राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनकी उम्र 66 वर्ष थी. यह वारदात रात करीब 9.30 बजे मुंबई के बांद्रा में उनके बेटे और बांद्रा ईस्ट विधायक ज़ीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर हुई. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, तीन से चार लोगों ने बाबा सिद्दीकी पर तीन राउंड फायरिंग की. जिसके बाद उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया.
अस्पताल पहुंचने के कुछ देर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. सिद्दीकी को 15 दिन पहले ही जान से मारने की धमकी मिली थी. इसके बाद उन्हें 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा (Y Category Security) मुहैया करवाई गई थी. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक हरियाणा से जबकि दूसरा उत्तर प्रदेश से है. पुलिस अग्रिम जांच कर रही है.
कांग्रेस से शुरू किया राजनीतिक सफर
बिहार के पटना में जन्मे ज़ियाउद्दीन सिद्दीकी ने अपना राजनीतिक करियर ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस के साथ शुरू किया. मुंबई में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के एक सदस्य के तौर पर उन्होंने कई छात्र आंदोलनों में हिस्सा लिया. और देखते ही देखते वह पार्टी में ऊपर भी चढ़ते चले गए. साल 1980 में सिद्दीकी को बांद्रा तालुका यूथ कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया. दो साल बाद वह इसके अध्यक्ष भी बना दिए गए.
साल 1988 तक सिद्दीकी मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंच गए थे और चार साल बाद वह बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में पार्षद भी बन गए थे. वह आठ साल तक एक काउंसिलर बने रहे. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि बतौर काउंसिलर अपने कार्यकाल के दौरान बाबा सिद्दीकी कांग्रेस सांसद सुनील दत्त के करीबी बन गए.
दत्त के साथ यह कनेक्शन उन्हें 1999 में बांद्रा वेस्ट विधानसभा का टिकट दिलाने में अहम साबित हुआ. सिद्दीकी 1999 में पहली बार बांद्रा वेस्ट के विधायक बने. और 15 साल तक इस क्षेत्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम किया.
...पहले कांग्रेस से बिगड़े रिश्ते, फिर छूटा दामन
इन 15 सालों में सिद्दीकी कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा बन चुके थे. हालांकि उनके राजनीतिक करियर को झटका तब लगा जब वह 2014 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट बीजेपी के आशीष शेलार से हार गए. सिद्दीकी ने भले ही इसके बाद चुनाव नहीं लड़ा लेकिन अपने बेटे ज़ीशान को बांद्रा ईस्ट से कांग्रेस का टिकट जरूर दिलवाया. ज़ीशान शिवसेना के इस गढ़ में 5000 वोटों से जीतने में कामयाब भी रहे.
लेकिन सिद्दीकी और कांग्रेस के बीच रिश्तों में खटास तब आई जब ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने महाराष्ट्र में शिवसेना से हाथ मिलाकर महाविकास अघाड़ी बनाने का फैसला किया. एक समय ऐसा भी आया था जब सिद्दीकी ने अपने पैतृक राज्य बिहार का रुख करने का फैसला किया था. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) लीडर तेजस्वी यादव से राज्यसभा सीट का भी मुतालबा किया था लेकिन बात नहीं बनी थी.
बहरहाल, जब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनसीपी का बंटवारा हुआ और महाराष्ट्र की सियासी हवा बदली तो सिद्दीकी को अपने राजनीतिक करियर को फिर खड़ा करने का एक मौका दिखा. इस साल फरवरी में उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने करीब पांच दशक पुराने रिश्ते पर पूर्ण विराम लगाया. और एनसीपी-अजीत पवार गुट का हिस्सा बन गए.
याद की जाएंगी बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टियां
राजनीतिक दुनिया की चकाचौंध से इतर बाबा सिद्दीकी की एक और पहचान थी. उनकी इफ्तार पार्टियां. हर साल रमज़ान के महीने में एक दिन बाबा सिद्दीकी एक इफ्तार पार्टी का आयोजन करते थे जिसमें राजनीति से लेकर बॉलीवुड की दुनिया तक के कई जाने-पहचाने चेहरे नजर आते थे. साल 2013 में सिद्दीकी की एक इफ्तार पार्टी ने कई लोगों की निगाहें खींचीं. इसकी वजह थी बॉलीवुड के दो सितारों का साथ आना.
इस इफ्तार पार्टी में बॉलीवुड के ''बादशाह शाहरुख खान और हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के 'सुल्तान' सलमान खान साथ नजर आए थे. माना जाता है कि इसी इफ्तार पार्टी में बाबा सिद्दीकी ने दोनों के बीच का मनमुटाव खत्म कर दोस्ती को दोबारा जिन्दा किया था. इस इफ्तार पार्टी की एक तस्वीर में सलमान और शाहरुख को गले मिलते हुए देखा जा सकता है. और उनके बीच खड़े बाबा सिद्दीकी को भी मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है.