Bunker Buster Missile: पहाड़ी इलाकों में भी छिपे हुए घुसपैठिए को खोज निकालेगी सेना, हैमर मिसाइल बंकर को भी उड़ाने का रखती है दम 

एएएसएम हैमर एक मॉड्यूलर हथियार है जिसे सैटेलाइट, इन्फ्रारेड और लेजर गाइडेंस जैसे अलग-अलग नेविगेशन मोड के साथ फिट किया जा सकता है. यह मिसाइल और ग्लाइड बम दोनों के रूप में काम करती है

AASM HAMMER Missile (Photo: IDRW)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST
  • सेना को और भी बनाएगा ताकतवर 
  • राफेल फाइटर जेट की बढ़ेगी क्षमता

भारतीय वायु सेना खुद को लगातार और भी ताकतवर बनाती जा रही है. अब सेना बंकर में छिपे हुए घुसपैठिए को आसानी से निकाल सकेगी. भारत में अब फ्रांस की हैमर मिसाइल का ट्रायल शुरू होने वाला है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इसके लिए तैयारी कर रही है. दरअसल, ये मिसाइल भारत ने फ्रांस से राफेल फाइटर जेट को और भी शानदार बनाने के लिए ऑर्डर की थी. हैमर मिसाइलें भारत को पूर्वी लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों सहित अलग-अलग इलाकों में बंकरों निशाना बनाने की क्षमता देगी.

सेना को और भी बनाएगा ताकतवर 

एएएसएम हैमर एक मॉड्यूलर हथियार है जिसे सैटेलाइट, इन्फ्रारेड और लेजर गाइडेंस जैसे अलग-अलग नेविगेशन मोड के साथ फिट किया जा सकता है. यह मिसाइल और ग्लाइड बम दोनों के रूप में काम करती है. इतना ही नहीं इसे 20 किमी से 70 किमी की दूरी तक दागा जा सकता है. यही वजह है कि हमला करते हुए राफेल या जिस भी एयरक्राफ्ट से इसे लॉन्च किया जा रहा है उसे दुश्मनों की सीमा से बाहर रखा जा सकता है. इस किट को अलग-अलग आकारों के बमों में फिट किया जा सकता है. पहाड़ी इलाकों में इसका काफी फायदा होने वाला है. 

राफेल फाइटर जेट की बढ़ेगी क्षमता 

दरअसल, हर राफेल फाइटर जेट 250 किलोग्राम वजन की छह एएएसएम हैमर मिसाइलें ले जा सकता है. इससे वे एक साथ छह टारगेट को हिट करने में सक्षम होंगे. इस संख्या के बढ़ जाने से हवा से जमीन पर मार करने वाले मिशनों के लिए राफेल बेड़े की क्षमताएं और भी बढ़ सकेंगी.

फ्रांस से मंगवाई गई है हैमर मिसाइल  

एएएसएम हैमर का उपयोग पहली बार 2008 में फ्रांसीसी वायु सेना और नौसेना ने किया था. उन्होंने इसे लीबिया और माली के मिशनों में इस्तेमाल किया था. हालांकि,  मिसाइल की महंगी कीमत को लेकर इसकी आलोचना होती रहती है. एएएसएम हैमर बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान ने पहले इसे भारत में पेश किया था, और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारत में मार्गदर्शन और ग्लाइड किट बनाने की योजना थी. आज भारतीय वायु सेना के हथियारों में एएएसएम हैमर के शामिल होने से देश की सुरक्षा और भी बेहतर तरीके से हो सकेगी.

 

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