UP Assembly Monsoon Session: महिला मुद्दों पर चर्चा कर आज यूपी विधानसभा में बनेगा इतिहास, महिला MLA बुलंद करेंगी आवाज

UP Assembly Monsoon Session: यूपी विधानसभा 22 सितंबर को एक नया इतिहास रचेगी. विधानसभा में महिला विधायक अपनी आवाज़ बुलंद करेंगी. प्रदेश के मुखिया और नेता सदन योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव उनको सुनेंगे. अपनी तरह का ये पहला प्रयास होगा जिसमें सिर्फ़ महिला विधायकों को ही बोलने का मौक़ा मिलेगा और वो महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दे उठाएंगी.

यूपी विधानसभा
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 22 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST
  • महिला सदस्यों को दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारी बनाया जाएगा
  • यूपी विधानसभा में 47 महिला विधायक हैं

22 सितंबर का दिन यूपी विधानसभा के लिए खास होगा. सदन में कार्यवाही का पूरा दिन महिलाओं के नाम होगा. विधानसभा सत्र में इस बार एक नई पहल हो रही है. सदन में पूरे दिन महिलाओं से सम्बंधित मुद्दों को आवाज़ देते महिला जनप्रतिनिधियों की आवाज़ सुनायी पड़ेगी. महिला विधायकों को बोलने का मौक़ा मिलेगा. महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक स्थिति और लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दों पर विषय उठाकर उस पर सदन में चर्चा की जाएगी. ये पहली बार है जब देश की किसी विधानसभा में इस तरह की पहल की जा रही है.

ज़्यादा से ज़्यादा 8 मिनट तक बोल सकती हैं महिला विधायक

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस दिन के लिए ख़ास तैयारी की है. 19 सितंबर से शुरू हुए मॉनसून सत्र की शुरुआत में ही सभी दलों की महिला विधायकों से इस ख़ास दिन को लेकर चर्चा की गयी थी. जिससे सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष भी इसमें शामिल हो सके. हर महिला विधायक कम से कम 3 मिनट और ज़्यादा से ज़्यादा 8 मिनट का समय बोलने के लिए दिया जाएगा. उसमें महिला विधायकों को अपने तय मुद्दे पर बात रखनी होगी. महिला सशक्तिकरण के साथ महिलाओं की स्वास्थ्य, शिक्षा, उनको मिलने वाले अवसर और लैंगिक भेदभाव को लेकर महिला विधायक अपनी बात रख सकती हैं.

यूपी विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना कहते हैं 'मेरी जानकारी के अनुसार ये पहला मौक़ा है कब कोई विधानसभा इस तरह की पहल कर रही है. 47 महिला विधायक हैं और मैं चाहता हूँ सब महिलाओं को बोलने का मौक़ा मिले. महिलाओं की सामाजिक भागीदारी, राजनीति में भागीदारी, जेंडर इक्वालिटी पर बोलें. उनको क्या समस्याएं आती हैं, उनको कैसे अड्रेस किया जा सकता है इस पर बोलें और अपना सुझाव दें'. 

यूपी सीएम ने महिला विधायकों को लिखा पत्र 

इस ऐतिहासिक मौक़े से पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी महिला विधायकों को एक पत्र भी लिखा है. सीएम योगी ने अपने पत्र में लिखा है कि 'मिशन शक्ति के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन से देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश का परसेप्शन बदला है.' इसके साथ ही मिशन शक्ति अभियान की उपलब्धियों से जुड़ी सामग्री भी महिला विधायकों को भेजी गयी है.

ज़ाहिर है, जहां सत्ता पक्ष की विधायक केंद्रीय और राज्य की योजनाओं से महिलाओं को होने वाले लाभ पर अपनी बात रख सकती हैं वहीं विपक्ष की महिला विधायकों की नज़र महिला सुरक्षा और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर होगी. पहली बार इस तरह का मौक़ा होने की वजह से इसकी तैयारी की जा रही है. बीजेपी विधायक नीलिमा कटियार कहती हैं 'सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है. एंटी रोमियो स्क्वॉड हो या मिशन शक्ति महिलाओं के लिए प्रतिबद्ध हैं हम. ऐसे में यहां महिला विधायक बोलेंगी तो उत्तर प्रदेश की गांव और दूर दराज़ के इलाक़ों की महिलाएं भी इन प्रतिनिधियों की आवाज़ में में अपनी प्रतिध्वनि महसूस करेंगी'.

सिर्फ़ महिलाएं होंगी विज़िटर्ज़ गैलरी में 

हालांकि इस ख़ास पहल में महिला विधायक अपनी बात रखेंगी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी बोलेंगे. इस पहल के बारे में शाहाबाद से विधायक और योगी सरकार में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी कहती हैं कि 'कई महिला विधायक बोलती हैं और अपने क्षेत्र की बात को भी रखती हैं, लेकिन इस पहल से जो पहली बार चुनकर आयी महिला विधायक हैं उनको भी सदन में बोलने का मौक़ा मिलेगा. कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी'.

एक ख़ास बात और है कि महिलाओं को ही इस दिन विज़िटर्ज़ गैलेरी में बैठकर सदन की कार्यवाही देखने का मौक़ा मिलेगा. इसके लिए ख़ास तौर कर डॉक्टर, शिक्षिका और स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ी महिलाओं को आमंत्रित किया गया है. ये महिलाएं यहां बैठ कर सदन की इस पहल को देखेंगी, महिला विधायकों को सुनेंगी. प्रदेश में जो रही घटनाओं को देखते हुए भी ये अहम है कि महिला विधायक किस तरह से अपनी बात रखती हैं.

यूपी विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

  • अब तक महिला विधायकों की शिकायत थी कि उन्हें सदन में बोलना का मौका नहीं मिलता और वो अपनी आवाज नहीं उठा पातीं.

  • खास बात ये है कि महिला सदस्यों को दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारी बनाया जाएगा. इस पूरे मुद्दे का एक पहलू ये ये भी है कि महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व हाल के कुछ सालों में यूपी विधानसभा में सुधरा है.

  • राजनीति में बराबरी के मामले में महिलाओं की ये लड़ाई अभी भी लंबी है. आइसलैंड की बात करें तो वहां राजनीति में महिलाओं को 87 प्रतिशत समानता हासिल हो चुकी है. जबकि भारत की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम हुआ है.

  • यूपी की बात करें तो यहां पहली विधानसभा में महज 2.55% महिला विधायक थीं. दूसरी विधानसभा में ये संख्या सुधरी और महिला विधायकों की भागीदारी बढ़कर 6% हो गई. लेकिन चौथी विधानसभा में महिला विधायकों की भागीदारी घटकर 1.64% रह गई.

  • 16वीं विधानसभा की बात करें तो उस बार 40 महिला विधायक चुनकर सदन पहुंची थी. 17वीं विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़ी और ये संख्या 44 हो गई. इस बार की बात करें तो यूपी विधानसभा में 47 यानी 10.90% महिलाएं हैं.

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