Cyclone Name: अरब सागर में उफान मार रहा बिपरजॉय, जानें किस आधार पर तय होते हैं चक्रवाती तूफानों के नाम

Biparjoy Cyclone: विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार मौसम के पूर्वानुमानकर्ता भ्रम से बचने के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को एक नाम देते हैं. सामान्य तौर पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार किया जाता है.

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को लेकर अलर्ट जारी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST
  • IMD ने चक्रवातों के लिए 169 नामों की सूची की है तैयार
  • बांग्लादेश ने रखा है बिपरजॉय तूफान का नाम  

अरब सागर में इन दिनों नया चक्रवात बिपरजॉय उफान मार रहा है. इसके पहले भी समुद्रों में कई विनाशकारी चक्रवात जैसे कटरीना, बुलबुल, लीजा, पैलिन, लैरी, हुदहुद, निसर्ग, अंफान आदि आ चुके हैं. आइए आज जानते हैं इन विनाशकारी तूफानों का नामकरण कौन करता है और नामकरण की प्रक्रिया में कौन-कौन सी एजेंसियां शामिल हैं? भारत में आने वाले तूफानों का नामकरण कैसे होता है?

नामकरण के लिए एक सूत्र पर बनी थी सहमति 
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार मौसम के पूर्वानुमानकर्ता भ्रम से बचने के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को एक नाम दिया जाता है. छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय तूफान चेतावनी केंद्र को सलाह जारी करने और दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नाम देने के लिए अधिकृत किया गया है. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की जिम्मेदारी भारत मौसम विज्ञान विभाग को दी गई है. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार किया जाता है. हिंद महासागर क्षेत्र के लिए 2004 में चक्रवातों के नामकरण के लिए एक सूत्र पर सहमति बनी थी. इस क्षेत्र के आठ देशों बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड सभी ने कुछ नाम दिए थे. 

क्रमिक रूप से दिया जाता है एक नाम 
ऐसे में जब भी कोई चक्रवाती तूफान विकसित होता है, तो उसे क्रमिक रूप से एक नाम दिया जाता है. चक्रवात को ऐसा नाम दिया जाता है, जो याद रखने और उच्चारण में आसान हो. आपत्तिजनक या विवादास्पद नाम नहीं रखे जाते. इन नामों को विभिन्न भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोग उन्हें पहचान सकें. अरब सागर पर आने वाले तूफान का नाम बिपरजॉय है. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस तूफान का नाम इस बार बांग्लादेश ने रखा है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2020 में इस नाम को स्वीकार किया था. अप्रैल 2020 में, IMD ने चक्रवातों के लिए 169 नामों की एक सूची तैयार की, जिसमें प्रत्येक देश ने 13 नामों का योगदान दिया. ये नाम 13 सूचियों में वितरित किए गए हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक सूची में प्रत्येक देश से कम से कम एक प्रविष्टि शामिल हो.  

भारत समेत 13 देश करते हैं नामकरण
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई थी. यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो भारत सहित 13 देश क्रमानुसार चक्रवात का नामकरण करते हैं. नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात का नामकरण बांग्‍लादेश ने ही किया था. इसका अर्थ आंख होता है. इसके बाद सागर का नाम भारत ने सुझाया था. सोमालिया में जो चक्रवाती तूफान आया था, उसका नामकरण भारत ने किया था. इसे गति नाम दिया गया था. तूफानों के नामकरण के लिए फ‍िलहाल संयुक्‍त राष्‍ट्र की वर्ल्‍ड मेट्रोलाजिकल आर्गेंनाइजेशन ने कुछ नियम तय किए हैं. इसके हिसाब से जिन क्षेत्रों में तूफान आएगा वहां की क्षेत्रीय एजेंसियां इसका नामकरण करेंगी.

गति के आधार पर तय होता है नाम
तूफान का नामकरण इसकी गति पर निर्भर करता है. उसी तूफान का नामकरण होता है, जिसकी गति कम से कम 63 किलोमीटर प्रति घंटा हो. इसके अतिरिक्‍त ऐसे चक्रवातों की जिनकी गति 118 किलोमीटर प्रतिघंटा तक चली जाती है. इनको गंभीर तूफान का नाम दिया जाता है. 221 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर तूफान को सुपर चक्रवाती तूफान कहा जाता है. अमेरिकी मौसम विभाग ने यह तय किया कि ऐल्‍फाबेट ए से जेड तक जितने भी महिलाओं के नाम आते हैं उन पर तूफानों को नाम दिया जाता है. हालांकि, बाद में महिला संगठनों ने इसका विरोध किया था. इसके बाद 1978 में यह तय हुआ कि तूफानों को महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के भी नाम दिए जाएं.

 

Read more!

RECOMMENDED