त्वरित विश्लेषणः सीएम केजरीवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा, 'आज से दो दिन के बाद वे इस्तीफा देने जा रहे हैं और तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती कि केजरीवाल ईमानदार हैं... आज से कुछ महीने बाद दिल्ली के चुनाव है, अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार है, तो आने वाले चुनाव में मेरे पक्ष में वोट दे देना. आपका एक एक वोट मेरी ... ईमानदारी का सर्टिफिकेट होगा. उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल चोर है, मैं सत्ता का खेल खेलने के लिए नहीं आया था, देश के लिए कुछ करने आया था. जब 14 साल बाद भगवान राम वनवास से लौटे, सीता मैया को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी. आज मैं जेल से आया हूं और अग्निपरीक्षा देने के लिए तैयार हूं.
केजरीवाल की हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे देने की घोषणा क्या उनके और पार्टी के लिए जबर्दस्त स्ट्रेटजिक मूव होगी? आइए, समझते हैं कि केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान से पार्टी और खुद उनको क्या-क्या फायदा हो सकता है?
1. रिस्पांसिबल दिखेंगे… छवि सुधरेगी- पब्लिक सपोर्ट बढ़ेगा...
केजरीवाल ने कहा कि वह दो दिनों के बाद इस्तीफा दे देंगे और तब तक मुख्यमंत्री कार्यालय में नहीं लौटेंगे जब तक कि वह जनता का विश्वास हासिल नहीं कर लेते. उनके इस रणनीतिक मूव से केजरीवाल और AAP दोनों को बहुत मदद मिलेगी. सीएम आवास की साज-सज्जा में 45 करोड़ रुपये खर्च कर देना...जल विभाग में घोटाले की सुगबुगाहट होना...शराब घोटाले में कथित संलिप्तता की बात चलना...इन सभी मामलों ने केजरीवाल और पार्टी की छवि खराब की थी. चूंकि AAP और केजरीवाल ने अपनी ब्रांडिंग कट्टर ईमानदार नेता और पार्टी की कर रखी है. इस वजह से भ्रष्टाचार के जरा से भी छींटे उनकी राजनीति की संभावनाओं को दागदार कर सकते हैं. इस इस्तीफे से जनता में मैसेज जाएगा कि केजरीवाल कुर्सी से चिपके रहने वाले नेता नहीं हैं. वे आज भी जवाबदेही लेने से नहीं हिचकते हैं. अपने इस्तीफे से वे जनता में अपनी छवि बेहतर कर सकते हैं. ऐसा नेता जो अपने सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध है. जो जन अदालत में अपना फैसला चाहता है. केजरीवाल के इस्तीफे से उनकी छवि एक शहीद और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा के रूप में मजबूत होगी, जिसका लंबे समय में AAP को फायदा हो सकता है. चूंकि अगले महीने ही हरियाणा के चुनाव हैं. फिर उसके बाद महाराष्ट्र और अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में चुनाव होंगे. इस रणनीतिक मूव से वे ना सिर्फ विपक्ष को हतप्रभ करेंगे बल्कि अपनी छवि को मजबूत करने में सफल हो सकते हैं.
2. साजिश का शिकार… बीजेपी के खिलाफ गढ़ेंगे नया नरैटिव
केजरीवाल का इस्तीफा भारतीय जनता पार्टी के साथ चल रही खींच-तान और तनाव के बीच आया है. भाजपा भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत शर्तों के बाद लगातार उनके नेतृत्व की आलोचना करती रही है. इस इस्तीफे से केजरीवाल खुद को किसी भ्रष्टाचार में लिप्त नेता के बजाय राजनीतिक साजिश के शिकार नेता के रूप में प्रस्तुत करेंगे.
उनके बयान भी इसी ओर इशारा करते हैं. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने कानून बनाकर मेरे काम बंद करने की कोशिश की. जनता के आशीर्वाद से बीजेपी के सारी साजिशों का मुकाबला करने की ताकत रखते हैं. बीजेपी के आगे हम ना झुकेंगे, ना रुकेंगे और ना बिकेंगे. आज दिल्ली के लिए कितना कुछ कर पाए क्योंकि हम ईमानदार हैं. आज बीजेपी हमारी ईमानदारी से डरते हैं क्योंकि ये ईमानदार नहीं है. मैंने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया क्योंकि मैं देश के जनतंत्र को बचाना चाहता हैं. अगर मैं इस्तीफा दे देता ये एक-एक करके सबको जेल में डालते क्योंकि सिद्धारमैया, ममता दीदी, पिनाराई विजयन सबके खिलाफ केस कर रखा है. हम पद के लालची हैं इसलिए क्योंकि हमारे लिए हमारा संविधान जरूरी है, जनतंत्र को बचाना जरूरी है. उनके पूरे बयान से साफ समझ में आता है कि वे भ्रष्टाचार का खुद पर का टैग लगाने की जगह सिस्टम की साजिश के शिकार के रूप में दिखने की कोशिश करेंगे. वे इस मास्टर स्ट्रोक से नरैटिव चेंज कर सकते हैं. अपने इस बलिदान से कहानी को अलग तरह का मोड़ भी दे सकते हैं.
