लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Arun Goel) ने इस्तीफा दे दिया है. गोयल के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर भी कर लिया है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस्तीफा क्यों दिया है. गोयल के इस्तीफे देने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में अब केवल एक सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं.
अरुण गोयल के अलावा, दूसरे निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय इस साल फरवरी में सेवानिवृत्त हुए थे. तबसे उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. अब सवाल यह है कि क्या मुख्य निर्वाचन आयुक्त राज कुमार अकेले आगामी लोकसभा चुनावों को संपन्न कराएंगे?
कौन हैं अरुण गोयल
अरुण गोयल का जन्म 7 दिसंबर 1962 को पटियाला में हुआ था. गोयल मूलरूप से पटियाला के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पटियाला में ही की थी. वह मैथ्स से एम.एससी. हैं. उन्हें पंजाबी विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाओं में फर्स्ट क्लास फर्स्ट और रिकॉर्ड ब्रेकर होने के लिए चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था. वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डेवलपमेंटल इकोनॉमी में डिस्टिंक्शन के साथ पोस्ट ग्रेजुएट हैं.
उनकी ट्रेनिंग हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से हुई है. वह 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं.आईएएस बनने के बाद गोयल पंजाब के अलावा केंद्र सरकार में कई अहम पदों पर तैनात रहे हैं. 37 सालों से ज्यादा की सर्विस पूरी करने के बाद गोयल भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए.
चीफ इलेक्शन कमीश्नर बनने की थे कतार में
वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं, जिनका कार्यकाल फरवरी 2025 को समाप्त होगा. इसके बाद अरुण गोयल अगले चीफ इलेक्शन कमीश्नर बनने की कतार में थे.अब उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया है. गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उनको चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था. इसपर विवाद छिड़ गया था.मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. शीर्ष अदालत ने अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल तलब की थी और सरकार से पूछा था कि उनकी नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई.
अब कैसे होगी नियुक्त
भारत का निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों (ECS) से मिलकर बनता है. नए कानून के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कानून मंत्री की अध्यक्षता और दो केंद्रीय सचिवों वाली एक सर्च कमेटी पांच नामों को शॉर्टलिस्ट करेगी. इसके बाद चयन समिति किसी एक नाम को चुनती है.
इसके बाद सीईसी या ईसी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. सिलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता या सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होते हैं. मूल रूप से चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त थे, लेकिन वर्तमान में सीईसी और दो चुनाव आयुक्त शामिल हैं. दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त पहली बार 16 अक्टूबर 1989 को नियुक्त किए गए थे.
कितने वर्ष का होता है कार्यकाल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है. सीईसी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है. चुनाव आयुक्त का पद और वेतनमान भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है. या फिर वह स्वयं अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. भारत के निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी होती है.
कांग्रेस ने खड़े किए ये सवाल
चुनाव आयुक्त पद से अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अरुण गोयल का इस्तीफा तीन सवाल खड़े करता है. पहला क्या उन्होंने वास्तव में मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के साथ मतभेदों पर इस्तीफा दिया. जो सभी कथित स्वतंत्र संस्थानों के लिए सबसे आगे रहकर काम करती है? दूसरा क्या उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया और तीसरा क्या उन्होंने कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह भाजपा के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था.
जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग ने 8 महीने से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के मुद्दे पर देश की राजनीतिक पार्टियों से मिलने से इनकार कर दिया है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हेरफेर (EVM) को रोकने के लिए बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के भारत में प्रत्येक बीतता दिन लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों पर एक अतिरिक्त झटका दे रहा है.वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में कहा कि चुनाव आयोग या चुनाव चूक? भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त हैं, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है. उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्र संस्थानों का "व्यवस्थित विनाश" नहीं रोका गया तो तानाशाही द्वारा लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा.