Photo ID compulsory to buy acid online: ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकार की सख्ती, एसिड खरीदने के लिए दिखानी पड़ेगी फोटो आईडी, कहां इस्तेमाल होगा ये भी बताना होगा

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए एसिड बेचना अब आसान नहीं रह जाएगा. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. अब ई कॉमर्स साइट पर एसिड बेचने के लिए फोटो आईडी अनिवार्य कर दी गई है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST
  • एसिड की अवैध बिक्री ऑनलाइन न हो
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए एसिड बेचना अब आसान नहीं रह जाएगा.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए एसिड बेचना अब आसान नहीं रह जाएगा. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. सीसीपीए ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को एसिड खरीदारों के लिए सरकार द्वारा जारी फोटो आईडी अपलोड करना अनिवार्य बनाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा अब 18 साल से कम के लोग फ्लिपकार्ट या अमेजन पर जाकर एसिड नहीं खरीद पाएंगे.

इस्तेमाल की भी देनी होगी जानकारी
इसके अलावा सीसीपीए ने ई-कॉमर्स कंपनियों को एसिड विक्रेताओं को अपने प्लेटफॉर्म पर शामिल करने से पहले उनसे अलग से शपथ पत्र लेने का निर्देश दिया है. आदेश के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को पता करना होगा कि एसिड खरीदने वाला इसे कहां इस्तेमाल करने वाला है.

18 साल से ऊपर के लोग आईडी दिखाकर ही खरीद पाएंगे एसिड
सीसीपीए ने एसिड की अनियमित बिक्री से उपभोक्ताओं और नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों को नोटिस जारी किया है. एसिड की बिक्री तभी संभव होगी जब खरीदार सरकार द्वारा जारी फोटो आईडी अपलोड करेगा, जिसमें व्यक्ति का पता और उसकी उम्र 18 साल से ऊपर होगी.

एसिड की अवैध बिक्री ऑनलाइन न हो
सीसीपीए सेफ्टी गाइडलाइन्स के मुताबिक, सभी ई-कॉमर्स कंपनिया यह सुनिश्चित करें कि एसिड की अवैध बिक्री ऑनलाइन माध्यमों से न हो सके. देश में रोजाना एसिड अटैक की कई घटनाएं रिपोर्ट होती हैं. एसिड का इस्तेमाल कई बार लोगों पर हमले के लिया किया जाता है. अक्सर ऐसे कई खबरें आती हैं जहां प्रेम प्रसंग में हुए झगड़े के बाद बदला लेने के लिए एक व्यक्ति दूसरे पर एसिड डाल देता है. ज्यादातर एसिड अटैक की शिकार महिलाएं होती हैं. सीसीपीए का कहना है कि अभी तक लोग बगैर कारण बताए व आईडी दिखाए एसिड खरीद रहे थे. यह सुप्रीम कोर्ट और गृह मंत्रालय के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन था.

 

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