अंबेडकर जयंती पर राजनीतिक दलों में अंबेडकर को अपना बनाने की होड़ लगी है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इटावा में अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया तो यूपी बीजेपी और उसका संगठन बाबासाहेब के नाम पर मैराथन आयोजित करने जा रहा है. लखनऊ में 13 अप्रैल को आयोजित होने वाले इस मैराथन का थीम "एक भारत, समरस भारत" रखा गया है.
लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम से 1090 चौराहे तक यह मैराथन आयोजित किया जाएगा. इसके केंद्र में दलित और ओबीसी समाज के बच्चे, युवा और मैराथन धावक होंगे. इसके लिए बाकायदा मैराथन की जर्सी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लांच किया है. मैराथन में वह खुद भी मौजूद होंगे.
लोकसभा चुनाव के बाद से जारी है कोशिश
अंबेडकर जयंती के अवसर पर बीजेपी दलित युवाओं को लुभाने के लिए और पार्टी की विचारधारा और संगठन से जोड़ने के लिए मैराथन लेकर आई है ताकि इसके जरिए दलित और ओबीसी युवाओं तक पहुंचा जा सके. प्रदेश के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह लोकसभा चुनाव के बाद से ही दलित और ओबीसी के बीच पार्टी के विचारों को ले जाने और उनके मन से गलतफहमी दूर करने की कोशिश में जुटे हैं.
भाजपा संगठन को यह मालूम है कि 2024 का चुनाव बीजेपी दलित और पिछड़ों में नेगेटिव बिगड़ जाने की वजह से हारी थी. खासकर आरक्षण खत्म होने का सवाल, 69000 शिक्षकों की भर्ती का सवाल और संविधान बदलने का सवाल! इन सवालों ने बीजेपी का नैरेटिव खराब कर दिया था. इसके बाद से प्रदेश संगठन के कान खड़े हो गए और अब वह ऐसे हर नैरेटिव को ध्वस्त करने के लिए जुटा हुआ है.
बीजेपी के नेता और राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह को इस मैराथन में दलित और पिछड़े युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. दलित छात्रों और युवाओं को इस मैराथन में लाने के लिए अंबेडकर हॉस्टल से लेकर दलित बस्तियों तक में जन जागरण किया जा रहा है और उन्हें इस मैराथन में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया गया है.
नैरेटिव बिगड़ने से हुआ था आम चुनाव में नुकसान
दरअसल बीजेपी का संगठन 2024 के लोक चुनाव में यूपी में पिछड़ने के बाद से ही दलित और अति पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने में नए तरीके से लगा है. पार्टी दलित और अति पिछड़े बिरादरी के युवाओं की सोशल मीडिया आर्मी बनाने में जुटी है ताकि दलित ओबीसी के नाम पर बनने वाले नैरेटिव का राजनैतिक मुकाबला किया जा सके.
इसी क्रम में लखनऊ के इस मैराथन को भी देखा जा रहा है. अगर इस मैराथन में दलित और ओबीसी की संख्या अच्छी खासी आती है तो पार्टी को लगता है कि वह इन्हें जोड़कर विपक्ष के भ्रम और दलित विरोधी नैरेटिव को तोड़ने में सफल होगी.
अंबेडकर के नाम पर बीजेपी हर संभव यह कोशिश कर रही है कि दलितों से दूर करने के प्रपंच को वह काउंटर कर सके इस मैराथन में आने वाले दलित और ओबीसी युवाओं को बीजेपी खेल कूद और आयोजनों के जरिए जोड़ने के मिशन में जुटी है कितनी सफल होगी ये कहना मुश्किल है.