Biporjoy Landfall: अरब सागर में उठा समुद्री तूफान बिपरजॉय (Biparjoy) ने गुजरात में दस्तक दे दी है. इस तरह करीब 25 साल बाद जून के महीने में कोई भीषण चक्रवात गुजरात के तट से टकराया है. मौसम विभाग (IMD) की तरफ से जारी पूर्वानुमान के अनुसार, गुजरात को पार करने वाला बिपरजॉय 'गंभीर' (48-63 किलोमीटर/घंटा की हवा की गति) या उच्च श्रेणी का पांचवां चक्रवात होगा. डेटा के हिसाब से बिपरजॉय 58 वर्षों में जून में अरब सागर में विकसित होने वाला एकमात्र तीसरा 'अत्यंत गंभीर' चक्रवात है.
अब तक 'गंभीर' श्रेणी का पांचवा चक्रवात
आईएमडी के चक्रवात एटलस में कहा गया है कि 1891 के बाद से, 'गंभीर' श्रेणी (हवा की गति 89-117 किमी / घंटा) या उससे अधिक के केवल पांच चक्रवातों ने जून में गुजरात पर लैंडफॉल बनाया है. विशेष रूप से, ये सभी 1900 के बाद के थे. आईएमडी के आंकड़ों में कहा गया है कि ये 'गंभीर' या उच्च तीव्रता वाले चक्रवात 1920, 1961, 1964, 1996 और 1998 के दौरान आए थे.
आईएमडी के आंकड़ों में कहा गया है कि कुल मिलाकर, पिछले 132 वर्षों के दौरान अरब सागर में बने 16 डिप्रेशन और सायक्लोन गुजरात पहुंच चुके हैं. हालांकि, चक्रवातों का नामकरण करना कुछ साल पहले से शुरू हुआ है. 100किमी/घंटा की अधिकतम हवा की गति के साथ एक 'गंभीर' चक्रवात ने 18 जून, 1996 को दीव के करीब लैंडफॉल बनाया था. 9 जून, 1998 को पोरबंदर के पास 166 किमी/घंटा की अधिकतम हवा की गति के साथ एक और तूफान, 'बेहद गंभीर' चक्रवात के रूप में पार कर गया था.
चक्रवात बिपारजॉय को जो विशिष्ट बनाता है वह पिछले सप्ताह से इसकी तीव्रता और समुद्र में गति है. उत्तर हिंद महासागर बेसिन मई और नवंबर के महीनों में अधिकतम साइक्लोजेनेसिस की रिपोर्ट करता है. जून के दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत का महीना होने के कारण, इस बेसिन में चक्रवातों के विकास की स्थितियां आमतौर पर अनुकूल नहीं हैं. यह मुख्य रूप से मानसूनी हवा के असर के चलते है.
अरब सागर ज्यादा सुरक्षित क्यों
उत्तर हिंद महासागर में उठने वाले सभी चक्रवातों में से लगभग 30 प्रतिशत अरब सागर में और शेष बंगाल की खाड़ी में बनते हैं. इसका एक कारण बंगाल की खाड़ी में अपेक्षाकृत समुद्र की सतह पर गर्म पानी है जो चक्रवातों के निर्माण में मदद करता है. अरब सागर में सभी चक्रवातों में से केवल एक चौथाई भारतीय तट की ओर बढ़ते हैं. बाकी उत्तर में पाकिस्तान या उत्तर-पश्चिम में ईरान या ओमान की ओर बढ़ते हैं।
आईएमडी के अनुसार, जून में डिप्रेशन के 'गंभीर' चक्रवात या उससे ज्यादा होने की संभावना लगभग 35 प्रतिशत है, वह भी पूरे देश में, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को मिलाकर. यही कारण है कि, पहले सिर्फ दो चक्रवात आए हैं - 1977 और 1998 में - जो कि 'बेहद गंभीर' श्रेणी में बदल गए थे और अब बिपारजॉय इस सूची में शामिल हो गया है.
पूर्वी तट पर आते हैं ज्यादा चक्रवात
भारत का पूर्वी तट चक्रवातों के लिए ज्यादा अनुकूल है. पश्चिमी तट के कुछ जिले - विशेष रूप से केरल, कोंकण-गोवा, उत्तरी कोंकण और गुजरात भी समान रूप से चक्रवातों के प्रति संवेदनशील हैं. लेकिन, अरब सागर में बनने वाले चक्रवातों की कुल संख्या (औसत 1) एक वर्ष में बंगाल की खाड़ी (औसत 3) में बनने वाले चक्रवातों की तुलना में कम है, और इस करण पश्चिमी तट कम प्रभावित होता है.
भारत में, आईएमडी ने तट से 100 किलोमीटर की सीमा के भीतर 24 पड़ोसी जिलों के साथ 72 तटीय जिलों की पहचान की है, जो चक्रवातों के खतरों और इसके कारण होने वाले अन्य प्रभावों के आधार पर चक्रवातों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं. इन जिलों को अलग-अलग श्रेणी में बांटा गया है जैसे बहुत ज्यादा संवेदनशील, ज्यादा संवेदनशील, मध्यम संवेदनशील औ कम संवेदनशील.
गुजरात के जूनागढ़ और कच्छ जिले 'अत्यधिक' संवेदनशील श्रेणी में हैं जबकि अहमदाबाद, भावनगर, अमरेली, जामनगर, आनंद, नवसारी, सूरत, वलसाड, भरूच, पोरबंदर, राजकोट और वडोदरा 'मध्यम' श्रेणी के संवेदनशील जिले हैं. सुरेंद्रनगर और खेड़ा और गुजरात के 'कम' चक्रवात संवेदनशील जिले हैं.