Ajit Doval Birthday: कभी रिक्शा चलाया... तो कभी बने मुस्लिम... आज भी इनका नाम सुन कांप जाता है पाकिस्तान... मोदी टीम के नायक अजीत डोभाल की ऐसी है कहानी  

Happy Birthday Ajit Doval: भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं. पीएम मोदी ने उन्हें तीसरी बार एनएसए पद की जिम्मेदारी दी है. अजीत डोभाल कि गिनती देश के टॉप जासूसों में की जाती है. वह दुश्मन देशों से जानकारी जुटाने के लिए कभी रिक्शा वाला बने तो कभी उन्हें मुस्लिम तक बनना पड़ा. आज भी इनका सिर्फ नाम सुन पाकिस्तान कांप जाता है.

Ajit Doval
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST
  • 20 जनवरी 1945 को हुआ था अजीत डोभाल का जन्म 
  • इराक से नर्सों की सुरक्षित वापसी में निभाई थी प्रमुख भूमिका

अपनी रणनीतिक कौशल और बुद्धि के बल पर देश-विदेश के बड़े-बड़े दुश्मनों को धूल चटाने वाले अजीत डोभाल (Ajit Doval) का जन्म 20 जनवरी 1945 को हुआ था. देश के हित के लिए डोभाल को जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसमें वे सफल हुए.

वो कभी रिक्शा वाला तो कभी वेश बदलकर दूसरे देश का नागरिक बन दुश्मनों के साथ मिलकर उनसे सारी जानकारी लेकर अपने जाल में फंसाकर समर्पण कराने जैसे कई खतरनाक व अविश्वशनीय कारनामे कर चुके हैं. 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 80 साल के हो गए हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के द्रष्टिगत उनके कई किरदार हैं. आइए आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की कहानी जानते हैं.

फील्ड एजेंटों से रहते हैं सीधे संपर्क में 
अजीत डोभाल भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, जिन्हें 2024 में तीसरी बार एनएसए का पद संभालने की जिम्मेदारी मिली है, जो उनकी राष्ट्र के प्रति निष्ठा और क्षमता दोनों को दर्शाती है. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद अजीत डोभाल भारत के तीसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं. भारतीय खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने नाम न लिए जाने की शर्त पर बताया कि डोभाल भारतीय खुफिया एजेंसियों के कमांड स्ट्रक्चर को बाइपास करते हुए फील्ड एजेंटों से सीधे संपर्क में रहते हैं.

पीएम मोदी ने डोभाल के नाम पर लगाई मुहर 
मोदी से अजीत डोभाल की नजदीकी उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले शुरू हो चुकी थी, जब डोभाल विवेकानंद फाउंडेशन के प्रमुख हुआ करते थे. वर्ष 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल, वर्तमान विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर, पूर्व राजनयिक हरदीप पुरी और अजीत डोभाल के नाम पर विचार हुआ लेकिन नरेंद्र मोदी ने डोभाल के नाम पर ही मुहर लगाई. ऐसा कहा जाता है कि जब मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने तो मोदी के प्रधान सचिव ने हस्ताक्षर के लिए जो पहली फाइल उनके पास रखी थी, वह डोभाल की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में नियुक्ति की थी. तब से, डोभाल मोदी के दाहिने हाथ रहे हैं.

पहले प्रयास में ही यूपीएससी का एग्जाम किया पास 
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के घीड़ी गांव में हुआ था. कई बहनों वाले परिवार में वो इकलौते पुत्र थे. इसके चलते उन्हें परिवार में खासकर उनके दादा और मां से अत्यधिक लाड़ प्यार मिला. डोभाल के पिता मेजर जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे. अनुशासन और आजादी के तालमेल की आवश्यकता को समझते हुए, अजीत डोभाल को महज आठ साल की छोटी उम्र में एक सैन्य बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अजमेर मिलिट्री स्कूल) से हुई थी. इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री 1967 में पूरी की. मास्टर्स खत्म करते ही उन्होंने 1968 में यूपीएससी का एग्जाम दिया और महज 22 वर्ष की उम्र में पहले ही प्रयास में सफल होकर इंडियन पुलिस सर्विस को ज्वाइन कर लिया.

अक्सर रात में रोता था
डोभाल के अनुसार घर के आराम से बोर्डिंग स्कूल के सख्त माहौल का यह बदलाव उनके जीवन को मूर्त रूप देने में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. यहां मैंने आत्मनिर्भरता का महत्व सीखा. आरामदायक घर से बोर्डिंग हाउस के एकांत ने मुझे अपने भीतर ताकत का एहसास कराया. शुरुआत में मैंने संघर्ष किया, अकेलापन भी महसूस करता था. अक्सर रात में रोता था. हालांकि मुझे जल्द ही एहसास हुआ कि मुझे अपने नए माहौल के हिसाब से ढलना होगा और अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी होगी.

