13 साल की मान्या को मिला International Young Eco-Hero Award, सब्जियों के छिलकों से बना चुकी हैं सस्टेनेबल पेपर

International Young Eco-Hero Award: बंगलुरू की रहने वाली 13 वर्षीया मान्या हर्षा आज बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. छोटी सी उम्र से पर्यावरण के लिए काम कर रहीं मान्या अपने प्रयासों से लोगों को जागरूक करने का प्रयत्न कर रही हैं.

Manya Harsha
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 22 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:49 AM IST
  • सब्जियों के छिलकों से बनाया DIY वेजिटेबल पेपर
  • लॉकडाउन में शुरू की थी सनशाइन पत्रिका

बंगलुरु के विबग्योर हाई स्कूल के गोल्डन बी की 13 वर्षीया छात्रा, मान्या हर्षा को साल 2023 अंतर्राष्ट्रीय युवा इको-हीरो पुरस्कार मिला है. मान्या इस पुरस्कार को हासिल करने वाले दुनिया भर के 17 युवा एंवायरमेंट एक्टिविस्ट में से एक हैं.
 
यह पुरस्कार 8 से 16 वर्ष की आयु के पर्यावरण के प्रति जागरूक युवाओं को मान्यता देता है जो पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. बेंगलुरु की मान्या ने अपने प्रोजेक्ट SUNSHINE, DIY वेजिटेबल पेपर के ग्रीन इनोवेशन और पर्यावरण में सक्रिय भागीदारी के लिए यह पुरस्कार जीता है.  

सब्जियों के छिलकों से बनाया DIY वेजिटेबल पेपर 
13 वर्षीय भारतीय एंवायरमेंटलिस्ट मान्या एक युवा लेखिका, क्लाइमेट एक्टिविस्ट, रिसायक्लर और बच्चों की पत्रिका सनशाइन की संपादक हैं. वह बच्चों की इस पत्रिका और प्रकृति-थीम वाली किताबों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लड़ रही हैं. मान्या की DIY पेंसिल और उनके DIY वेजिटेबल पेपर (रसोई से निकलने वाले गीले कचरे का समाधान) के लिए पैकेजिंग रैपर को रिसाइक्लिंग करने का ग्रीन इनोवेशन युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ी प्रेरणा रहा है.

मान्या ने अब तक सब्जियों के छिलकों, पत्तियों और फेस्टिवल वेस्ट से रंगीन वेजिटेबल पील पेपर की 200 शीट बनाई हैं. पुरानी डेनिम जींस से डेनिम पेपर बनाना भी उनकी उपलब्धि रही है. मान्या अलग-अलग वर्कशॉप लेकर लोगों को इस तरह के पेपर बनाना सिखा रही हैं. 

लॉकडाउन में शुरू की थी सनशाइन 
मान्या ने साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान अपनी बच्चों की पत्रिका शुरू की. सनशाइन एक डिजिटल और प्रिंट जर्नल है जिसे विशेष रूप से बच्चों ने पर्यावरण जागरूकता फैलाने के लिए डिज़ाइन किया है. यह पत्रिका पूरी तरह से निःशुल्क है और बैंगलोर के कई मोंटेज़ोरिस और स्कूलों में बांटी जाती है. पाठकों के बीच पर्यावरण की भावना को बढ़ावा देने के लिए पत्रिका के माध्यम से कई पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. 

पत्रिका के माध्यम से हर एक पौधा एक अभियान, कागज बनाने की वर्कशॉप, बच्चे पानी कैसे बचा सकते हैं?, न्यू इंडिया सस्टेनेबल इंडिया अभियान, प्लास्टिक मुक्त जुलाई लेखन प्रतियोगिता, पृथ्वी दिवस के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता पर सेमिनार आयोजित किए गए हैं. 
मान्या का कहना है कि वह सिर्फ बोलने की बजाय काम करने में विश्वास करती हैं. 

उन्होंने चार साल की उम्र में अपनी दादी स्वर्गीय वी रुद्रम्मा के साथ पहला पौधा लगाया था और तब से लेकर आज तक वह प्रकृति के प्रति जागरूक हैं. उनकी दादी ने उन्हें जंगली जानवरों का सम्मान करना, प्रकृति से प्यार करना, अन्य प्राणियों के साथ सद्भाव से रहना सिखाया. वह अपनी सारी सफलता अपनी दादी को समर्पित करती हैं. 

मिले हैं कई पुरस्कार 
मान्या ने अब तक अपनी यात्रा के दौरान 7000 पौधे बांटे हैं, 8000 से ज्यादा सस्टेनेबल बैग वितरित किए हैं, 4600 पौधे लगाए हैं, लगभग 5000 से अधिक बीज बम बनाकर लगाए हैं. उन्होंने विभिन्न जल निकायों, वन, राजमार्ग और शहर की सड़कों पर कई सफाई अभियान भी आयोजित किए हैं. 

DIY वेजिटेबल पेपर के ग्रीन इनोवेटर, भारत के जल मंत्रालय से वॉटर हीरो 2020 पुरस्कार विजेता, Earth.org इंडिया नेटवर्क से राइजिंग स्टार अवार्ड, यूएन वॉटर के पेज पर मान्यता प्राप्त और प्रदर्शित, और मानवतावादी उत्कृष्टता पुरस्कार विजेता हैं. मान्या पृथ्वी मेला, अक्षयकल्प रीसाइक्लिंग मेला, लायंस क्लब, बैक टू स्कूल कार्यक्रम, बायजस पेपर बैग डे पहल आदि में पब्लिक स्पीकर रही हैं. 

वह 7 नेचर थीम्ड बुक्स लिख चुकी हैं. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से भारत की सबसे कम उम्र की कवयित्री 2019 और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर चुकी हैं. 
 
339 इको-हीरोज को मिली है पहचान 
अंतर्राष्ट्रीय युवा इको-हीरो पुरस्कार के विजेताओं का चयन जजों का एक पैनल करता है, जिसमें पर्यावरण विज्ञान, जीव विज्ञान और शिक्षा के विशेषज्ञ शामिल होते हैं. पिछले 20 वर्षों से, एक्शन फॉर नेचर ने 27 देशों और 32 अमेरिकी राज्यों के 339 इको-हीरोज को मान्यता दी है.

 

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