पानी नहीं ज़हर पी रही है भारत की 80 फीसदी आबादी, ग्राउंड वाटर को लेकर सरकार की रिपोर्ट

जल ही जीवन है. यानी बगैर पानी के धरती पर जिन्दगी की कल्पना नहीं की जा सकती. इंसान के शरीर में भी पानी की कमी हो जाए तो वो बीमार पड़ सकता है. पानी की अहमियत हम सभी जानते हैं. लेकिन सोचिए अगर पानी ही हमारे लिए जहर बन जाए तो?

80 indians likely drinking poisonous
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • जहर बनाता जा रहा है पीने का पानी
  • जहरीला पानी  शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा है

पानी के बिना धरती पर कोई भी अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता है, वहीं अगर इंसान के शरीर में पानी की कमी हो जाए तो कई तरह की बीमारियां पैदा हो जाती है. लेकिन क्या हो अगर यही पानी ज़हर बन जाए. भारत सरकार की तरफ से सामने आए एक रिपोर्ट से ये पता चलता है कि आने वाले समय में ग्राउंड वॉटर जहरीला बन जाएगा. रिपोर्ट ये बताती है कि 80 फीसदी आबादी मोटे तौर पर कुएं, हैंडपंप या नदी तालाब के पानी पर निर्भर करती है, और अब ये पानी ज़हर बन चुका है. सरकारी रिपोर्ट ये दावा करती हैं कि ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक और शीशा जैसे धातु बड़ी मात्रा में पाए जा रहे हैं. पानी में पाए जाने वाले ये धातू इतने बारीक हैं कि नंगी आंखों से इन्हें देखा नहीं जा सकता, और ये सूक्ष्म कण हमारे लिए ज़हर का काम कर रहे हैं. आईये सरकार की इस रिपोर्ट को समझते हैं. 

रिपोर्ट समझिए 

आम तौर पर एक आदमी को रोजाना करीब 3 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है. कम से कम 2 लीटर पानी तो जीने के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन सवाल है कि 2 लीटर पानी के साथ थोड़ा- थोड़ा जहर जो शरीर में जा रहा है क्या वो इंसान को देर तक जीने देगा ? सवाल का जवाब यकीनन ही ना है. अलग-अलग राज्यों के पानी में कितना जहर घुला है उसे यहां पर बता रहे हैं.

 

  •  25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है. 
  • 29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आयरन की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है. 
  • 11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पाई गई है. 
  • 16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है. 
  • 18 राज्यों में 152 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा यूरेनियम पाया गया है. 

'जहरीला' पीने किसकी जान का दुशमन 

जहरीला पानी  शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा है, क्योंकि भारत की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है. यहां पीने के पानी के मुख्य स्रोत हैंडपंप, कुएं,. नदियां या तालाब हैं. यहां पानी सीधे जमीन से आता है. इसके अलावा गांवों में आमतौर पर इस पानी को साफ करने का कोई तरीका नहीं है. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. 

जहरीला पानी किस तरह हमें नुकसान पहुंचाता है 

  • पानी में आर्सेनिक  ज्यादा मात्रा में होने से त्वचा रोगों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
  • आयरन ज्यादा होने  का मतलब तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियां जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन का होना.
  • पानी में लेड ज्यादा होने पर हमारे नर्वस सिस्टम पर खराब असर पड़ता है. 
  • कैडमियम के उच्च स्तर से किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. 
  • क्रोमियम की मात्रा ज्यादा होने पर छोटी आंत में डिफ्यूज हाइपरप्लासिया हो सकता है, जिससे ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है. 
  • पीने के पानी में यूरेनियम की ज्यादा मात्रा से किडनी की बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. 

इससे निबटने के लिए सरकार क्या कर रही है 

प्रेजेंटेशन में केंद्र सरकार ने बताया कि जहरीला पानी का मामला राज्य का विषय है और लोगों को पीने का पानी मुहैया कराना राज्यों की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार ने आगे बताया कि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वे कई योजनाएं भी चला रहे हैं.

21 जुलाई को केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया था कि अगस्त 2019 में शुरू किया गया जल जीवन मिशन यह सुनिश्चित करेगा कि 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नल का पानी पीने को मिले. सरकार ने ये भी बताया कि देश के 19.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से अब तक 9.81 करोड़ घरों में नल के पानी की आपूर्ति की जा रही है. 

इसके अलावा केंद्र सरकार अक्टूबर 2021 में अमृत 2.0 योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत अगले 5 साल यानी 2026 तक सभी शहरों में नल के पानी की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है.

 

Read more!

RECOMMENDED