खून बह रहा था, तब भी हार नहीं मानी
डोभाल ने बताया स्कूल में मेरा एक महत्वपूर्ण अनुभव बॉक्सिंग में शामिल होना था. मेरे हाउस टीचर ने मुझे बॉक्सिंग के लिए चुना, इसलिए नहीं कि मैं सबसे अच्छा फाइटर था, बल्कि इसलिए कि मैंने असाधारण दृढ़ता का प्रदर्शन किया. मैच के दौरान जब मुझे पीटा गया और खून बह रहा था, तब भी मैंने हार नहीं मानी. दृढ़ता के इस गुण ने मेरे शिक्षक को प्रभावित किया. उनका मानना ​​था कि यह मेरे जीवन में बहुत काम आएगा. उन्होंने देखा कि मेरे पास प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने और लड़ाई जारी रखने की क्षमता है. एक ऐसा गुण जिसने मेरे करियर को काफी हद तक परिभाषित किया है.

 तीसरी बार दी गई है यह जिम्मेदारी
अजीत डोभाल मोदी टीम के नायक हैं. उन्हें तीसरी बार एनएसए की जिम्मेदारी दी गई है. इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कितने करीबी और विश्वसनीय हैं. साल 2014 में नरेंद्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपनी टीम में सबसे पहले अजीत डोभाल को ही लिया. हर संभावित खतरे से निपटने की विशेष रणनीति तैयार रखने की कला में अजीत डोभाल  बेजोड़ हैं. अजीत डोभाल 1968 के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.

जेम्स बांड के किस्से भी फीके 
1972 में भारत की खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़ने के बाद अजीत डोभाल ने कई ऐसे जोखिम भरे और साहसिक कारनामों को अंजाम दिया है, जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगने लगते हैं. वे भारत के एकमात्र ऐसे नागरिक हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पाने वाले अजीत डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं. कोरोना संकट में जब अमेरिका भारत में बनने वाली वैक्सीन के रॉ मैटेरियल को देने में आनाकानी कर रहा था तो डोभाल ही थे, जिन्होंने अपनी बुद्धि और कूटनीतिक समझ से अमेरिकी प्रशासन को इसके लिए राजी किया. यही नहीं, अफगानिस्तान संकट के बाद डोभाल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सुरक्षा नीति के केंद्र बन गए थे. कई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने अजीत डोभाल से बात की थी.

दिसंबर 2024 में किया चीन का दौरा
भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना का नए सिरे से संचार करने की रणनीति का चाणक्य एनएसए अजीत डोभाल को माना जाता है. 2024 में अजीत डोभाल ने कई देशों का दौरा किया और चीन व पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया.  दिसंबर 2024 में डोभाल ने चीन का दौरा किया और सीमा विवाद पर छह सूत्रीय सहमति बनी. सितंबर 2024 में डोभाल ने रूस की यात्रा की और दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत किया.
 
उग्रवाद विरोधी अभियानों में रहे सक्रिय
अजित डोभाल के पिता जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे. उनकी स्कूलिंग राजस्थान के अजमेर में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) से हुई. 1967 में उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. दिसंबर 2017 में डोभाल को आगरा विश्वविद्यालय से विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया. मई 2018 में उन्हें कुमाऊं विश्वविद्यालय से साहित्य में मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली. नवंबर 2018 में उन्हें एमिटी विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली. 1968 में अजीत डोभाल भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और पंजाब और मिजोरम में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे. उन्हें 'भारतीय जेम्स बॉन्ड' का खिताब दिया गया. 1972 में 2 जनवरी से 9 जनवरी तक डोभाल ने केरल के थालास्सेरी में काम किया और उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री के. करुणाकरण ने इलाके में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए नियुक्त किया था. 1999 में अजीत डोभाल कंधार में आईसी-814 से यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत करने वाले तीन वार्ताकारों में से एक थे.

सेवानिवृत्ति के बाद बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
अजित डोभाल ने एक दशक से अधिक समय तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के संचालन विंग का नेतृत्व किया. जनवरी 2005 में अजीत डोभाल आईबी के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए. दिसंबर 2009 में वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक बने. सेवानिवृत्ति के बाद डोभाल को 30 मई 2014 को भारत का पांचवां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया. जुलाई 2014 में उन्होंने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की.

प्रोफाइल
नाम: अजीत डोभाल
पद: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार
जन्म: 20 जनवरी, 1945, पौड़ी गढ़वाल
आईपीएस अधिकारी:  1968, केरल कैडर
दी जाने वाली उपमा: भारत का जेम्स बांड
एनएसए कब बने: 30 जून, 2014
पुरस्कार: कीर्ति चक्र (1989), इंडियन पुलिस मेडल, प्रेसिडेंट पुलिस मेडल
स्कूलिंग: किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल, अजमेर, राजस्थान
ग्रेजुएशन: आगरा विश्वविद्यालय (1967),  विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि (2017), कुमाऊं विश्वविद्यालय साहित्य में मानद डॉक्टरेट की उपाधि (2018), पंतनगर विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट उपाधि (2022)

(मंजीत सिंह नेगी की रिपोर्ट) 

 

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