क्या आपने किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है, जहां के घरों में बल्ब भी जलता है और पंखा भी चलता है. इसके बावजूद बिजली बिल नहीं आता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत-पकिस्तान बॉर्डर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बनासकांठा जिले के सुइगाम तालुका के मसाली गांव की. यहां के हर घर में रात में रोशनी रहती है लेकिन ग्रामिणों को बिजली बिल नहीं भरना पड़ता है. दरअसल, इस गांव में सौर ऊर्जा से बिजली जलती है.
बना दिया है सोलर वाला गांव
मसाली गांव देश का पहला बॉर्डर सोलर गांव बन गया है. इस गांव की कुल आबादी 800 है. यह गांव पूर्णतः सौर ऊर्जा आधारित गांव बन गया है. यहां कुल 119 घरों पर सोलर रूफटॉप लगाए गए हैं. गांव के लोगों ने सरकार से मिलने वाली सब्सिडी और 50 फीसदी रकम चुकाकर इस गांव को सोलर वाला गांव बना दिया है.
कर रहे बिजली पैदा
मसाली गांव स्थित सबी 119 घर सोलर से बिजली पैदा कर रहे हैं. इससे गांव को किसी भी प्रकार का लाइट बिल नहीं मिलता है. ग्रामीणों का कहना है कि पहले गांव में रोशनी थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे बिजली बिल नहीं भर पाते थे. इसके कारण बिजली कनेक्शन को काट दिया गया था. अब हर घर में सोलर सिस्टम लगने से लाइट का बिल भरने की जरूरत नहीं है.
पूरे गांव में सोलर होने से यह पूरे देश का पहला सोलर गांव बन गया है. इससे गांव के लोगों में खुशी देखी जा रही है. आज यहां के 119 घरों को कुल 225.5 किलोवाट बिजली मिलती है, जो हर घर की जरूरत से ज्यादा है. बनासकांठा के जिलाधिकारी मिहिर पटेल का कहना है कि मसाली गांव को देश का पहला बॉर्डर सोलर विलेज होने का गौरव हासिल हुआ है. गांव में बिजली की समस्या को हल करने के लिए सभी 119 घरों पर सोलर रूपटॉप लगाए जा चुके हैं.
हो रही अतिरिक्त आमदानी
बॉर्डर के करीब होने की वजह से पहले मसाली गांव को बिजली सप्लाई लगातार नहीं मिल पाती थी लेकिन अब सोलर पैनल लगने से ये गांव को चौबीसों घंटे बिजली मिल रही है. इस्तेमाल से ज्यादा बिजली से गांव के लोगों को अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है. सोलर पैनल ने बनासकांठा के मसाली गांव के लोगों की जिंदगी बदल दी है. अब ये गांव बिजली आपूर्ति में आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गया है.