25 मई को बहुजन मुक्ति पार्टी की तरफ से भारत बंद का ऐलान किया गया है. इस भारत बंद के लिए बहुजन मुक्ति पार्टी और ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलॉइज फेडरेशन मिल कर काम रही है. दरअसल फेडरेशन ने अन्य पिछड़ी जातियों के लिए जाति आधारित जनगणना कराने से इनकार करने पर भारत बंद का ऐलान किया है. साथ ही फेडरेशन ने सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की मांग की है.
भारत बंद को इन संगठनों का समर्थन
इसके अलावा फेडरेशन चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल का भी विरोध कर रहा है. साथ ही उनके मुद्दों में निजी क्षेत्र एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण का मुद्दा भी शामिल है. इस भारत बंद को बहुजन मुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजन वामन मेश्राम के साथ भारत मुक्ति मोर्चा, नेशनल परिवर्तन मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा और सभी संबद्ध संगठनों का समर्थन भी हासिल है.
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
दरअसल फेडरेशन की मांग है कि चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए, जाति आधारित जनगणना की मांग, पुरानी पेंशन दोबारा शुरू करना, किसानों को एमएसपी की गारंटी देना, लोगों को टीका लगवाने के लिए मजबूर ना करना, पर्यावरण संरक्षण की आड़ में आदिवासियों को विस्थापित न करना, निजी क्षेत्र में एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण, श्रम कानूनों के खिलाफ सुरक्षा की मांग, जो कोरोना लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के खिलाफ सख्त बनाए गए थे.
कहां पड़ेगा भारत बंद का प्रभाव?
भारत बंद का प्रभाव राष्ट्रीय राजधानी में दिखने की संभावना है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी कुछ व्यवधान देखने को मिल सकता है. दुकानें और सार्वजनिक परिवहन भी बंद रहने की उम्मीद है, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. वहीं बस, ऑटो, ओला और उबर कैब में भी कोई बदलाव का ऐलान नहीं किया गया है.