दिल्ली की एक फैमिली कोर्ट में जज हरीश कुमार ने विवाह पूर्व समझौते (Prenuptial Agreements) को अनिवार्य बनाने पर जोर दिया. अदालत 2011 में उत्तर प्रदेश में शादी के बंधन में बंधे एक कपल के तलाक की सुनवाई कर रही थी. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर क्रूरता का आरोप लगाने के बावजूद आपसी सहमति से तलाक लेने से इनकार कर दिया था.
जज हरीश कुमार ने शादी के बाद के समझौतों (Prenuptial Agreement) को अनिवार्य बनाने के महत्व पर जोर दिया. ये एग्रीमेंट एक विशेष प्राधिकारी के सामने और शादी के साथ आने वाली संभावित समस्याओं को समझाने के बाद होगा. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग उन मुद्दों को समझें जो शादी में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने सुझाव दिया कि जब भी कोई इस एग्रीमेंट के नियमो को तोड़ता है तो उसे इसकी सूचना देनी चाहिए. अगर वे इसकी रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो वे भविष्य में कानूनी सहायता मांगने का अधिकार खो सकते हैं.
शादीशुदा जीवन में कलह हो तो शादी तोड़ना ही उचित
कपल ने 2011 में शादी की थी और उनकी एक बेटी थी. दोनों के बीच अनबच बच्चा होने से पहले ही शुरू हो गई थी. दोनों पक्ष एक दूसरे से तलाक चाहते थे, लेकिन दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी. अदालत ने कहा, अगर शादीशुदा जीवन में तीखी कलह है और उनके साथ रहने की कोई उम्मीद नहीं है, तो शादी को भंग न करना क्रूर होगा.
विवाहपूर्व समझौते क्या हैं?
विवाह पूर्व समझौता या प्रीनअप एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट है जिसपर एक कपल शादी करने से पहले साइन करता है. इसका मकसद तलाक या पति या पत्नी में से किसी की मौत होने की स्थिति में संपत्ति, कर्ज और अन्य वित्तीय मामलों के वितरण की रूपरेखा तैयार करना है. प्रीनअप्स को पति और पत्नी दोनों के हितों की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
कम हो सकते हैं तलाक के मामले
इसमें उन शर्तों की जानकारी होता है जो कपल के बीच विवाद के बाद तलाक की स्थिति उत्पन्न होने पर या फिर किसी एक की मौत होने की स्थिति में एक पक्ष को देना होता है. अभी तक हमारे देश में इस तरह के किसी भी करार को अवैध ही माना जाता रहा है. शादी के पहले किसी तरह का समझौता करना बेहद आसान है. इसमें कानूनी रूप से तलाक होने पर संपत्ति के विभाजन की शर्त को शामिल किया जा सकता है. विवाह के पहले किसी भी तरह का करार किसी भी शादी को बचाने में भी मददगार हो सकता है क्योंकि इस तरह का करार होने पर दोनों पक्षों में वित्तीय नुकसान को बचाने की चिंता भी रहेगी.
प्रीनअप्स की कानूनी जरूरतें
प्रीनअप्स में कुछ कानूनी जरूरतों को पूरा करना होता है. ये लिखित रूप में होने चाहिए, इसके अलावा संपत्ति की पूरी जानकारी के साथ इसपर दोनों के साइन होने चाहिए. अदालतें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेनअप्स की जांच करती हैं कि वे निष्पक्ष हैं. दोनों पक्षों को अपने कानूनी सलाहकार से परामर्श लेने का मौका मिलना चाहिए. कुछ मुद्दे, जैसे कि चाइल्ड कस्टडी और चाइल्ड सपोर्ट को प्रीअप में पूर्व निर्धारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे बच्चे और राज्य कानूनों के हितों के अधीन होते हैं. विवाह पूर्व समझौते सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में लागू किए गए. वहां के समाज में इसे ‘बाइंडिंग फाइनेंशियल एग्रीमेंट्स’ कहा जाता है.