देशभर के विभिन्न संगठनों ने अुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज यानी 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है. कई जगहों पर बंद का असर भी दिखाई दे रहा है. कई जगहों पर दुकानें बंद हैं. ट्रेनें रोकी जा रही हैं. बाजार बंद हैं. कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. इस बंद को तमाम सियासी दलों का समर्थन भी मिल रहा है.
भारत बंद का असर-
कई इलाकों में भारत बंद का असर दिखाई दे रहा है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में दुकानें बंद नजर आ रही हैं. सूबे के 13 जिलों में स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद हैं. भरतपुर और दौसा जिले में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. बिहार में पटना और आरा में ट्रेनें रोकी गई. सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने जहानाबाद में एनएच-83 ब्लॉक कर दिया. झारखंड में भी कई जगहों पर चक्का जाम किया गया है. हालांकि कई जगहों पर बंद का असर नहीं दिखाई दे रहा है. दिल्ली में चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री का कहना है कि दिल्ली में सभी 700 बाजार खुले रहेंगे.
भारत बंद को किसका समर्थन-
एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इस बंद को कई सियासी दलों का समर्थन मिला है. इस बंद को यूपी में समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया और कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है. ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ जनशक्ति का एक कवच साबित होगा. उधर, बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी इस बंद के समर्थन में है. पार्टी प्रमुख मायावती ने कार्यकर्ताओं से शांतिपूर्ण विरोध करने की अपील की है.
बिहार में इस बंद को आरजेडी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी LJPR का समर्थन मिला है. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जब तक समाज में SC/ST के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है, तब तक इसके आरक्षण में सब-कैटेगरी जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए.
उधर, राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लीडर हनुमान बेनीवाल ने भी भारत बंद का समर्थन किया है. इसके अलावा भीम आर्मी (कांशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसका समर्थन किया है.
क्या है संगठनों की मांग-
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशंस (NACDAOR) ने एससी/एसटी और ओबीसी के लिए मांगों की सूची जारी की है. संगठन ने सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने की मांग की है, ताकि उनका सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके. इसके साथ ही भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए न्यायिक अधिकारी और जज नियुक्त करने की मांग की. संगठन की ये भी मांग है कि केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए. संसद नें नए एक्ट पारित किया जाए और आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए.
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