Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं अरुण योगीराज, जिनकी बनाई मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में विराजेगी...इंडिया गेट पर लगी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बना चुके हैं मूर्तिकार

अयोध्या Ram Mandir के लिए भगवान राम की मूर्ति का चयन सोमवार को कर लिया गया. कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित रामलला की मूर्ति पर मुहर लग गई है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है.

Arun Yogiraj
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

अयोध्या में रामलला विराजमान होने के लिए तैयार हैं. 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मूर्ति का चुनाव भी कर लिया गया है. केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इसकी जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई मूर्ति भव्य राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी. जोशी ने जानकारी दी कि कर्नाटक के अरुण योगीराज की मूर्ति को राम मंदिर में विराजमान किया जाएगा. उन्होंने लिखा, 'जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं. अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चुनाव कर लिया गया है. हमारे देश के मशहूर शिल्पकार हमारे अरुण योगीराज की तरफ से बनाई मूर्ति को अयोध्या में विराजमान किया जाएगा.

उन्होंने लिखा, 'यह राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है... उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर योगरीज और रामलला की मूर्ति की तस्वीर शेयर की. इससे पहले कर्नाटक के पूर्व मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता बीएस योदियुरप्पा ने पहले ही योगीराज के नाम का एलान कर दिया था.

कौन हैं  योगीराज ?
37 वर्षीय अरुण योगीराज कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं. इतना ही नहीं अरुण योगीराज के पिता को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए भी जाना जाता है. बताया जाता है कि 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से अरुण योगीराज ने एमबीए की पढ़ाई की है. इससे पहले अरुण योगीराज ने सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी. जिसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल के पीछे भव्य छतरी के नीचे पीएम मोदी ने स्थापित किया था.  तब प्रधानमंत्री मोदी ने भी मूर्तिकार अरुण योगीराज की तारीफ की थी. इतना ही नहीं अरुण योगीराज प्रधानमंत्री मोदी से मिल भी चुके हैं. इसके अलावा अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी जिसके बाद अरुण योगीराज चर्चा में आए.

चयन प्रक्रिया में इन चीजों पर दिया गया ध्यान
मूर्तियों के चयन पर योगीराज की मां सरस्वती ने न्यूज एजेंसी से अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह हमारे लिए सबसे खुशी का पल है, मैं उन्हें मूर्ति बनाते हुए देखना चाहती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह मुझे आखिरी दिन ले जाएंगे, मैं स्थापना वाले दिन जाऊंगी.” राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने शुक्रवार को ट्रस्ट की बैठक के दौरान मूर्ति चयन प्रक्रिया पूरी होने की पुष्टि की थी. चयन प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए, मिश्रा ने मूर्ति की मनोरम प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जो लगे कि जैसे आपसे बात कर रही है, क्योंकि एक बार जब आप इसे देखते हैं, तो आप इससे मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यहां तक ​​कि अगर कई मूर्तियां एक साथ रखी जाती हैं, तो भी आंखें उसी पर टिकी रहें जो सबसे सर्वोत्तम हो."

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इससे पहले, राय ने घोषणा की थी कि भगवान राम की 51 इंच ऊंची मूर्ति, जो पांच साल पुराने राम लला को दर्शाती है, को तीन डिजाइनों में से चुना जाएगा, जिसमें दिव्यता और बच्चे जैसी उपस्थिति को महत्वपूर्ण कारकों के रूप में जोर दिया जाएगा.


 

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