कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी जिले में हर्षोल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आज से शुभारंभ हुआ है. जिसके लिए भक्तों ने रथ यात्रा को लेकर अनोखी कलाकृतियां तैयार की हैं. किसी ने माचिस की तीली, चॉक से भगवान के रथ की प्रतिकृति बनाई है तो किसी ने रेत से अपनी कला दिखाई है.
लोगों के अपनी श्रद्धा दिखाने के अलग-अलग अंदाज ने सबका दिल जीत लिया है. आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे कलाकारों ने कला के माध्यम से अपनी आस्था व्यक्त की है.
धुएं से बनाई तस्वीर
कटक निवासी स्मोक (धुआं) आर्टिस्ट दीपक बिस्वाल ने दीये के धुएं से भगवान जगन्नाथ के साथ त्रिमूर्ती रथों की तस्वीर बनाई है. दीपक ने तस्वीर में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा एवं उनके बड़े भाई बलभद्र के रथों को जगन्नाथ मंदिर के सामने लाखों भक्तों द्वारा खींचते हुए दर्शाया है. दीपक ने कहा कि इस तस्वीर को बनाने में मुझे करीब 7 घंटे का समय लगा है.
दीपक ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा को भक्तों के बिना आयोजित किया गया. वह एक स्मोक आर्टिस्ट के साथ भगवान जगन्नाथ के भक्त भी हैं. इस वर्ष रथ यात्रा पर स्मोक आर्ट से महाप्रभु जगन्नाथ के साथ उनके भाई-बहन के रथों की तस्वीर बनाई है. तस्वीर में पवित्र रथों को जगन्नाथ मंदिर के सामने खींचा जा रहा है. इस तस्वीर में उन्होंने मंदिर के सिंह द्वार पर रहने वाले कबूतरों को उड़ते हुए दर्शाया है.
इसके पीछे की मान्यता है कि जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ भ्रमण के लिए मंदिर से बाहर आते है. उसी समय कबूतरों का झूंड भगवान को मंदिर में नहीं पाने पर, वहां से उड़कर दूसरे स्थान पर निवास करते हैं. और जैसे ही महाप्रभु वापस मंदिर को लौटते हैं कबूतरों का भी झुंड वापस आ जाता है. दीपक पिछले 5 सालों से स्मोक आर्ट पर काम कर रहे हैं.
चावल से नंदीघोष रथ बनाया
वहीं, पुरी कुम्भार पाड़ा के निवासी जाबिर खान ने धान से भगवान जगन्नाथ के रथ का चित्र बनाया. इसमें कुल 1,202 धान का इस्तेमाल हुआ, और जाबिर को इसे बनाने में 19 घंटे लगे. यह जाबिर की भगवान के प्रति श्रद्धा है जिसने उन्हें यह काम करने के लिए प्रेरित किया.
इसी तरह, खुर्दा जिला के जटनी निवासी एल ईश्वर राव ने पेन्सिल चॉक एवं माचिस की तील्लियों से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा एवं उनके भाई बलभद्र की मूर्तियों के साथ पवित्र रथों को तैयार किया है. राव ने बताया कि इन सभी रथों पर विराजमान भगवान जगन्नाथ एंव उनके भाई-बहन की प्रतिमा को नीम की लकड़ी से बनाया गया है. रथों की कुल ऊंचाई 7.5 इंच हैं, वहीं प्रतिमा की ऊंचाई 1 इंच है. इन सभी रथों को बनाने में 15 दिनों का समय लगा है.
हुआ 52 पेन्सिल चॉक, 101 माचिस की तीलियों का इस्तेमाल
राव ने विस्तार से कहा कि इन सभी पवित्र रथों के निर्माण में 52 पेन्सिल चॉक, 101 माचिस की तीलियों का इस्तेमाल हुआ है. पुरी की रथों की तरह प्रत्येक रथ में चार पहिया लगाया गया है. साथ ही रथों को सजाने के लिए पेपर के साथ सितारों का इस्तेमाल किया गया है. राव ने कहा कि मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कोरोना जैसी महामारी का सामना हम सभी भक्तों को दोबारा नहीं करना पड़े. सभी को स्वास्थ्य एवं खुश रखें.
रेत से कला का प्रदर्शन
सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने रेत से 125 रथ बनाकर अपनी आस्था जताई तो वहीं एक और रेत एनिमेटर मानस साहू ने रथ यात्रा के अवसर पर एक रेत एनीमेशन बनाया है. अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकार, मानस कुमार साहू ने विश्व प्रसिद्ध "रथ यात्रा" या भगवान जगन्नाथ के तथाकथित "कार महोत्सव" के अवसर के लिए एक छोटा वीडियो एनिमेटेड किया है.
मानस ने रेत से भगवान जगन्नाथ के भव्य मंदिर, बड़े रथों और रथों के अलावा बड़ी संख्या में भक्तों के निर्माण को खूबसूरती से चित्रित किया है. 92 सेकेंड के इस शॉर्ट वीडियो को बनाने में मानस साहू को करीब 10 घंटे का समय लगा.
आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर रथ यात्रा में शामिल होने वाले सभी श्रद्दालुओं को मास्क पहनना अनिवार्य किया है. वहीं ओडिशा पुलिस के महानिदेशक सुनील बंसल ने बताया कि रथ यात्रा के दौरान 108 प्लाटून फोर्स को तैनात किया जाएगा. इस दौरान पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.