Adopted child returned: गोद लिया बच्चा वापस करना हो क्या करें, क्या हैं Adoption से जुड़े नियम-कानून?

केवल ऐसे ही बच्चों को गोद लिया जा सकता है जो कानूनी तौर पर गोद लेने के लिए फ्री हो. गोद लेने के लिए माता-पिता को भी कुछ मानदंडों को भी पूरा करना होता है. इसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्थिरता, वित्तीय क्षमता जैसी चीजें शामिल हैं.

Adoption Rules in India
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST
  • वापस कर सकते हैं गोद लिया बच्चा
  • अधिकारों और जिम्मेदारियों को कायम रखना जरूरी

adoption laws in india : देश के दो राज्यों में हाल ही में Adoption के अजीब मामले सुर्खियों में रहे. इसमें एक मामला उत्तर प्रदेश से जुड़ा है और दूसरा केरल का. इन दोनों ही मामलों में बच्चा गोद लेने वाले दंपति ने बच्चा वापस किए जाने की गुजारिश की.

एक मामला यूपी के गाजियाबाद से जुड़ा है जहां एक कपल ने अगस्त 2023 में एक बच्चे को गोद लिया था. ये बच्चा सितंबर 2022 में दक्षिण मुंबई में पुलिस को लावारिस हालत में मिला था. इस बच्चे को गोद लेने वाले कपल ने बीते दिसंबर में मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उनका बच्चे के साथ कोई संबंध नहीं है. साथ ही उन्होंने बच्चे के 'बुरे व्यवहार' की शिकायत की है.

ठीक इसी तरह का एक मामला केरल में सामने आया जहां बच्ची को गोद लेने वाले दंपति ने केरल हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इसे वापस करने का अनुरोध किया. इस दंपति का कहना था कि बच्ची उन्हें पेरेंट्स के रूप में स्वीकार नहीं कर पाई है और कभी कभी तो बेवजह गुस्सा भी करने लगती है.

इन दो मामलों ने गोद लेने वाले बच्चे (Adopted Child) और गोद लेने वाले माता-पिता, दोनों के अधिकारों के बारे में बहस छेड़ दी है. अपने देश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया (adoption process in india) क्या है और इसमें किस तरह की चुनौतियां सामने आती हैं, विस्तार से जानते हैं.

बच्चा गोद लेना मुश्किल या आसान? 

महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के मुताबिक दत्तक ग्रहण या एडॉप्शन (Adoption) एक कानूनी प्रक्रिया है. इसके माध्यम से गोद लिया गया बच्चा दत्तक माता-पिता (adoptive parent) का वैध बच्चा बन जाता है. इस प्रक्रिया की मदद से दत्तक माता-पिता को वे सभी अधिकार, विशेषाधिकार और जिम्मेदारियां जी जाती हैं, जो एक जैविक माता-पिता (biological parents) के पास होती हैं. हालांकि, बच्चा गोद लेना इतना आसान नहीं है. 

कैसे ले सकते हैं बच्चा गोद?

भारत में संतान को गोद लेने या एडॉप्शन के मामले सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के दिशानिर्देशों के तहत नियंत्रित होते हैं. सबसे बड़ी शर्त तो ये है कि केवल ऐसे ही बच्चों को गोद लिया जा सकता है जो कानूनी रूप से वैध हों. यानी जिसे बाल कल्याण समिति ने कानूनी तौर पर गोद लेने के लिए फ्री (Legally Free) का दर्जा दिया हो.

इतना ही नहीं बल्कि जो माता-पिता बच्चा गोद लेना चाहते हैं उन्हें भी कुछ मानकों को पूरा करना होता है. गोद लेने वाले कपल शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से सक्षम होने चाहिए, उनकी आर्थिक हालत ठीक होनी चाहिए, और उनकी मेडिकल कंडीशन ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे बच्चे की जिंदगी पर कोई खतरा पैदा हो जाए. ऐसे दंपति को किसी क्रिमिनल मामले में कभी दोषी नहीं ठहराया गया हो. ये बाल अधिकारों के उल्लंघन के किसी भी मामले में आरोपी भी नहीं होने चाहिए.  

बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया से जुड़ी तमाम जानकारियां CARA की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. इनमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, एडॉप्शन एजेंसी (SAA) का चयन और सोशल वर्कर की मदद शामिल है. 

बच्चे को लौटाना चाहते हों तो?

हालांकि, इतनी कड़ी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बावजूद भी कई बार माता-पिता एडॉप्ट किए हुए बच्चे को वापस लौटा देते हैं. अपने देश में पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. CARA के आंकड़ों के अनुसार, 2014 और 2019 के बीच 1,100 से ज्यादा गोद लिए गए बच्चों को उनके पेरेंट्स ने वापस कर दिया था. 

कई एक्सपर्ट की मानें तो गोद लेने वाले माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए बेहतर तैयारी और परामर्श (counselling) की जरूरत होती है. कई बार बच्चे को वापस करने के पीछे की वजह माता-पिता की ओर से भावनात्मक जुड़ाव की कमी या अवास्तविक अपेक्षाएं बनती हैं. जबकि कई बार बच्चे को वापस करना उनकी खुद की बेहतरी के लिए हो सकता है.

अधिकारों और जिम्मेदारियों को कायम रखना जरूरी

उत्तर प्रदेश के कपल के मामले में, गोद लेने वाले माता-पिता ने भावनात्मक जुड़ाव की कमी और व्यवहार संबंधी मुद्दों का हवाला दिया. हालांकि, बच्चे को वापस करने की मांग के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपनी बात कही. जस्टिस रियाज चागला ने एडॉप्शन ऑर्डर को रद्द कर दिया. साथ ही एडॉप्शन अथॉरिटी को कहा कि वे बच्चे को 'गोद लेने के लिए फ्री’ के रूप में फिर से रजिस्टर कर दें. ताकि बच्चे को कोई दूसरे माता-पिता अडॉप्ट कर सकें और उसका भविष्य अच्छा हो सके. इसी तरह, केरल हाई कोर्ट ने 2018 में गोद ली गई लड़की को वापस करने की मांग पर Thiruvananthapuram District Legal Services Authority के सचिव को लड़की से मिलकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.  

 

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