Explainer: Article 370 पर सरकार के पक्ष में फैसला...जानिए इस मामले में कब क्या-क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्‍छेद 370 से जुड़ा महत्‍वपूर्ण फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी. जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए वहां जल्दी से चुनाव कराया जाना चाहिए. लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला सही है.

Supreme Court
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुना दिया है. कोर्ट का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार का अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला सही था. सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग को 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.

क्या है मामला?
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया. इस पीठ ने 16 दिन तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. SC के फैसले को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत समेत पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया.

सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा लिया गया फैसला वैध है. भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं. CJI ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश भारत के राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है. सीजेआई ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.

केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लाकर अनुच्छेद-370 और 35ए के विभाजनकारी प्रस्तावों को खत्म कर दिया था और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था. केंद्र के प्रस्ताव को जम्मू-कश्मीर के कुछ दलों और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में 16 दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अनुच्छेद 370 क्या था?
साल 1949 में भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को जोड़ा गया था. ये एक अस्थायी प्रावधान था, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान बनाने की अनुमति दी गई थी. संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता और विशेष अधिकार प्रदान करता था. इसका मतलब था कि भारत सरकार केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के मसलों में ही राज्य में हस्तक्षेप कर सकती थी. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और जम्मू-कश्मीर) होती थी.

क्या है पूरी टाइमलाइन?
साल 1947 में जम्मू-कश्मीर के आखिरी राजा महाराज हरि सिंह ने भारत में शामिल होने को लेकर एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर कि्ए थे. साल 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ. जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद-1 के तहत भारत का एक राज्य घोषित किया गया और आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला. साल 1951 में जम्मू-कश्मीर के संविधान का मसौदा तैयार करने को लेकर संविधान सभा की पहली बैठक हुई. इसमें सभी सदस्य शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से थे.

साल 1952 में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा में कश्मीर के नेताओं ने केंद्र सरकार के साथ चर्चा की. इसमें केंद्र और राज्य के संबंधों को लेकर एक समझौता हुआ. जम्मू-कश्मीर ने साल 1956 में खुद को भारत का अभिन्न अंग घोषित कर दिया और अपना संविधान अपनाया. साल 1970 में इंदिरा गांधी और शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को भारत के अभिन्न अंग के रूप में फिर से पुष्टि की गई. 

साल 2015 के मार्च में बीजेपी ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में पहली बार सरकार बनाई. लेकिन 2018 में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूट गया और राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नवंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर से संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने के लिए एक बिल को संसद में पेश किया था, जिसे मंजूरी मिलने के बाद आर्टिकल 370 निरस्त हो गया.


 

Read more!

RECOMMENDED