केंद्र की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने भारतीय नौसेना के लिए 200 ब्रह्मोस मिसाइलों (BrahMos Missile) की खरीद के लिए 20,000 करोड़ रुपये के सौदे को मंजूरी दे दी है. सूत्रों के हवाले से बताया कि इस सौदे के कॉन्ट्रेक्ट पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच मार्च के पहले सप्ताह में हस्ताक्षर होने की संभावना है. इस सौदे का उद्देश्य भारतीय नौसेना के शस्त्रागार को बढ़ावा देना है. इससे इसकी क्षमताओं में और वृद्धि होगी. इन मिसाइलों का इस्तेमाल जहाज-रोधी और हमले के अभियानों के लिए किया जाता है. ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया के सबसे सफल मिसाइल कार्यक्रमों में से एक माना जाता है.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड का गठन 1998 में भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक ज्वाइंट वेंचर के तौर में किया गया था. इसके शुरुआती दिनों में स्वामित्व भारत और रूस के बीच समान रूप से विभाजित था. इन बीच के सालों में भारत ने धीरे-धीरे दिल्ली मुख्यालय वाली कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई. संयुक्त उद्यम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. भारतीय सेना ने 2007 से कई ब्रह्मोस रेजिमेंटों को अपने बेड़े में शामिल किया है.
ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात किया जाएगा
डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने बताया कि मार्च के अंत तक ब्रह्मोस मिसाइल जल्द ही फिलीपींस को निर्यात की जाएगी. 375 मिलियन डॉलर मूल्य का यह कॉन्ट्रेक्ट किसी विदेशी राष्ट्र में डीआरडीओ का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा कॉन्ट्रेक्ट होगा. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रमुख अतुल राणे के अनुसार, फिलीपींस पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक होगा. ब्रह्मोस एयरोस्पेस 2025 तक 5 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य का लक्ष्य बना रहा है.
रक्षा में बढ़ रही आत्मनिर्भरता
भारतीय रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की ओर बदलाव देखा जा रहा है, जिसमें महत्वपूर्ण सौदों और परियोजनाओं को मंजूरी दी जा रही है. हवा में ईंधन भरने वाले और समुद्री टोही विमान सहित 84,560 करोड़ रुपये की रक्षा अधिग्रहण परियोजनाओं की हालिया मंजूरी, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए सशस्त्र बलों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
क्या है उद्देश्य?
ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ भारतीय नौसेना की मारक क्षमता बढ़ाने का रणनीतिक निर्णय और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता पर जोर भारत की व्यापक रक्षा रणनीति को दर्शाता है. इन विकासों का उद्देश्य न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा निर्यात बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है.
(मंजीत नेगी की रिपोर्ट)