जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में पेड़ों पर लगाया गया QR कोड, Scan कर मिलेगी सभी जानकारी

ये क्यूआर कोड उस पेड़ की जानकारी प्रदान करते हैं जैसे कि वह किस देश या स्थान का है. इसके साथ वह कैसा पेड़ है, औषधीय है एवेन्यू है या सजावटी पेड़ है और इसका आर्थिक महत्व क्या है ये सब पता चलता है. प्रजातियों का सामान्य नाम इससे पता चलता है, जैसे डायोस्पायरोस एसपी के लिए वेलवेट एप्पल, साथ ही साथ उनके नाम हिंदी और उर्दू में भी उपलब्ध हैं.

QR Code (प्रतीकात्मक तस्वीर)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST
  • 1 लाख पेड़ों का किया गया सर्वे
  • कैंपस में मौजूद जीवों का भी होगा सर्वे

पेड़ को देखकर उसका नाम पता करना काफी मुश्किल होता है, लेकिन जामिया में अब पेड़ को स्कैन करने से आप पता कर पाएंगे की वो पेड़ कौन सा है. पोनीटेल पाम हो, वेलवेट एप्पल हो या इटालियन साईप्रस हो, जामिया मिलिया इस्लामिया के विजिटर अब पेड़ों पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके यूनिवर्सिटी कैंपस में पता कर पाएंगे.  
 
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक बोटैनिकल सर्वे के बाद, कैंपस में 170 पौधों की प्रजातियों की पहचान की गई है और लगभग 1,000 पेड़ों को साफ तरीके से लेबल भी किया गया है.
 
स्कैन से मिलेगी पेड़ की सभी जानकारी 
 
दरअसल, ये क्यूआर कोड उस पेड़ की जानकारी प्रदान करते हैं जैसे कि वह किस देश या स्थान का है. इसके साथ वह कैसा पेड़ है, औषधीय है एवेन्यू है या सजावटी पेड़ है और इसका आर्थिक महत्व क्या है ये सब पता  चलता है. प्रजातियों का सामान्य नाम इससे पता चलता है, जैसे डायोस्पायरोस एसपी के लिए वेलवेट एप्पल, साथ ही साथ उनके नाम हिंदी और उर्दू में भी उपलब्ध हैं.
 
1 लाख पेड़ों का किया गया सर्वे 
 
इस प्रोजेक्ट के प्रमुखों में से एक डॉ. एम इरफान कुरैशी कहते हैं कि इसकी मदद से जामिया कैंपस में मौजूद पौधों की पहचान कर सकेंगे. इस पैमाने पर यह काम पहले कभी नहीं किया गया था. इसके तहत करीब एक लाख पेड़ों, झाड़ियों और औषधीय जड़ी-बूटियों का सर्वे किया गया और उन्हें लिस्ट किया गया. कुरैशी ने कहा, "तीन दिन के सर्वे के बाद हमने जो डेटाबेस बनाया है, उसे वैश्विक मंच हर्बल केव गार्डन से जोड़ा गया है.  कैंपस के छात्र या रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड को स्कैन करके परिसर के पेड़ों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है."
 
कैंपस में मौजूद जीवों का भी होगा सर्वे 
 
जामिया के एक अधिकारी कहते हैं यूनिवर्सिटी के विशाल हरे भरे कवरेज ने इस इलाके के लिए फेफड़ों के रूप में काम किया है. यूनिवर्सिटी ने परिसर में एक और सर्वे करने की भी योजना बनाई है- जो कि वहां मौजूद जीवों का होगा. वे कहते हैं, “लॉकडाउन के दौरान, हमने कैंपस में हॉर्नबिल और मोर से लेकर उल्लुओं जैसे पक्षियों की संख्या में वृद्धि देखी है. इसलिए, हम पक्षियों और जानवरों पर भी एक सर्वे करने और इसे एक डाक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं.
 
कैंपस में हैं कई मेडिसिनल प्लांट 
 
जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा,  “हमारे कैंपस में पौधों की अलग-अलग वैरायटी है, लेकिन उनका कभी सर्वे और लिस्टिंग नहीं की गयी थी. यह जानकर आश्चर्य होता है कि हमारे कई पौधे मेडिसिनल महत्व वाले हैं और दूसरे पक्षियों के भोजन के स्रोत के रूप में काम करते हैं. हम डेटा का अध्ययन करेंगे और समझेंगे कि कैसे दुर्लभ और प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करके पक्षियों की विविधता में सुधार किया जा सकता है.”

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