Amar Jawan Jyoti: आज से नहीं जलेगी अमर जवान ज्योति, जानें क्या है वजह

अमर जवान ज्योति, एक शाश्वत ज्वाला है, जिसे 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे जलाया गया था. दरअसल इसे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में जलाया गया था.

आज से नहीं जलेगी अमर जवान ज्योति
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:43 AM IST
  • राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शामिल हो जाएगी शाश्वत लौ
  • 50 साल बाद बुझेगी अमर जवान ज्योति

हमारे वीरों की याद में जल रही अमर जवान ज्योति को 50 सालों बाद बुझाया जा रहा है. इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) को 50 वर्षों में पहली बार बुझाया जाएगा. उसके बाद गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर शुक्रवार यानी 21 जनवरी को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) की लौ में मिला दिया जाएगा.
एक भारतीय सेना ने बताया कि, "इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया जाएगा और शुक्रवार को एक समारोह में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में आग में मिला दिया जाएगा."
अधिकारियों ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे, जो दोनों आग को मिला देंगे.

अमर जवान ज्योति का इतिहास
अमर जवान ज्योति, एक शाश्वत ज्वाला है, जिसे 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे जलाया गया था. दरअसल इसे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में जलाया गया था. इस स्मारक पर एक उल्टे बेनट और इसके ऊपर सैनिक के हेलमेट का प्रतीक है. साथ में उसके बगल में अमर जवान ज्योति जलती थी, जो अब नहीं जलेगी.

एक नई लौ क्यों?
दो साल पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अस्तित्व में आने के बाद अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे थे. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर भी एक नई शाश्वत लौ जलने लगी थी. हालांकि उस समय भारतीय सेना चाहती थी कि अमर जवान ज्योति जलती रहे, क्योंकि यह देश के इतिहास का प्रतीक है. लेकिन धीरे-धीरे सभी निर्धारित दिनों में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर ही पुष्पांजलि दी जाने लगी, और यहां पर नई लौ जला दी गई. जिसके बाद अब भारतीय सेना ने अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाने का फैसला लिया है.

क्या है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक?
40 एकड़ में फैला राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट परिसर में है और 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन के दौरान मारे गए सैनिकों और 1999 के कारगिल संघर्ष में मारे गए सैनिकों को समर्पित है. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में मारे गए सैनिकों के अलावा ये सभी शहीद सैनिकों को समर्पित है.

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