प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में, कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों की तरफ से घोषित योजनाओं पर चिंता जताई और ये कहा कि ये सभी योजनाएं आर्थिक मायनों में सही नहीं हैं. ये योजनाएं देश को श्रीलंका (Sri Lanka) के रास्ते पर ले जा सकती हैं.
PM मोदी के साथ 4 घंटे तक चली बैठक
बता दें कि पीएम मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों और सभी विभागों के सचिवों के साथ अपने आवास पर चार घंटे की लंबी बैठक की. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के कई बड़े अधिकारी शामिल रहे.
एक टीम की तरह करना होगा काम
पीएम मोदी ने कोविड-19 के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया उसका जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए.
गौरतलब है कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ ये नौवीं बैठक थी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के दौरान दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब हालत में है. उन्होंने साथ ही दूसरे राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं.
बता दें कि श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है. श्रीलंका में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. बताते चलें कि पीएम मोदी ने ऐसी बैठकों के अलावा शासन में समग्र सुधार के लिए नए विचारों का सुझाव देने के लिए सचिवों के 6 क्षेत्रीय समूहों का भी गठन किया है.