टेबल पर धूल भरी फाइलों और जंग लगी अलमारी से मिला निजात! बिहार का सहरसा कलेक्ट्रेट हुआ पूरी तरह से पेपरलेस, ऐसा करने वाला पहला जिला बना

बिहार का सहरसा कलेक्ट्रेट पूरी तरह से पेपरलेस हो गया है. ऐसा करने वाला यह बिहार का पहला जिला बन गया है. अब यहां ऑफिस में बिना पेपर के काम होगा. डीएम आनंद शर्मा के मुताबिक, इस जहां एक ओर निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे तो वहीं दूसरी ओर फाइलें सुरक्षित रह सकेंगी.

Paperless office
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:53 AM IST
  • पेपरलेस ऑफिस के हैं कई फायदे 
  • पेपरलेस होने वाला बिहार का पहला जिला 

भारत में जैसे-जैसे डिजिटिलाइजेशन बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे लगातार सरकारी ऑफिसों में भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है. टेबल पर धूल भरी फाइलों का बोझ और गलियारों में जंग लगी अलमीराओं की भीड़ अब कम की जा रही है. कई राज्यों में पेपरलेस ऑफिस के कांसेप्ट को अपना लिया गया है. बिहार भी इससे पीछे नहीं है. सहरसा कलेक्ट्रेट में आप घुसेंगे तो चारों ओर लैपटॉप ही मिलेंगे. यहां सूचनाओं की ई-ट्रैकिंग शुरू हो चुकी है. ऐसा करने वाला सहरसा, बिहार का पहला जिला बन गया है. 

पेपरलेस होने वाला बिहार का पहला जिला 

आपको बता दें, डीलिंग असिस्टेंट से लेकर जिलाधिकारी तक फाइलों को बंद कर दिया गया है. सहरसा अब पूरी तरह से पेपरलेस होने वाला बिहार का पहला जिला बन गया है. सहरसा के जिला मजिस्ट्रेट आनंद शर्मा, 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पटना में सहकारिता विभाग के साथ काम करते हुए, मुझे एक विभाग के पेपरलेस होने के लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ. 2020 में यह उपलब्धि हासिल करने वाला ये बिहार का पहला ऐसा विभाग था. जब मैंने इस साल की शुरुआत में सहरसा में डीएम के रूप में ज्वाइन किया था, तो मैंने सबसे पहले ऑफिस को पेपरलेस बनाने का काम किया.” 

पेपरलेस ऑफिस के हैं कई फायदे 

पेपरलेस ऑफिस के फायदे बताते हुए डीएम आनंद शर्मा कहते हैं कि एक फाइल को अधिकतम तीन दिनों तक रखा जा सकता है. अगर इसमें देरी होती है, तो जवाबदेही तय करना आसान होता है. जब कोई अधिकारी कार्यालय से बाहर होता है या फिर अगर वे कहीं यात्रा कर रहे हैं या घर पर हैं तब भी वे फाइल को डिस्पोज कर सकते हैं. 

वे बताते हैं कि ऑफिस को पूरी तरह से पेपरलेस बनाने में पैसा और समय दोनों लगा है. इसमें 34 पैसे प्रति पेज की कीमत पर लगभग 5,000 फाइलों के लगभग 3 लाख पेज को स्कैन करके डिजिटल फाइलों में बदलना पड़ा. यह प्रक्रिया हमने फरवरी में शुरू की थी. 

तेजी से लिए जा सकेंगे निर्णय 

डीएम आनंद शर्मा कहते हैं, “इसके साथ, नई प्रणाली के लागू होने से किसानों के लिए डीजल और उर्वरक सब्सिडी में तेजी लाई जा सकती है. अब निर्णय आसानी से और तेजी से लिए जा सकते हैं. अब हम किसी भी समय फाइल की गतिविधि को ट्रैक कर सकते हैं. इसके अलावा अब बहुत सारा पैसा स्टेशनरी पर भी बचाया गया है.”

फाइलें रहेंगी सुरक्षित 

आनंद शर्मा बताते हैं कि उपयोग में आसानी के अलावा, नई प्रणाली बेहतर सुरक्षा भी प्रदान करती है. पिछली व्यवस्था में जहां फाइलों की गोपनीयता नहीं थी, वहीं नई प्रणाली ने न केवल फाइलों की आवाजाही में तेजी लाई गई है बल्कि गोपनीयता को भी बढ़ाया गया है. अब ये ज्यादा सुरक्षित हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से डीएम आगे कहते हैं, “कोविड के बाद के ई-ऑफिस समय की जरूरत है. अब ऑफिस चलाने के लिए ऑफिस में होना जरूरी नहीं है."

गौरतलब है कि बिहार सरकार के कम से कम 15 विभाग अब तक पूरी तरह या आंशिक रूप से पेपरलेस हो चुके हैं. लेकिन बिहार के 38 जिलों में से सिर्फ सहरसा कलेक्ट्रेट ही पेपरलेस हुआ है.


 

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