Delhi-NCR में वायु प्रदूषण उच्चतम स्तर पर, कब जहरीली होती है हवा, कैसे किया जाता है पता? ऐसे करें इससे अपना बचाव

Delhi-NCR Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा काफी जहरीली हो चुकी है. एक्यूआई लेवल काफी चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है. शनिवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का एक्यूआई बहुत खराब स्तर (400 के पार) दर्ज किया गया. 

वायु गुणवत्ता में आई गिरावट
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST
  • तेजी से बढ़ रहा वायु प्रदूषण का स्तर 
  • घर से बाहर निकलते समय बरतें सावधानी

राजधानी दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों वायु प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है. पिछले सात दिनों में यहां की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है. शनिवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का एक्यूआई बहुत खराब स्तर (400 के पार) दर्ज किया गया. इस तरह की वायु गुणवत्ता को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता है. आइए जानते हैं कब जहरीली हवा होती है और इसे कैसे पता किया जाता है? 

पूरे एनसीआर की हवा हर घंटे हो रही खराब
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिगड़ते मौसम का आंकलन करने को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) तैयार किया है. यह वह मानक है, जिसके आधार पर पूरी दुनिया तय करती है कि मौसम मानव जीवन के अनुकूल है या प्रतिकूल? एक नवंबर 2023 को मौसम ने अपना असर दिखाना शुरू किया और दो नवंबर आते-आते पूरे एनसीआर की हवा हर घंटे खराब ही हो रही है.

वायु प्रदूषण को कैसे मापा जाता है 
हवा की शुद्धता मापने के लिए AQI का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक इकाई है, जिसके आधार पर पता चला जाता है कि उस इलाके की हवा कितनी साफ है. इसमें अलग-अलग कैटेगरी होती है, जिससे समझा जाता है कि उस स्थान की हवा में कितना प्रदूषण है. एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूशकों ((PM10, PM2. 5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb) से मिलाकर बनाया जाता है. घुले जहरीले और मिट्टी के कणों को मापने के लिए PM2.5 और PM10 का इस्तेमाल होता है. 

क्या हैं एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक
50 तक AQI: अच्छा
51-100 AQI: संतोषजनक
101-200 AQI: मध्यम
201-300 AQI: खराब
301-400 AQI: बहुत खराब
401-500 AQI: गंभीर, यह स्टेज 3 के अंतर्गत आता है. 

कब जहरीली होती है हवा
हवा में जब कॉर्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया, ग्राउंड लेवल ओजोन, लेड यानी सीसा, ऑरसेनिक निकल, बेन्जेन, बेन्जेन पायरिन, पीएम-10 और पीएम-2.5 की मात्रा अचानक बढ़ जाती है तब हवा खराब होने लगती है. इसमें पीएम 2.5 की भूमिका बेहद खतरनाक है. यह विजिबिलिटी कम कर देती है. इसके कण बहुत छोटे होते हैं. एक मीटर का 10 लाखवां हिस्सा होता है इसका एक कण. ये कण आसानी से हमारे शरीर में पहुंचकर खून में शामिल हो जाते हैं. इसका तत्काल असर अस्थमा और सांस के मरीजों की दिक्कत बढ़ा देता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स जब मध्यम यानी 101-200 के बीच होता है, तभी जनस्वास्थ्य पर बुरा असर डालना शुरू कर देता है. 100 या उससे कम पर AQI मान आमतौर पर संतोषजनक माना जाता है. 

क्यों अचानक बढ़ गया प्रदूषण
ठंड का मौसम जैसे ही आता है तब गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से पीएम-2.5 की मात्रा 25 फीसदी तक बढ़ जाती है, जबकि गर्मियों में यह 8-9 फीसद रहती है. सड़कों पर जमी धूल भी इसमें वृद्धि करती है. आईआईटी कानपुर की स्टडी के हवाले से संसदीय समिति ने इसका खुलासा किया था. दिल्ली में रोज पांच हजार टन कूड़ा निकलता है और इसे शहर में ही अलग-अलग इलाकों में डंप किया जाता है. यहां अक्सर आगजनी भी होती है तब जहरीला धूंआ प्रदूषण को और बढ़ाता है. पटाखे-पराली का भी योगदान इसमें है. इस बार अक्टूबर में बारिश न होने की वजह से भी हवा खराब हुई है.

जहरीली हवा से हर साल 70 लाख मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया में हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली हवा के कारण होती है. भारत में यह संख्या 16 लाख से ज्यादा है. एक अन्य स्टडी कहती है कि खराब हवा सीधे उम्र पर असर डालती है. विश्व स्तर पर यह 2.2 वर्ष है. दिल्ली-यूपी में 9.5 साल से ज्यादा उम्र कम हो रही है. भारत में 2019 में 1.16 लाख ऐसे नवजात केवल एयर क्वालिटी की वजह से मौत के मुंह में समा गए, उन्होंने एक महीने भी दुनिया नहीं देखी.

