Ram Mandir Ayodhya: 2500 साल में एक बार आने वाला भूकंप भी झेल लेगा राम मंदिर...वैज्ञानिकों का दावा

अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये बड़े से बड़ा भूकंप भी झेल लेगा. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी और तब से यहां लाखों की संख्या में भक्त रोजाना दर्शन के लिए आ रहे हैं.

Ram Mandir
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर 22 जनवरी को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है. राम मंदिर के निर्माण के बाद से ही ये दावा किया जा रहा था कि इसमें सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है लेकिन फिर भी ये काफी मजबूत है. अब साइंटिस्ट ने इसकी मजबूती को लेकर एक और दावा किया है. राम मंदिर को लेकर दावा किया गया है कि ये ढाई हजार साल में एक बार आने वाले भूकंप को भी झेल लेगा.

स्टडी में क्या पाया गया
CSIR और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने अयोध्या में कई वैज्ञानिक स्टडी की है, जिसमें ये बात सामने आई है. CSIR और CBRI रूड़की ने अयोध्या की साइट पर जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन, भू-तकनीकी विश्लेषण, नींव डिजाइन पुनरीक्षण, और 3D संरचनात्मक विश्लेषण और डिजाइन किया.

CSIR-CBRI के सीनियर साइंटिस्ट देबदत्ता घोष ने कहा, 'अधिकतम भूकंप के लिए मंदिर की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साइंटिफिक स्टडी की गई थी. इससे पता चला है कि ये मंदिर 2500 साल में एक बार आने वाले भूकंप का भी सामना कर सकता है. अधिकतम भूकंप के लिए मंदिर की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था, जो 2,500 साल की वापसी अवधि के बराबर है.''

किन पत्थरों का किया इस्तेमाल
इन वैज्ञानिकों का सीएसआईआर-सीबीआरआई के निदेशक प्रदीप कुमार रामंचरला और उनके पूर्ववर्ती एन गोपालकृष्णन ने मार्गदर्शन किया था. घोष ने बताया कि 50 से अधिक कंप्यूटर मॉडलों का अनुकरण करने और सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थितियों के तहत उनका विश्लेषण करने के बाद संरचनात्मक डिजाइन की सिफारिश की गई थी. उन्होंने बताया कि संपूर्ण संरचना का निर्माण बंसी पहाड़पुर बलुआ पत्थर का इस्तेमाल करके किया गया है, जिसमें लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है और इसमें एक हजार साल तक कोई खामी नहीं आएगी.

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