भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को औपचारिक रूप से भारतीय सेना दिवस मनाती है. भारतीय सेना फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा के इस दिन को मनाती है. एम. करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश सेना प्रमुख अधिकारी के रूप में फ्रांसिस बुचर का स्थान लिया और 1949 में इसी दिन देश के पहले मुख्य कमांडर बने. भारतीय सेना दिवस 2023 आधिकारिक रूप से पूरे देश में रविवार, 15 जनवरी को मनाया जाएगा. देश भर में बड़े उत्साह से इसे मनाया जाता है.
हर साल की तरह इस साल भी फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा को सम्मानित करने के लिए लोग भारतीय सेना दिवस 2023 मनाने के लिए उत्साहित हैं. इस अवसर को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. मुख्य सेना दिवस परेड दिन का मुख्य आकर्षण है.
कौन थे फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा?
फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा एक ऐसा नाम है, जिसका जिक्र किए बिना भारतीय सेना का इतिहास अधूरा है. करियप्पा ने सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में अपना सफर शुरू किया था. उन्होंने 1947 में उन्होंने कश्मीर में भारत-पाकिस्तान युद्ध के वक्त उन्होंने पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था. 15 जनवरी, 1949 को उन्हें भारतीय सेना का प्रमुख नियुक्त किया गया था. इसे याद करते हुए भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है.
फील्ड मार्शल की पदवी हासिल करने वाले दूसरे
फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक में हुआ था और उन्होंने शुरुआती शिक्षा मडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में ली थी. साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. उनका नाम उन दो अधिकारियों में से है, जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गई थी. आपको बता दें, अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उन्हें 'Order of the Chief Commander of the Legion of Merit' से सम्मानित किया.
वे एक होनहार छात्र के साथ-साथ क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे. पूरी ईमानदारी से देश को दी गई उनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने साल 1986 में उन्हें 'Field Marshal' का पद प्रदान किया. बता दें, सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे और जनवरी 1973 में पद से सम्मानित किया गया था.
साल 1953 में रिटायर होने के बाद करियप्पा ने न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया. वे यूनाइटेड किंगडम स्थित Camberly के इंपीरियल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग लेने वाले पहले भारतीय थे.
इस वजह से करियप्पा से डरते थे नेहरू
ये बात शायद बहुत कम लोग जानते होंगे लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एस करियप्पा से डरते थे. इस बात का जिक्र फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा के बेटे के. सी करियप्पा ने अपनी किताब में किया है. ये किताब एम करियप्पा के जीवन पर लिखी गई थी. किताब में जिक्र किया गया है कि 1953 में के. एम. करिअप्पा को ऑस्ट्रेलिया का हाई कमिश्नर बना कर भेज दिया गया था.
उनके बेटे ने किताब में ये भी लिखा है कि उनके पिता को न केवल सेना में बल्कि जीवन के दूसरे मायनों में भी बहुत लोकप्रिय माना जाता था. शायद नेहरू को इसी बात का डर था, कि करियप्पा तख्तापलट कर सकते हैं. बता दें कि वैसे तो हालांकि जनरल करियप्पा के नेहरू और इंदिरा के साथ काफी अच्छे संबंध थे, लेकिन फिर भी नेहरू के मन में एक डर था.