उन्होंने भाजपा पर आरोप भी लगाया है कि ये बिजली फ्री नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये बेईमान हैं. कई राज्यों में इनकी सरकारें हैं लेकिन ये इलाज नहीं कर सकते हैं, ठीक नहीं कर सकते हैं. इन्होंने हमारे खिलाफ ईडी छोड़ दी, सीबीआई छोड़ दी लेकिन हम ईमानदार हैं. मेरे लिए बीजेपी मैटर नहीं करती हैं, मेरे लिए आप लोग मायने रखते हैं. मैंने जिंदगी में कुछ नहीं कमाया लेकिन इज्जत कमाई....
उनकी यह रणनीति उन मतदाताओं को एकजुट करने में मदद कर सकती है जो भाजपा को केजरीवाल के खिलाफ राजनीतिक कॉन्सिपेरेसी का दोषी मानते हैं. इससे वे अपनी पार्टी का भी जमीनी आधार मजबूत करने में सफल हो सकते हैं.
3. सिम्पैथी वोटिंग… हरियाणा चुनाव में मिल सकता है फायदा...
केजरीवाल चूंकि हरियाणा से आते हैं. वे खुद को हरियाणा का भूमिपुत्र कहते हैं. इसके अलावा चूंकि राज्य में उनका कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो सका है तो उनके इस्तीफे से आगामी चुनावों में AAP को सहानुभूति वोट मिल सकते हैं. इसी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और आप दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था जिसकी वजह से वहां 10 में से 5 सीटें इंडिया गठबंधन के पक्ष में गई थीं. अच्छा खासा माहौल भी इन दोनों पार्टियों पक्ष में बना था लेकिन इस मूमेंटम में वोट बैंक का ज्यादा फायदा आप को नहीं मिल सका था. तो इस नजरिये से केजरीवाल का इस्तीफा हरियाणा चुनावों में आप को कई सीटों पर सिम्पैथी वोटिंग का फायदा मिल सकता है.
4. INDIA को मजबूती... बन सकते हैं विपक्षी एकता की धुरी
उनके इस्तीफे से सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हो सकते हैं, जिससे एक मजबूत भाजपा विरोधी गठबंधन बन सकता है. चूंकि इस गठबंधन की धुरी केजरीवाल होंगे तो निश्चित तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बढ़ता हुआ दिखेगा. हरियाणा जहां सीधे तौर पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां तो इस कदम से फायदा मिलेगा ही लेकिन महाराष्ट्र चुनाव में वे इंडिया अलायंस के स्टार प्रचारक के रूप में दिखाई देंगे. वहां भी वे अपनी शहादत को भुनाते दिखाई देंगे.
महाराष्ट्र में अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ महौल बना हुआ है. लोकसभा चुनाव में भाजपा की महायुति महाअघाड़ी से पिछड़ भी गई थी. हाल के सर्वे भी यही बता रहा हैं कि महाअघाड़ी सरकार बनाने के नजदीक है...ऐसे में केजरीवाल सरकार के खिलाफ बने माहौल को गरमाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
5. नेशनल अटेंशन... AAP का विस्तार होगा
पिछले कुछ महीने से AAP लगातार चर्चा में बनी हुई थी. भले ही उसका आधार दो राज्यों में था लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी ने पहले ही आप पार्टी किसी न किसी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर बज़ क्रियेट करने में सफल थी. केजरीवाल के इस्तीफे से AAP के बारे में पूरे देश में चर्चा होगी. आप के नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा भी था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी ने पहले ही पार्टी को बढ़ावा दिया है और इसे राजनीति के केंद्र में ला दिया है.
इस्तीफे से यह बात विस्तार पाएगी. केजरीवाल खुलकर मतदाताओं के साथ जुड़ने का प्रयास करेंगे. जिससे पार्टी का विस्तार होगा. महाराष्ट्र में भी यदि वे प्रचार के लिए जाएंगे तो इस प्रयास में वे राज्य में आम आदमी पार्टी के लिए भी संभावनाओं के दरवाजे खोल सकते हैं. यानी इंडिया अलायंस को मजबूती देने के साथ ही वे भी अपनी पार्टी के विस्तार की गुंजाइश भी बना सकते हैं.