वैज्ञानिकों ने जताई चिंता
इस बीच एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में साल-दर-साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई 500 के आंकड़े को छू रही है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से करीब 100 गुना अधिक है. दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी आशंका जताई गई है. 

दिल्ली में डॉक्टरों का कहना है, प्रदूषण बढ़ने के कारण इसके कई तरह के हानिकारक स्वास्थ्य जोखिम वाले लोगों के मामले भी बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि यहां सांस संबंधी समस्या वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है. प्रदूषण, फेफड़ों के साथ शरीर के कई अन्य अंगों को भी गंभीर तौर पर प्रभावित करता देखा जा रहा है. 

वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
1. जुकाम.
2. सांस लेने में तकलीफ.
3. दम घुटना.
4. आंखों में जलन.
5. खांसी, टीबी और गले में इन्फेक्शन.
6. साइनस, अस्थमा.
7. लंग्स की बीमारी.

वायू प्रदूषण से बचने के उपाय
1. जब भी घर से बाहर जाएं तो मुंह पर मास्क लगाकर जाएं.
2. प्रदूषण त्वचा और आंखों को भी प्रभावित कर सकता है. तो जब भी घर से बाहर निकलें आंखों पर चश्मा जरूर लगा लें.
3. अगर आप मुंह पर मास्क लगा कर बाहर निकल रहे हैं, तो उसे बार-बार छूएं नहीं.
4. बाहर ही नहीं घर की हवा भी प्रदूषित होती है, तो घर में नियमित डस्टिंग करते रहें.
5. घर के बाहर सड़क को गीला करें. ऐसा करने से धूल के दूषित कण हवा में नहीं उड़ेंगे.
6. आसपास प्रदूषण बढ़ने पर बाहर खुले में कसरत न करें क्योंकि कसरत करते हुए हम गहरी सांस लेते हैं, जिससे धूल के कण सांस के जरिए अंदर चले जाते हैं.
7. प्रदूषण और धुआं हमारे हाथों पर भी इकट्ठा हो जाता है इसलिए बार-बार हाथों को जरूर धोना चाहिए.
8. किचन और नहाने वाले कमरे में नम हवा से फंगस का खतरा रहता है. फंगस से बचने के लिए इन जगहों पर एग्जॉस्ट फैन लगवाएं.
9. वायु प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप हाइड्रेशन का विशेष ध्यान रखें. पानी पीते रहने से आपको बेहतर सांस लेने में मदद मिलती है.

बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए करें इन फूड्स का सेवन
आंवलाः बढ़ते प्रदूषण के खतरे से बचने के लिए आप अपनी डाइट में आंवले को शामिल कर सकते हैं. आंवले को विटामिन सी का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. आंवले में एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है जो फ्री रैडिकल की सफाई करने में मदद कर सकता है. 
हरी पत्तेदार सब्जियांः हरी पत्तेदार सब्जियां सिर्फ प्रदूषण से ही बचाने का काम नहीं करती बल्कि शरीर के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है. सब्जियां, चौलाई का साग, गोभी और शलजम में विटामिन्स के तत्व पाए जाते हैं. जो आपको कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती हैं. 
काली मिर्चः काली मिर्च में विटामिन और मिनरल्स के गुण पाए जाते हैं. काली मिर्च को चाय में डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं. काली मिर्च पाउडर और शहद को मिलाकर सेवन करने से प्रदूषण के कारण सीने में जमा हुए कफ से निजात पाया जा सकता है. 
अदरकः अदरक को औषधीय गुणों का खजाना कहा जाता है. अदरक खाने से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है. ये प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकता है. अदरक को आप चाय या शहद के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं.
संतराः संतरा विटामिन सी का अच्छा सोर्स माना जाता है. जो आपको प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकता है. संतरे के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है. जो प्रदूषण से होने वाले खतरे से बचाने में मदद कर सकता है. 
गुड़ः सर्दियों में गुड़ खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि गुड़ में मौजूद आयरन रक्त में ऑक्सीजन सप्लाई को सुचारू बनाए रखने में मदद करता है. जो प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकते हैं.
नट्सः नट्स खाना सेहत के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. नट्स में बादाम, पिस्ता, अखरोट आदि को अपनी डाइट में शामिल करें. ये विटामिन ई के अच्छे स्त्रोत माने जाते हैं. विटामिन ई प्रदूषण से बचाने में मददगार हो सकता है.


 

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