अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का उत्साह देश के कोने-कोने में दिखाई दे रहा है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला विराजेंगे लेकिन इसके बाद भी उत्सव जारी रहेगा. क्योंकि इसके बाद भी जश्न जारी रहेगा. राम मंदिर साल 2025 में पूरी तरह बनकर तैयार होगा. इसके अलावा और भी कई ऐसे केंद्र बन रहे हैं जिनकी तरफ देश-विदेश के लोग आकर्षित होंगे.
इन केंद्रों में से एक है वैक्स स्कल्पचर्स यानी मोम की मूर्तियों का म्यूजियम, जिसे तैयार कर रहे हैं 52 वर्षीय सुनील कंडल्लूर. इस संग्रहालय का पहला चरण इस साल अप्रैल-मई तक तैयार होने की उम्मीद है.
पहले फेज में बनेंगी 100 आदमकद मोम की मूर्तियां
म्यूजियम में राम, सीता, हनुमान और रामायण के अन्य सभी महत्वपूर्ण पात्रों की लगभग 100 आदमकद मोम की मूर्तियों के साथ, पहले फेज में राम कथा के 30-35 दृश्यों को दर्शाया जाएगा. जिसमें सीता का स्वयंवर, वनवास और लंका दहन आदि शामिल हैं. इस संग्रहालय को रामायण वैक्स संग्रहालय (Ramayan Wax Museum) कहा जाएगा.
यह 7 करोड़ रुपये का संग्रहालय प्रोजेक्ट पिछले अप्रैल में सुनील को मिला था और अयोध्या नगर निगम ने इसके लिए उन्हें 2.5 एकड़ जमीन आवंटित की है. सुनल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हमने म्यूजियम टेंडर के लिए आवेदन किया था और हम एकमात्र आवेदक निकले. इसलिए सरकार ने दूसरा टेंडर जारी किया. फिर, हम एकमात्र आवेदक थे. ऐसा लगता है कि हम वास्तव में देश के एकमात्र लोग हैं जिनके पास इस संग्रहालय को जिस तरह की विशेषज्ञता की जरूरत है, वह है."
पहले भी बना चुके हैं वैक्स की मूर्तियां
और ये सुनील के सिर्फ बड़े-बड़े दावे नहीं हैं, बल्कि कन्याकुमारी (तमिलनाडु), थेक्कडी (केरल) और लोनावाला (महाराष्ट्र) में उनके मोम संग्रहालय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे, अभिनेता-राजनेता एम जी रामचंद्रन, अभिनेता रजनीकांत, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जैसी मशहूर हस्तियों की 170 आदमकद मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं.
उन्होंने 2013 में मोदी जी की मूर्ति बनाई थी, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने मुंबई में एक समारोह में इसका उद्घाटन किया. लंदन के मैडम तुसाद की तर्ज पर विकसित इन मोम की मूर्तियों ने अपने सजीव स्वरूप के लिए लगातार सराहना अर्जित की है.
तीनों भाई मिलकर करते हैं काम
जहां सुनील कलाकार और रचनात्मक दिमाग हैं, वहीं उनके भाई सुभाष और सुजीत संग्रहालयों के प्रशासनिक और लॉजिस्टिक पहलुओं का प्रबंधन करते हैं. कंडल्लूर भाई मूल रूप केरल के रहने वाले हैं लेकिन लोनावला में रहते हैं. पिछले चार महीने से सुभाष और सुनील ने अपना ठिकाना अयोध्या कर लिया है.
अयोध्या प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए सुनील ने कहा, 'अयोध्या के लिए हमने पहली 80 मूर्तियों के लिए सांचे बनाना शुरू कर दिया है. मेरे पांच कर्मचारी मेरे मॉडलों, रेखाचित्रों और निर्देशों के आधार पर सांचे बना रहे हैं. मैं उनमें से हर एक को अंतिम आकार देने और पेंटिंग करने का काम करूंगा.'
10,000 वर्ग फुट में फैला पहला चरण राम कथा को समर्पित है, जबकि दूसरा कृष्ण कथा पर आधारित होगा. बाद में, उन्होंने कहा, पार्क, रेस्तरां आदि के अलावा मशहूर हस्तियों की मूर्तियां भी जोड़ी जा सकती हैं. 7 करोड़ रुपये में से, सुभाष ने कहा, पहले चरण की लागत 5 करोड़ रुपये होगी. मूर्ति के सांचे पर काम करने वाले पांच कलाकारों के अलावा, 20-25 लोग मिलकर संग्रहालय की बाकी सुविधाएं तैयार कर रहे हैं.
पुस्तकों और ग्रंथों से ली प्रेरणा
जहां तक मूर्तियों के संदर्भ का सवाल है, सुनील ने विशेष रूप से राम के विवरणों को समझने के लिए विभिन्न पुस्तकों और ग्रंथों का अध्ययन करने में लंबा समय बिताया. इसके अलावा, वह पिछले कुछ महीनों से अयोध्या में हैं और जहां भी गए वहां उन्होंने भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की तस्वीरें देखीं. ये भी उनके शोध और अध्ययन का एक हिस्सा था. मानव त्वचा जैसा दिखने वाले एक बहुत ही उन्नत प्रकार के सिलिकॉन की उपलब्धता से उन्हें जीवंत मूर्तियां बनाने में मदद मिलती है.
इन मूर्तियों को बनाने के लिए सिलिकॉन, मोम, फाइबरग्लास और अन्य उन्नत सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है. सभी पात्रों की कई मूर्तियां हैं. उदाहरण के लिए, राम को जंगल में घूमते, अपने जुड़वा बच्चों के साथ खेलते, रावण के खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए दिखाया गया है. इसलिए, उन्होंने विभिन्न भावों के साथ राम की कई मूर्तियां बनाई हैं.