भारत के पूर्व-राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनके प्रेरक व्यक्तित्व के लिए याद किया जाता है. कलाम को न सिर्फ भारत बल्कि भारत से बाहर भी लोग प्रेम और सम्मान से याद करते हैं. उनका पूरा जीवन ही आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है. शायद ही कोई होगा जिसके मन में उनके लिए आदर न हो. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस को आज World Student's Day के तौर पर मनाया जाता है. आज हम आपको बता रहे हैं डॉ कलाम के जीवन के कुछ किस्सों के बारे में.
शाकाहारी थे डॉ कलाम
डॉ कलाम वेजिटेरियन थे और वह साधारण खाना खाना पसंद करते थे. चेन्नई में उनके पसंदीदा रेस्तरां में से एक 'अन्नलक्ष्मी होटल' था, जहां वे राष्ट्रपति बनने से पहले अक्सर जाते थे. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने वहां सांबर, रसम और बोंडा के साथ-साथ अपने पसंदीदा व्यंजन वाथा कुजंबु और पापड़ का भी आनंद लिया. अपने युवा दिनों में कलाम तिरुवनंतपुरम में रहते थे और यहां वे गुरुवायुरप्पन होटल में जाते थे. यहां 1975 से 1982 तक उन्होंने हर सुबह एक गिलास दूध और दो अप्पम का ब्रेकफास्ट किया. द इंडियन एक्सप्रेस नेके मुताबिक, रात के खाने में उन्हें सिर्फ दो चपाती और एक गिलास दूध चाहिए होता था.
रेडियो पर सुनते थे खबरें
डॉ कलाम के पास टीवी नहीं था और वे रेडियो से खबरें सुनते थे. यह सुनने में अजीब लग सकता है पर सच है कि कलाम के घर पर टेलीविजन सेट नहीं था. उनके निजी सचिव रहे हैरी शेरिडन ने एनडीटीवी को बताया था कि वह ऑल इंडिया रेडियो पर समाचार सुनते हैं. बताया जाता है कि कलाम अपने दिन की शुरुआत सुबह 6.30-7 बजे करते थे और 2 बजे तक जागते थे.
बच्चों को दिखाया एग्जीहिबिशन
राष्ट्रपति कलाम को बच्चों के साथ समय बिताना बहुत पसंद था. उनके बारे में एक किस्सा प्रसिद्ध है कि एक बार उनके जुनियर ने उनसे जल्दी घर जाने की परमिशन मांगी क्योंकि उसे अपने बच्चों को एग्जीहिबिशन ले जाना था. लेकिन काम के चक्कर में वह जुनियर खुद ही समय का ध्यान रखना भूल गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब कलाम ने अपने जुनियर को काम में तल्लीन देखा तो उन्होंने खुद अपने ड्राइवर को उसके बच्चों को लाने के लिए भेजा और फिर बच्चों को एग्जीहिबिशन लेकर गए.
टीचर के लिए सम्मान
18 जुलाई को, अपने निधन से केवल एक सप्ताह पहले, कलाम ने रेव्ह फादर लैडिस्लॉस चिन्नादुरई से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें 1950 और 1954 के बीच सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचि में फिजिक्स और थर्मोडायनामिक्स पढ़ाया था. कलाम और चिन्नादुरई की मुलाकात लगभग 15 मिनट तक हुई और 94 साल के चिन्नादुरई ने कहा कि वह कलाम को देखकर खुश हुए. उन्होंने याद किया कि कलाम एक मेधावी छात्र थे.
हमेशा रखते थे 'रिवर्स ग्रेजुएशन' हेयरस्टाइल
दिल्ली के हेयर स्टाइलिस्ट अमजद हबीब ने कलाम को उनका ट्रेडमार्क हेयरकट दिया था. हबीब ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब कलाम पहली बार उनके सैलून में आए थे, तो उनके बाल बहुत लंबे थे. वह कई महीनों के बाद, पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद, उनके सैलून में आए थे. तब हबीब न उन्हें 'रिवर्स ग्रेजुएशन' हेयरस्टाइल दिया. जब आप अपने बाल लंबे रखते हैं तो ये माथे पर आते हैं. इसलिए हबीब ने ऐसा हेयरकट किया जिससे बाल माथे पर न आएं.
यह हेयर स्टाइल रॉक स्टार और इमरान खान जैसे तेज गेंदबाजों के बीच बहुत प्रसिद्ध था. कलाम को यह हेयरस्टाइल बहुत पसंद आया क्योंकि इससे उनके कान ढक जाते थे. बताते हैं कि जन्म से ही कलाम का एक कान आधा था और बालों की इस हेयरस्टाइल से वह दिखता नहीं था. इसलिए वह ऐसा हेयकस्टाइल रखते थे.
कुर्सी पर बैठने से इंकार
राष्ट्रपति रहते हुए भी कलाम की सादगी के किस्से आपको जरूर सुनने को मिलेंगे. कलाम आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे और मंच पर पांच कुर्सियां रखी गईं थीं. इनमें से एक कुर्सी थोड़ी बड़ी थी. डॉ कलाम से इस कुर्सी पर बैठने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया. क्योंकि यह कुर्सी आकार में दूसरों की तुलना में बड़ी थी और उन्होंने इसे यूनिवर्सिटी के कुलपति को देने के लिए कहा. लेकिन उन्होंने भी इस पर बैठने से मना किया तो कलाम के लिए बाकी सब की तरह सामान्य कुर्सी लाई गई.