 
यह कहानी 63 वर्षीय महिला मिनाती पटनायक की है. मिनाती कटक जिले के सुताहटा इलाके में रहती हैं. पिछले साल अपने पति कृष्ण कुमार पटनायक के देहांत के बाद मिनाती अपनी बेटी कोमल के साथ घर पर रहने लगीं. पति के देहांत के छह महीने बाद बेटी कोमल की द‍िल का दौरा पड़ने से मौत की खबर ने मिनाती को पूरी तरह से बेबस और लाचार बना दिया. ऐसे समय में मिनाती के परिजनों ने भी उसे अकेले जिंदगी बिताने के लिए छोड़ दिया.

रिक्शा चालक ने निस्वार्थ भाव से की सेवा
बताया जा रहा है क‍ि रिक्शा चालक बुद्धा सामल और उसके परिवार ने निस्वार्थ भाव और इंसानियत के साथ मिनाती पटनायक का पूरा ख्याल रखा. सामल और उसके परिवार न केवल मिनाती का अकेलापन दूर किया बल्कि अस्पताल से लेकर घर तक नियमित रूप से उनका ध्यान रखा. 'आजतक' से बातचीत में मिनाती पटनायक ने कहा कि मैं अपनी पूरा संपति को एक गरीब परिवार को दान में देना चाहती थी. मैंने अपनी पूरी संपति कानूनी रूप से रिक्शा चालक सामल के नाम करने का फैसला किया है ताकि मेरे मरने के बाद उसे संपति को लेकर कोई परेशान न कर सके.

परिजनों ने किया विरोध
मिनाती ने बताया कि उनकी बहन उनके इस फैसले के खिलाफ हैं. उसका (बहन) कहना है कि इस तरह से संपति को रिक्शा चालक को दान देना ठीक नहीं है. मिनाती ने कहा कि मेरी बेटी कोमल की मौत के बाद परिवार के किसी भी सदस्य ने मेरा हालचल नहीं पूछा. यहां तक की परिवार का कोई भी सदस्य मुझसे मिलने के लिए भी नहीं आया. बुद्धा (रिक्शावाला) और उसका परिवार पिछले 25 सालों से मेरे परिवार के साथ खड़ा रहा. मिनाती ने कहा कि जब कोमल छोटी थी और वह स्कूल जाया करती थी तो बुद्धा उसका पूरा ध्यान रखा करता था. बुद्धा और उसका परिवार सदैव मेरे साथ रहा है. साथ ही मेरे परिवार के लिए उन लोगों ने परिवार के सदस्य से भी बढ़ कर काम किया है.

पहले बुजुर्ग महिला की बेटी की सेवा करता था बुद्धा
वहीं बुद्धा ने बताया कि वह करीब 25 सालों से इस (बुजुर्ग महिला) के परिवार से जुड़े है. बुद्धा ने कहा, "मैं पहले घर के मालिक बाबू और बिटिया कोमल की सेवा करता था. मैं अपनी रिक्शा में केवल मिनाती जी के परिवार के सदस्यों को ही अपनी सवारी बनाता था. मिनाती मैडम ने सदैव त्योहारों एवं अन्य दिनों में हमेशा हमारी मदद की हैं. हमने वर्षों से निस्वार्थ भाव से मिनाती जी और उनके पति के साथ बच्ची कोमल का ख्याल रखने की कोशिश की है. अब केवल मिनाती जी इस दुनिया में जीवित हैं और हम उनका पूरा ख्याल रखेगें. अपनी पूरी संपति मेरे नाम करना यह उनका बड़प्पन और महानता है."

 

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