असम सरकार एक अलग तरह का कानून लेकर ला रही है. इस कानून के मुताबिक जादू टोना से इलाज करने पर जेल होगी. राज्य सरकार ने विधानसभा में इसको लेकर एक बिल पेश किया है. इसको प्रिवेंशन ऑफ इविल प्रैक्टिसेज बिल (prevention of evil practices bill 2024) नाम दिया गया है. इसका मकसद कोई बीमारी होने पर अपनाए जाने वाले इलाज के गैर-वैज्ञानिक तरीकों को खत्म करना है. इस बिल में जेल की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
जादू टोना से इलाज को रोकने का बिल-
असम सरकार ने इलाज के नाम पर जादू टोना करने की प्रथा को खत्म करने के लिए बुधवार को विधानसभा में एक बिल पेश किया. संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने इस बिल को सदन में पेश किया. इस बिल के मुताबिक जादू टोना से इलाज करने को अपराध घोषित किया गया है और इसे गैर-जमानती बनाया गया है. सदन में पीयूष हजारिका ने कहा कि इस बिल का मकसद समाज में सामाजिक जागृति लाना और भयावह प्रथाओं से मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक स्वस्थ, विज्ञान आधारित सुरक्षित माहौल बनाना है.
जेल के साथ जुर्माने का भी प्रावधान-
अगर कोई इस मामले में पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे एक साल की सजा होगी. इस सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. दोषी पाए जाने पर कैद के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अगर कोई शख्स इस मामले में दूसरी बार दोषी पाया जाता है तो उसको 5 साल की कैद या एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकती है.
जादू से इलाज के प्रचार पर भी रोक-
इस बिल में जादू टोना से किसी भी बीमारी के इलाज का दावा करने वाले प्रचार पर भी रोक लगाई गई है. बिल के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति की बीमारी, विकार या स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए जादुई इलाज के प्रचार प्रसार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होगा. इस बिल में जादू के जरिए इलाज से बीमारियों को ठीक करने का कोई झूठा दावा करने से संबंधित कोई भी विज्ञापन देने पर रोक का प्रावधान है.
सब-इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी करेगा जांच-
ऐसे मामलों की जांच कौन करेगा? इसको लेकर भी बिल में प्रावधान किया गया है. बिल के कानून बनने के बाद सब-इंस्पेक्टर रैंक से नीचे का अधिकारी ऐसे मामलों की जांच नहीं कर पाएगा. बिल में कहा गया है कि सतर्कता अधिकारियों को जादू से इलाज की जांच करने का काम सौंपा जाएगा.
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