1.15 लाख किमी की यात्रा कर 144 शहीदों के परिवारों से मिला है यह प्रोफेसर, उनके घरों की मिट्टी को माथे पर लगा दिया सम्मान

उमेश ने 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले के बारे में जानने के बाद शहीदों के परिवारों से मिलने और उनके घरों के बाहर से मिट्टी इकट्ठा करने का फैसला किया. उन्होंने इस काम के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और 9 अप्रैल, 2019 को क्राउड फंडिंग की मदद से अपनी यात्रा शुरू की. 

Umesh Gopinath Jadhav (Pic: Facebook)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST
  • 1.15 लाख किमी की यात्रा कर मिले शहीदों के परिवारों से
  • इकट्ठा की शहीदों के घर के बाहर की मिट्टी

क्या आपने कभी सोचा कि सरहद पर शहीद होने वाले सैनिकों का परिवार किस तरह ज़िन्दगी बिता रहा है. या वे लोग कैसे होते हैं जो खुद से पहले अपने देश को रखते हैं. यही जानने के लिए बेंगलुरु के एक 40 वर्षीय फार्मेसी प्रोफेसर और म्यूजिशियन ने 1.15 लाख किमी की यात्रा की है. 

यह कहानी है उमेश गोपीनाथ जाधव की जो पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों सहित 144 शहीदों के परिवारों से जाकर मिले हैं. और सम्मानस्वरूप सभी सैनिकों के घर के बाहर की मिट्टी उन्होंने इकट्ठा की है. और आज उनका कहना है कि बिना वर्दी पहने भी हम देश के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. 

इस बात का अहसास उन्हें देश भर की यात्रा करके शहीदों के परिवारों से मिलने के बाद हुआ. 

पुलवामा हमले के बाद बनाया मन:

उमेश ने 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले के बारे में जानने के बाद शहीदों के परिवारों से मिलने और उनके घरों के बाहर से मिट्टी इकट्ठा करने का फैसला किया. उन्होंने इस काम के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और 9 अप्रैल, 2019 को क्राउड फंडिंग की मदद से अपनी यात्रा शुरू की. 

इस यात्रा में उन्होंने न केवल 40 सीआरपीएफ पुलवामा शहीदों के परिवारों से मुलाकात की, बल्कि पहले और दूसरे विश्व युद्ध, कारगिल युद्ध, उरी हमले, पठानकोट हमले, ऑपरेशन रक्षक, गलवान संघर्ष और हाल ही में कुन्नूर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की. 

इकट्ठा की शहीदों के घर की मिट्टी: 

उन्होंने सभी शहीदों के घर के बाहर की मिट्टी इकट्ठा की है. उनका कहना है उन्होंने सबसे पहले मांड्या में सीआरपीएफ जवान एच गुरु के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की. सभी शहीदों के परिवारों से मिलना संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने हर राज्य से कम से कम दो लोगों से मिलने की कोशिश की. 

लेकिन नासिक में चार अलग-अलग परिवार उनसे मिलने आए और सभी ने अपने-अपने घरों की मिट्टी को एक कलश में मिलाकर उन्हें दिया. यह पल बहुत भावुक था. किसी शहीद परिवार ने उनसे मिलने से इनकार नहीं किया. कई लोगों ने उन्हें अपने घर में भी रखा. 

स्मारक निर्माण के लिए दी मिट्टी: 

उमेश ने सभी शहीदों के घरों से मिट्टी इकट्ठा करके स्मारक निर्माण के लिए दी है. पुलवामा शहीदों की मिट्टी से एक स्मारक बनाया जा चुका है. अब अन्य शहीदों के घरों की मिट्टी को भी दिल्ली में एक और स्मारक बनाने के लिए रक्षा बलों को दिया जाएगा. 

उन्होंने एलीट 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप से दो फील्ड मार्शल जनरल केएम करियप्पा और जनरल सैम मानेकशॉ, 26/11 के शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के घरों से मिट्टी इकट्ठा की.

 

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