Politics: संसद में भले ही महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में नवनिर्वाचित महिला विधायकों की संख्या एक-तिहाई के आंकड़े से काफी दूर रही है. आइए जानते हैं किस राज्य में 'आधी आबादी' की भागीदारी कैसी रही?
मध्य प्रदेश में इतनी महिलाओं ने दर्ज की जीत
230 विधानसभा वाले मध्य प्रदेश से इस बार 27 महिलाएं निर्वाचित होकर सदन पहुंची हैं. 2018 में यहां से केवल 21 महिलाएं ही सदन में जगह बना सकीं थीं. 2013 में 30 महिलाएं चुनी गई थीं. इस बार जीतने वाली महिला विधायकों में 21 भारतीय जनता पार्टी से और छह कांग्रेस से हैं. सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू और भाजपा से उम्मीदवार कृष्णा गौड़ हैं जो महिलाओं में सबसे बड़े अंतर से जीती हैं. भाजपा की एक अन्य उमीदवार मालिनी गौड़ ने बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल की. बीजेपी की प्रियंका मीना ने भी भारी मतों से जीत दर्ज की है.
लहराया परचम
अन्य महिलाएं जो भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंची हैं, वे हैं- उषा ठाकुर (महू) और मीना सिंह (मानपुर), जो दोनों मंत्री थीं, साथ ही सांसद रीति पाठक (सीधी), पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ( बुरहानपुर) और पूर्व राज्यसभा सदस्य संपतिया उइके (मंडला). इनके अलावा मंजू दादू (नेपानगर), गंगाबाई उइके (घोड़ाडोंगरी), प्रतिमा बागरी (रायगांव), राधा सिंह (चित्रांगी), नीना वर्मा (धार), निर्मला भूरिया (पेटलावद), कंचन तनवे (खंडवा), छाया मोरे (पंधाना), गायत्री राजे पुआर (देवास), सरला बृजेंद्र रावत (सबलगढ़), ललिता यादव (छतरपुर) और उमा खटीक (हट्टा) ने भी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. कांग्रेस की ओर से अनुभा मुंजारे ने बालाघाट से मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हराया. विपक्षी दल के अन्य जो विजयी रहे, वे हैं- सेना पटेल (जोबट), निर्मला सप्रे (बीना), चंदा सिंह गौड़ (खरगापुर), साध्वी रामसिया भारती (मल्हेरा) और झूमा सोलंकी (भीकनगांव) जीतीं.
राजस्थान विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या घटी
200 सीटों वाले राजस्थान में अबकी सिर्फ 20 महिलाएं ही विधानसभा में पहुंचीं. वर्ष 2018 में महिला विधायकों की संख्या 24 थी. राजस्थान विधानसभा में महिलाओं की संख्या कभी भी 15 प्रतिशत से अधिक नहीं रही. इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों की नौ-नौ महिला उम्मीदवार जीती हैं. इसके अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी सदन में जगह बनाई है.
इन्होंने दर्ज की जीत
इस विधानसभा चुनाव में जीतीं कांग्रेस की नौ महिला उम्मीदवारों में शिमला देवी (अनूपगढ़), सुशीला डूडी (नोखा), रीटा चौधरी (मंडावा), शिखा मील बराला (चौमूं), शोभारानी कुशवाह (धौलपुर), अनिता जाटव (हिंडौन), इंद्रा (बामनवास), गीता बरवार (भोपालगढ़), रमिला खड़िया (कुशलगढ़) शामिल हैं. भाजपा की नौ महिला विधायकों में दीया कुमारी (विद्याधर नगर), अनिता भदेल (अजमेर दक्षिण), मंजू बाघमार (जायल), शोभा चौहान (सोजत), दीप्ति किरण माहेश्वरी (राजसमंद), कल्पना देवी (लाडपुरा), वसुंधरा राजे (झालरापाटन), सिद्धि कुमारी (बीकानेर पूर्व), नौक्षम चौधरी (कामां) शामिल हैं. चुनाव में निर्दलीय के रूप में जीत हासिल करने वाली अन्य दो महिला विधायक रितु बनावत (बयाना) तथा प्रियंका चौधरी (बाड़मेर) हैं.
छत्तीसगढ़ में 19 महिलाएं जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचीं
90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ में इस बार 19 महिलाएं जीतकर विधानसभा पहुंचीं हैं. 2018 में छत्तीसगढ़ में 13 महिला विधायक (मात्र 14 फीसदी) थीं. इस बार बीजेपी और कांग्रेस ने कुल 33 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था. कांग्रेस ने 18 महिला प्रत्याशी को टिकट और बीजेपी ने 15 महिला प्रत्याशी को टिकट देकर मैदान में भेजा था.
इस बार जीतने वाली महिला उम्मीदवारों में लता उसेंडी, यशोदा नीलांबर वर्मा, हर्षिता स्वामी बघेल, अनिला भेंडिया, भावना बोहरा, गोमती साय, शकुंतला सिंह पोर्ते, कविता प्राण लाहरे, लक्ष्मी राजवाड़े, रेणुका सिंह सरुता, सावित्री मनोज मंडावी, विद्यावती सिदार, संगीता सिन्हा, उद्धेश्वरी पैकरा, अंबिका मरकाम, रायमुनी भगत शामिल हैं. पिछली बार भी चुनाव मैदान में महिला प्रत्याशियों का दबदबा था. बीजेपी ने 13 महिला प्रत्याशियों को टिकट तो कांग्रेस ने 14 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था. कांग्रेस की टिकट पर लड़ने वाली 10 प्रत्याशी सदन पहुंचीं और बीजेपी की एक प्रत्याशी को जनता ने सदन भेजा.
तेलंगाना में 10 महिलाएं बनीं विधायक
तेलंगाना में महिला विधायकों की संख्या 10 यानी कुल विधायकों का आठ फीसदी है. 2018 में राज्य ने छह महिलाओं को अपनी विधानसभा में भेजा था.
मिजोरम में पहली बार 3 महिलाओं ने दर्ज की जीत
मिजोरम में पहली बार तीन महिला उम्मीदवार 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनी गई हैं. इस बार मिजोरम विधानसभा चुनाव में 16 महिलाएं खड़ी हुई थीं. इन 16 महिलाओं में से महज तीन को जीत हासिल हुई है. जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडएमपी) की उम्मीदवार लालरिनपुई ने लुंगलेई पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की और उनकी पार्टी में सहयोगी और टेलीविजन एंकर बेरिल वन्नेइहसांगी आइजावी दक्षिण-3 सीट से चुनी गईं. मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की प्रावो चकमा ने वेस्ट तुइपुई सीट से जीत हासिल की.
ईसाई बहुल (87 प्रतिशत) मिजो समाज पारंपरिक रूप से पितृसत्तात्मक संस्कृति का पालन करने वाला है. 2018 के विधानसभा चुनावों में 18 महिलाओं सहित कुल 209 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. 2013 के विधानसभा चुनावों में छह महिला उम्मीदवारों सहित 136 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. 2013 या 2018 के चुनावों में कोई भी महिला उम्मीदवार नहीं जीती थीं. मिजोरम में विधायक चुनी गई पहली महिला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) की एल. थानमावी थीं. मिजोरम को 1972 में 30 सदस्यीय विधायकों के साथ केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था.