ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट (Breath-Analyser Test) को लेकर अब नियमों में सख्ती की जाएगी. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अपने नियमों में बदलाव किए हैं. इन नियमों के तहत एयरपोर्ट कर्मियों के कई लोगों को इस टेस्ट से गुजरना होगा. एयरट्रैफिक कंट्रोल करने वाले लोगों, ग्राउंड स्टाफ, विमान की रखरखाव करने वाले इंजीनियरों और कर्मियों में से कम से कम 25 प्रतिशत लोगों का हर दिन ये टेस्ट किया जाएगा.
सबका होगा ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट होगा
ब्रेथ एनालाइजर के संशोधित नियमों के तहत, 25% लोगों को इस टेस्ट से गुजरना होगा. इससे पहले एयरट्रैफिक कंट्रोल करने वाले लोगों, ग्राउंड स्टाफ, विमान की रखरखाव करने वाले इंजीनियरों और कर्मियों में से केवल 10% लोगों को ही इससे गुजरना होता था.
सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना
ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट की मदद से सुरक्षा प्रोटोकॉल को और भी मजबूत किया जा सकेगा. इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी एयरपोर्ट पर काम कर रहा है और उसने शराब पी है तो इस ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट से इसका भी पता चल जाएगा. ऐसे लोगों को पकड़े जाने का भी डर होगा और वे कुछ भी ऐसा नहीं करेंगे जिससे वे पकड़े जाएं.
कैसे काम करता है ब्रेथ एनालाइजर?
ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट करने के लिए एक मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा. इस मशीन के लिए फ्यूल सेल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ये मशीन काफी सटीक होती है. इसके नियम तीन महीने बाद लागू होने वाले हैं. वहीं, इन नियमों को विशेषतौर पर एविएशन सेक्टर के क्रू मेंबर्स, ग्राउंड स्टाफ, विमान रखरखाव इंजीनियरों और ग्राउंड हैंडलिंग सेवा कर्मियों पर लागू किया जाएगा.
संशोधित सीएआर नियम जारी होने की तारीख से तीन महीने बाद लागू होंगे. इस बीच अलग-अलग जगहों पर ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट के लिए बुनियादी ढांचे को बनाने का टाइम मिल सकेगा.
कुछ चीजों से करना होगा परहेज
हालांकि, इसके लिए कुछ और नियम भी बताए गए हैं. जैसे DGCA ने क्रू मेंबर्स को उन चीजों से परहेज करने के लिए भी कहा है जो ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में हस्तक्षेप कर सकते हैं. जैसे माउथवॉश या अल्कोहल वाले टूथ जेल. इसके अलावा, टेस्ट के परिणामों को प्रभावित करने वाली दवाओं से गुजर रहे क्रू सदस्यों को फ्लाइट के काम करने से पहले कंपनी के डॉक्टरों से परामर्श करने की सलाह दी जाती है.