MQ-9B Predator Drone: सेना को मिलेंगे MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन्स, पहली महिला मिशन कमांडर वर्षा ने बताई इसकी खूबियां

MQ-9 प्रीडेटर रिमोट से उड़ाया जाता है. इसे अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स बनाती है. यह किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है. जैसे- सर्विलांस, जासूसी, सूचना जमा करना या फिर दुश्मन के ठिकाने पर चुपके से हमला करना.

पहली महिला मिशन कमांडर लेफ़्टिनेंट कमांडर वर्षा
gnttv.com
  • चेन्नई,
  • 28 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST
  • ड्रोन के आने-जाने की खबर भी नहीं मिलती 
  • किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है 

भारत की तीनों सेनाएं दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रोन्स का इस्तेमाल करने वाली हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी यात्रा के दौरान MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन्स को खरीदने की डील पर बातचीत हुई. जिसके तहत 31 ड्रोन्स खरीदें जाएंगे, जिसमें 15 नौसेना और बाकी सेना और वायुसेना के होंगे. आसमान से निगरानी करने और चुपके से हमला करने में काबिल यह ड्रोन पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के आसपास तैनात किए जाएंगे. 

इन ड्रोन्स को ट्राई सर्विसेज के तहत तैनात किया जाएगा यानी ज्वाइंट कमांड के तहत. इनके तीन हब बनाए जाएंगे. आने वाले दिनों में  ग्राउंड स्टेशन हैंडलर्स और रिमोट पायलट की ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी. 15 ड्रोन्स समुद्री इलाकों की निगरानी के लिए होंगे. बल्कि बाकी चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे. 

ड्रोन के आने-जाने की खबर भी नहीं मिलती 

बताते चलें कि इसी MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन से अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मारा गया था. इस ड्रोन की खासियत यही है कि उसके आने-जाने की खबर तक नहीं चलती, जब तक वह हमला नहीं कर देता. अमेरिका इसे हंटर-किलर यूएवी कहता है. एमक्यू 9 प्रीडेटर लॉन्ग रेंज एंड्योरेंस ड्रोन है. जो हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस रहता है. इसमें लगे R9X Hellfire Missile से जवाहिरी के अड्डे पर हमला किया गया है.

किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है 

MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन की पहली महिला मिशन कमांडर लेफ़्टिनेंट कमांडर वर्षा ने बताया कि एमक्यू 9 प्रीडेटर रिमोट से उड़ाया जाता है. इसे अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स बनाती है. यह किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है. जैसे- सर्विलांस, जासूसी, सूचना जमा करना या फिर दुश्मन के ठिकाने पर चुपके से हमला करना. ज्यादा समय तक और ज्यादा ऊंचाई से निगरानी करने में सक्षम हैं. इसकी रेंज 2100 किलोमीटर है. यह अपने साथ 1700 KG वजन का हथियार लेकर जा सकता है. इसे चलाने के लिए दो कंप्यूटर ऑपरेटर्स की जरूरत होती हैं, जो ग्राउंड स्टेशन पर बैठकर वीडियो गेम की तरह इसे चलाते हैं. इस ड्रोन की लंबाई 36.1 फीट, विंगस्पैन 65.7 फीट, ऊंचाई 12.6 फीट होती है. ड्रोन का खाली वजन 2223 किलोग्राम है. ड्रोन में 1800 किलोग्राम ईंधन की क्षमता होती है. इसकी गति 482 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. जो 40 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन को देखकर उसपर मिसाइल से हमला कर सकता है.

पहली महिला मिशन कमांडर लेफ़्टिनेंट कमांडर वर्षा

पानी के अंदर की आवाजों को करेगा डिटेक्ट 

पानी की सतह के ऊपर और अंदर दोनों ही जगह की निगरानी या छानबीन के लिए ये ड्रोन बेहतर विकल्प है. इसमें सोनोबॉय लगाए गए हैं. सोनोबॉय वो डिवाइस है जो रेडियो सिग्नल के माध्यम से पानी के भीतर हो रहीं आवाजों को डिटेक्ट करता है. इससे गहरे पानी में छिपी पनडुब्बियों को प्रीडेटर आसानी से ढूंढ लेता है और मिसाइल के इस्तेमाल से उन्हें नष्ट कर देता है. लद्दाख जैसे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में रियल टाइम बैटल को लाइव दिखा सकता है. यानि अगर सेनाएं प्रीडेटर ड्रोन से दुश्मन के खिलाफ कोई ऑपरेशन करती हैं तो उसे लाइव देखा जा सकता है.

अब वो दिन दूर नहीं है जब भारतीय सेनाएँ MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन से अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी की तर्ज पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लेकर लद्दाख और अरुणाचल तक दुश्मन के खिलाफ चुपचाप किसी भी घातक मिशन को पलक झपकते ही अंजाम दे सकेंगी. 

(मनजीत नेगी की रिपोर्ट)

 

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