केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, बिहार का मोतिहारी 413 के एक्यूआई के साथ आज भारत का सबसे प्रदूषित शहर है. इसके बाद पूर्णिया (378), बेतिया (377), सीवान (372), अररिया (340), कटिहार (337), सहरसा (322), समस्तीपुर (317), दरभंगा (316), बक्सर (313), हिसार (311), फतेहाबाद (306), दिल्ली (303), और सिंगरौली (302) का स्थान है.
आपोक बता दें कि प्रदूषण के मामले में मोतिहारी 'गंभीर' श्रेणी में है. आपको बता दें कि मोतिहारी एक ऐतिहासिक शहर है. इसका रिश्ता भारत की आजादी के संग्राम से भी जुड़ा है. कभी अंग्रेजों को चुनौती देने वाला यह इलाका आद खुद प्रदूषण से बेहाल है.
मोतिहारी का इतिहास में महत्व
मोतिहारी प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज ऑरवेल, एरिक आर्थर ब्लेयर और महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के जन्मस्थान के रूप में अपनी प्रतिष्ठा रखता है. मोतिहारी और उसके आसपास के स्थानों का एक पुराना संबंध रहा है: बौद्ध धर्म. मोतिहारी से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर केसरिया में दुनिया का सबसे ऊंचा स्तूप है.
मोतिहारी, इस प्रकार, गांधी और बौद्ध सर्किट दोनों का एक क्रूसिबल है. मोतिहारी के साथ महात्मा गांधी के संबंधों की स्मृति में एक संग्रहालय और एक पत्थर का स्तंभ है. एक मजिस्ट्रेट के सामने गांधीजी का साहसी बयान यहां एक पत्थर पर अंकित है.
48 फुट लंबा चुनार पत्थर का खंभा ठीक उसी स्थान पर खड़ा है जहां गांधी को 18 अप्रैल, 1917 को निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए तत्कालीन उप-मंडल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था. महात्मा गांधी का पहला सत्याग्रह तत्कालीन चंपारण जिले में मोतिहारी की धरती पर शुरू किया गया था और इस प्रकार, चंपारण गांधी द्वारा शुरू किए गए भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का प्रारंभिक बिंदु रहा है.