ममता में कोई भेदभाव नहीं…8 सालों से जंगल के बंदरों का पेट पाल रही है ये बुजुर्ग महिला, मां की तरह रखती हैं ख्याल

कटरा की रहने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग रानी उर्फ कुशमा का जुनून देखते ही बनता है. रानी कई वर्षों से बागै नदी के पास बने देवी स्थान के पास झोपड़ी बनाकर इस भीषण गर्मी में 2 से 3 माह जीव जंतुओं की सेवा करती हैं.

रानी उर्फ कुशमा
gnttv.com
  • बांदा,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 10:07 AM IST
  • इस उम्र में जानवरों का रखती हैं ख्याल
  • 8 सालों से रख रही हैं बंदरों का ध्यान

यूपी के बुंदेलखंड में इन दिनों भीषण गर्मी में हर कोई व्याकुल है. सूरज की तपिश में नदी तालाब सब सूख रहे हैं. हर कोई पानी के लिए परेशान है. पशु पक्षी भी जंगलों में पानी न मिलने से शहर की ओर आ रहे हैं. बुंदेलखंड को पानीदार बनाने के लिए तमाम प्रयास किए गए, लेकिन स्थिति जस की तस है. अब उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में पानी न मिलने से जंगली जीव संकट में आने लगे हैं. 

इस उम्र में जानवरों का रखती हैं ख्याल
इसी के मद्देनजर एक बुजुर्ग महिला ने काफी अच्छी पहल शुरू की है. कटरा की रहने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग रानी उर्फ कुशमा का जुनून देखते ही बनता है. रानी कई वर्षों से बागै नदी के पास बने देवी स्थान के पास झोपड़ी बनाकर इस भीषण गर्मी में 2 से 3 माह जीव जंतुओं की सेवा करती हैं. रानी ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में बंदरों का जीवन पानी की कमी के कारण संकट में न आ जाए. मजेदार बात ये है कि हैंडपंप से पानी पिलाने के दौरान रानी इन बंदरों को नाम लेकर बुलाती है, पप्पू, मुन्नू, कालू आदि, और ये बंदर भी आवाज सुनते ही ऐसे आ जाते हैं, मानो उनकी मां उन्हें बुला रही हो. आवाज सुन ये बंदर हैंडपम्प पर आ जाते हैं और पानी पीकर वापस जंगलों में चले जाते हैं. 

8 सालों से रख रही हैं बंदरों का ध्यान
आसमान से बरसती आग के बीच उनकी प्यास बुझाने के लिए बुजुर्ग हैण्डपम चलाती हैं. घने जंगलों में सूखते जल स्रोतों के बीच बंदर इसी हैण्डपम्प से अपनी प्यास बुझाते हैं. करीब 8 साल से रानी का यहाँ झोपड़ी बनाकर बंदरो को पानी पिलाने का सिलसिला बरकरार है. जो रानी के मुताबिक जीवित रहने तक चलता रहेगा. 

लोग भी करते हैं महिला की मदद
बुजुर्ग महिला का परिवार कालिंजर क्षेत्र के कटरा में रहता है. महिला ने बताया उसके 4 बेटे हैं. कुछ दिन पहले उसके एक बेटे की मौत भी हो चुकी है. गांव में उसके 3 बेटे अपने परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन महिला ने अपना ठिकाना जंगलों में बना रखा है. परिवार के लोगों का आना जाना लगा रहता है. कुछ दूर पर महज 2 बीघे खेत भी हैं. बंदर भी इतना घुल मिल गए हैं कि महिला को छोड़ कहीं जाते भी नही. महिला सतना मध्य प्रदेश से आने जाने वाले लोगो से दे जाने वाले खाना, फल, चना को खिलाती है और उनका पेट पालती है. महिला ने बताया कि यदि कोई आक्रामकता दिखाने की कोशिश करता है तो बन्दर आकर हमला कर देते हैं. फिलहाल बुजुर्ग की चर्चा यूपी एमपी के जिलों में खूब है. लोग सराहना कर रहे और आते जाते समय कुछ खाद्य सामग्री महिला को देकर जाते हैं. 

(बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)

 

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